इरशाद अली/खगड़िया ब्यूरो
बिहार लेनिन अमर शहीद जगदेव प्रसाद की 49वीं शहादत दिवस के अवसर पर जिले के चौथम प्रखंड अंतर्गत हरदिया गांव स्थित सत्संग भवन के प्रांगण में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया।जिसकी अध्यक्षता हरदिया पंचायत के पूर्व मुखिया वीरेंद्र कुमार सिंह एवं लोजपा के प्रखंड अध्यक्ष प्रकाश पासवान एवं प्रसिद्ध साहित्यकार मुल्कराज आनंद ने किया।उक्त कार्यक्रम में जिले के कोने-कोने से आए सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने शहीद जगदेव प्रसाद के विचार और उनके संघर्ष के बारे में अपना-अपना विचार व्यक्त किया।इस अवसर पर हरदिया पंचायत के मैट्रिक और इंटर की परीक्षा में सर्वाधिक अंक लाने वाले विद्यार्थी को युवा शक्ति के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नागेंद्र सिंह त्यागी ने माला पहनाकर,शाॅल ओढ़ाकर और मोमेंटो देकर उन्हें सम्मानित किया।तत्पश्चात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए युवा शक्ति के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नागेंद्र सिंह त्यागी ने कहा कि जगदेव बाबू ने ठीक ही कहा था कि,जो लड़ाई की शुरुआत कर रहा हूं,वह अगले सौ साल तक चलेगी।पहली पीढ़ी मारी जाएगी,दूसरी पीढ़ी जेल में रहेगी और तीसरी पीढ़ी राज करेगी।
उन्होंने कहा कि जगदेव बाबू को पिछड़ों की लड़ाई लड़ने के कारण साजिश के तहत सामंतवादियों ने गोली मार कर उनकी हत्या की थी।उन्होंने कहा कि जगदेव बाबू को सामंतवादियों की इस योजना की जानकारी पूर्व में ही उनके मित्र के द्वारा दी गयी थी और कहा गया था कि आज आप आंदोलन में भाग नहीं लें।नहीं तो आपकी हत्या कर दी जाएगी। यह जानने के बावजूद भी जगदेव बाबू शोषित पीड़ित और पिछड़ों को जगाने के लिए आंदोलन में शामिल हुए और अपनी शहादत दे दी।श्री त्यागी ने कहा कि हत्यारे ने भले ही जगदेव प्रसाद की हत्या कर दी,लेकिन उनके विचारों की हत्या नहीं कर सके।आज भी उनका नारा बिहार के दलित पिछड़े में जोश भर देता है।”सौ में नब्बे शोषित है,शोषितों ने ललकारा है,धन धरती और राजपाट में नब्बे भाग हमारा है।दस का शासन नब्बे पर नहीं चलेगा नहीं चलेगा”।यही वजह है कि जगदेव प्रसाद को याद करते समय उन्हें मानने वाले लोग मातम नहीं मानते हैं,बल्कि गर्व के साथ उनकी शहादत और जयंती पर उन्हें याद करते हैं।जगदेव बाबू बिहार के दबे कुचले और पिछड़ों के मसीहा थे।हमें उनके बताए हुए मार्गों पर चलकर समाज की सेवा करनी चाहिए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व मुखिया वीरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि जगदेव बाबू ने जिस वर्ग को जगाने हक और अधिकार दिलाने के लिए अपनी कुर्बानी दी थी,आज भी वह वर्ग सोया हुआ है।यह वर्ग जब तक सोया रहेगा, तब तक सामंतवादी सोच रखने वाले इनका शोषण करते रहेंगे।वहीं स्वराज इंडिया के प्रदेश उपाध्यक्ष विजय कुमार सिंह,पूर्व मुखिया प्रमोद सिंह,प्रमुख प्रतिनिधि चंदन कुमार सिंह व मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि जगदेव प्रसाद का मानना था कि सिर्फ कुछ लोगों के हाथ में संसाधन होना अन्याय को जन्म देना है।सिर्फ कुछ लोगों के हाथ में संसाधन होने के कारण ही शैक्षणिक,बेरोजगारी और पिछड़ापन है।उन्होंने बिहार की राजनीति को ज्वलंत और क्रांतिकारी बनाया था।इसीलिए उन्होंने नारा दिया था कि सौ में नब्बे शोषित है और नब्बे भाग हमारा है,धन धरती और राजपाट में भागीदारी होनी चाहिए।अपने संबोधन में जाप के जिलाध्यक्ष कृष्णानंद यादव,सुभाष चंद्र जोशी,वीरेंद्र सिंह कुशवाहा,संजय गुप्ता,पैक्स अध्यक्ष साकेत सिंह बबलू और समाजसेवी विजय कुमार सिंह ने कहा कि जगदेव प्रसाद जी का समय और समाज दोनों जिन विडंबनाओं से गुजरा है और उन्होंने जिस वैचारिक नींव को आजादी के बीस साल बाद ही रख दिया था,उनके निहितार्थ और प्रयोग के साधनों पर विचार विमर्श किया जाना अति आवश्यक है।उन निहितार्थों में यह शामिल है कि जातिवादी उत्पीड़न से आजादी कहां मिली?जो जबरे शोषण हैं,अपराधी हैं, सत्ता उन्हीं के दरवाजे की रेहान है।उन निहितार्थ को समझे बिना कोई जगदेव प्रसाद के विचारों और सोच को जातिवादी मुलम्म में से ढ़कना चाहेगी या उन्हें केवल एक क्षेत्रीय या जातिवादी या अधिक से अधिक ओबीसी नेता के रुप में व्याख्यायित करना चाहेगा।यही भारतीय जातिवादी समाज के प्रभु वर्गों की स्वार्थी और शातिर चल रही है।जिससे हर प्रगतिशील और समाजवादी विचार घायल किया जाता रहा है।ऐसे स्वार्थी चालो ने ही भारतीय समाजवादी नेताओं को बदनाम किया।
उन्होंने कहा कि जगदेव बाबू को बिहार के लेनिन कहे जाते हैं।इसका मतलब यह है कि लेनिन के दर्शन और विचार ही जगदेव बाबू के विचारों के केंद्र में है।उसे इतर कोई दर्शन उनकी वैचारिकी को स्थापित नहीं करने वाला है।उस वैचारिकी में चाकरी नहीं है, स्वामित्व की लड़ाई है।हक की लड़ाई है।मान सम्मान की लड़ाई है।मानवीय समानता की लड़ाई है।वह धन धरती और राजपाट में नब्बे भाग हमारा है,इस बात को रखते हुए आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों के प्रति शोषित,पीड़ित और पिछड़ों को सचेत किया था।बाबू जगदेव प्रसाद को जिस समय वर्दीधारी अपराधियों ने हमसे छीन लिया, वह जेपी आंदोलन का जमाना था।सभा में उपस्थित कमलेश सिंह,अवधेश सिंह,राहुल कुमार, राजेश यादव,पिंकेश कुमार,ज्ञान सिंह तथानजवाहर यादव ने कहा कि जगदेव प्रसाद की राजनीति केवल सत्ता पाने की नहीं थी,वह समाज में आमूलचूल बदलाव चाहते थे।वे जाति व्यवस्था के विरोधी थे और हिंदू धर्म में पाखंड का खुलकर विरोध करते थे।यही कारण है कि बिहार की राजनीति को बपौती मानने वाले सामंती ताकतों की आंखों में वह कांटे की तरह हुए चुभने लगे थे।वर्ष 1974 में इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ एक ओर जहां जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में संपूर्ण क्रांति का आंदोलन चल रहा था,वहीं जगदेव बाबू ने सात सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन चला रखा था।उसी क्रम में 5 सितंबर 1974 को जगदेव प्रसाद कुर्था प्रखंड कार्यालय पर हजारों किसानों व मजदूरों के साथ दल की मांगों के समर्थन में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे,तभी एक साजिश के तहत गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई थी।
वहीं जन अधिकार युवा परिषद के प्रदेश उपाध्यक्ष आशुतोष कुमार यादव,युवा शक्ति के कार्यकारी जिला अध्यक्ष मिथुन कुमार शर्मा,कोषाध्यक्ष नीरज यादव,कवि रंजन यादव,धर्मेंद्र पोद्दार तथा बृजेश शर्मा ने कहा कि मिटे गरीबी और अमीरी,मिटे चाकरी और मजबूरी।समता बिन समाज नहीं,बिन समाज जनराज नहीं।जिसमें समता की चाह नहीं, वह बढ़िया इंसान नहीं।जगदेव बाबू हर क्षेत्र में शासकों और शोषितों के बीच और असमानता की लगातार बढ़ती खाई को लोगों के सामने रखते थे और उसे बांटने के लिए सौ साल की कार्य योजना पेश करते थे।जगदेव बाबू कहते थे कि जिस लड़ाई की मैं शुरुआत कर रहा हूं,वह सौ साल लंबी होगी।इसमें आने वाले पहली पीढ़ी के लोग मारे जाएंगे,दूसरी पीढ़ी जेल जाएगी और तीसरीवपीढ़ी राज करेगी।शोषितों की चेतना को जगाने का काम जितना जगदेव बाबू ने किया, उतनी मुखरता से शोषकों से लोहा लेने का काम किसी ने नहीं किया।