राजेश सिन्हा की रिपोर्ट
खगड़िया:वैसे तो लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में झंझारपुर,सुपौल,अररिया और मधेपुरा के साथ-साथ खगड़िया में भी आगामी 7मई को मतदान है, लेकिन खगड़िया लोकसभा में एनडीए के तमाम महारथियों को इसीलिए अधिक पसीना बहाना पड़ रहा है,क्योंकि एलजेपी (रामविलास)प्रत्याशी राजेश वर्मा को लेकर अधिकांश मतदाता खुश नजर नहीं आ रहे हैं।उनकी ‘कुंडली’पर चर्चा कर रहे एनडीए समर्थित लोगों का भी कहना है कि दलित उत्पीड़न के मामले सहित कुछ अन्य ऐसे मामले हैं,जो मतदाताओं को डरा रहे हैं।बावजूद इसके एनडीए के बड़े नेताओं की हरसंभव कोशिश है कि,मतदाताओं में विश्वास पैदा कर उन्हें एलजेपी(रा)प्रत्याशी राजेश वर्मा के पक्ष में गोलबंद किया जा सके।खगड़िया के मतदाता बाहरी और दागी उम्मीदवार कहे जाने वाले एलजेपी प्रत्याशी के पक्ष में गोलबंद होते हैं अथवा महागठबंधन समर्थित सीपीआईएम प्रत्याशी संजय कुशवाहा के पक्ष में प्यार और आशीर्वाद बरसाते हैं,यह तो आगामी चार जून को प्रमाणित होगा।लेकिन,एनडीए के साथ-साथ महागठबंधन के नेताओं द्वारा मतदाताओं को अपनी ओर रिझाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी गयी है।
महागठबंधन की ओर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी जहां विभिन्न जगहों पर सभा कर चुनावी तपिश का एहसास सभी को करा रहे हैं,वहीं एनडीए की ओर से सीएम नीतीश कुमार,’हम’ संरक्षक जीतन राम मांझी आदि द्वारा 29अप्रैल से कई जगहों पर चुनावी सभा किए जाने की बात कही जा रही है।
इसके पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ-साथ बिहार के डिप्टी सीएम व,खगड़िया से गहरे ताल्लुकात रखने वाले सम्राट चौधरी,विजय कुमार सिन्हा,राष्ट्रीय लोक मोर्चा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान की सभा हो चुकी है।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी,पिछले दिनों मुंगेर की सभा में खगड़िया के प्रत्याशी राजेश वर्मा की चर्चा कर चुके हैं।
बावजूद इसके राजेश वर्मा के विपक्ष में हवा बहने की बात इसीलिए भी कही जा रही है, क्योंकि एलजेपी के निर्वतमान खगड़िया सांसद चौधरी महबूब अली कैसर द्वारा पाला बदलकर आरजेडी के लिए बैटिंग की जा रही है और कुर्मी समाज के बड़े नेता कहे जाने वाले पूर्व मुखिया अशोक सिंह भी लोजपा,(रामविलास)सुप्रीमो चिराग पासवान के साथ-साथ उनके प्रत्याशी राजेश वर्मा की एक तरह से नींद और चैन चुराने में लगे हैं।अशोक सिंह का स्पष्ट कहना है कि जिसने कुर्मी समाज का सम्मान नहीं किया और कुर्मी समाज से आने वाली सरोज देवी का जबरन जमीन लिखवा लिया, ऐसे शख्स को किसी भी कीमत पर ना ही वह वोट देंगे और ना ही उनके समाज के लोग वोट करेंगे चिराग पासवान ने उनके नेता नीतीश कुमार को 2020के विधानसभा चुनाव में जिस तरह का ‘दर्द’ दिया,उसका बदला वह लोग उनके प्रत्याशी राजेश वर्मा को हराकर जरुर लेंगे।
स्थिति तो यह है कि,जदयू नेता अशोक सिंह इंडिया गठबंधन समर्थित उम्मीदवार संजय कुशवाहा के पक्ष में खुलकर चुनावी अभियान में जुड़ गए हैं।टिकट बेचने का आरोप लगाकर लोजपा(रामविलास)के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पद और पार्टी की सदस्यता को त्यागने वाली खगड़िया की पूर्व सांसद रेणु कुशवाहा चिराग को सबक सिखाने का पहले ही ऐलान कर चुकी हैं और पूर्व विधायक सतीश कुमार जगह-जगह कैंप कर लव-कुश समीकरण में बिखराव पैदा करने में लगे हुए हैं।
वैसे भी प्रत्याशियों के चयन में पार्टी के समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्त्ता-नेताओं की उपेक्षा करते हुए बाहरी और मालदार लोगों को टिकट थमाने का आरोप लगाकर सतीश कुमार और रेणु कुशवाहा सहित प्रदेश स्तरीय लगभग दो दर्जन लीडर पूर्व में ही पार्टी छोड़ चुके हैं।जिस तरह की राजनीतिक स्थिति बन चुकी है, उसे देखकर यही कहा जा सकता है कि,खगड़िया के आम मतदाता राजेश वर्मा की कुंडली देखकर उन्हें वोट देने को कतई तैयार हैं।
ऐसी परिस्थिति में सीएम नीतीश कुमार की 29अप्रैल को,आयोजित होने वाली चुनावी सभा का कितना असर मतदाताओं पर पड़ता है,यह तो देखने वाली बात होगी,लेकिन यह कहने में कहीं संकोच नहीं है कि पूर्व सांसद रेणु कुशवाहा,पूर्व विधायक सतीश कुमार,निर्वतमान सांसद चौधरी महबूब अली कैसर और समता पार्टी के जमाने से जेडीयू के कद्दावर नेता कहे जाने वाले अशोक सिंह द्वारा राजेश वर्मा की कुंडली सार्वजनिक किए जाने के बाद से आम मतदाताओं के बीच जिस तरह का उबाल देखने को मिल रहा है,उसे ठंढ़ा कर पाना एनडीए नेताओं के लिए बहुत बड़ी चुनौती जरुर होगी।
राजनीति को करीब से समझने वालों की बातों पर अगर यकीन करें तो इस बार लोजपा के लिए जीत का हैट्रिक लगाना इसीलिए भी आसान नजर नहीं आ रहा है,क्योंकि एनडीए समर्थित लोजपा(रामविलास)प्रत्याशी राजेश वर्मा को विरोधियों की कौन कहे,सहयोगियों के भी,विरोध का सामना करना पड़ रहा है।जानकारों का कहना है कि चिराग पासवान द्वारा स्थानीय प्रत्याशी पर भरोसा नहीं जताना एनडीए के स्थानीय नेताओं व कार्यकर्ताओं को रास नहीं आ रहा है।बीजेपी के एक मोर्चा महामंत्री ने एसडीएफ लाइव इंडिया से बातचीत करते हुए नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि,लोजपा(रा)प्रत्याशी राजेश वर्मा का समर्थन करना उन लोगों की मजबूरी है।लेकिन बीजेपी के कई नेता-कार्यकर्ता सम्मान नहीं मिलने के कारण अंदर से प्रत्याशी के साथ नहीं हैं।आलाकमान के भय से महज साथ रहने का दिखावा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सभी जिलाध्यक्ष प्रत्याशी के पक्ष में क्या कुछ कर रहे हैं,उन्हें नहीं पता है।लेकिन सभी मोर्चा के अध्यक्षों को प्रत्याशी की ओर से चुनावी प्रचार-प्रसार के लिए प्रतिदिन 35-35सौ रुपये दिए जाते हैं।बावजूद इसके वह लोग न ही प्रत्याशी द्वारा उपलब्ध कराए गए चार पहिया वाहन पर सवार होते हैं और ना ही पूरे मन से प्रचार-प्रसार कर पाते हैं।ऐसा इसीलिए भी क्योंकि एनडीए के समर्पित नेता-कार्यकर्ताओं की छोड़िए,पार्टी के कोर वोटर भी एनडीए प्रत्याशी का नाम और उनकी कारगुज़ारियों को पचा नहीं पा रहे हैं।2014 एवं 2019 के लोकसभा चुनाव में भले ही बीजेपी के कोर वोटरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर एलजेपी प्रत्याशी चौधरी महबूब अली कैसर को जीत का माला पहना दिया था।लेकिन इस बार चुनावी हवा बदली-बदली नजर आ रही है।रविदास टोला में उनके प्रत्याशी के पक्ष में नुक्कड़ सभा करने वाली टीम गयी थी।लेकिन वहां के मतदाताओं ने यह कहकर विरोध कर दिया कि मोदी जी के नाम पर दो-दो बार हम लोग कैसर साहब को जिताए।उसके बाद भी वह कभी हम लोगों से मिलने नहीं आए।इस बार जिस प्रत्याशी को मैदान में उतारा गया है,उनके विषय में सुन रहे हैं कि, वह गरीबों की जमीन हड़प कर केबाला करवा लेता है।
सियासी जानकारों का कहना है कि चिराग पासवान ने भागलपुर के हीरा कारोबारी को खगड़िया के चुनावी मैदान में उतारकर इतनी बड़ी भूल की है,जिसका खामियाजा अगर एनडीए को भुगतना पड़ जाय तो शायद किसी के लिए आश्चर्य का विषय नहीं होना चाहिए।चिराग पासवान द्वारा स्थानीय उम्मीदवार को तरजीह नहीं देकर भागलपुर के राजेश वर्मा को चुनावी मैदान में उतारने के बाद से एनडीए के कोर वोटर के बीच भी उस तरह का उत्साह नजर नहीं जा रहा है,जैसा पिछले दो लोकसभा चुनाव के दौरान देखने को मिला था।बात अलग है कि लोजपा (रामविलास) प्रत्याशी राजेश वर्मा सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों से बाहर से लाए गए कुछ चुनिंदा लोगों के सहारे अपने पक्ष में माहौल बनाने या यूं कहें कि दिखाने की कोशिश कर रहे हैं,लेकिन हकीकत यह है कि उनकी राह में एनडीए के ही नेता प्रत्यक्ष या परोक्ष रुप से जिस तरह कांटे बिछाने में लगे हैं,उसे देखकर लगता नहीं है कि उसे पार कर जीत की मंजिल तक पहुंच पाना राजेश वर्मा के लिए आसान हो सकेगा।
जेडीयू के भी जमीनी कार्यकर्ताओं का कहना है कि उनकी पार्टी के नेता-कार्यकर्ता इस बात को कभी भूल नहीं सकेंगे कि चिराग पासवान ने 2020 के विधानसभा चुनाव में विभिन्न सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारकर जदयू को कितना नुक़सान पहुंचाया था।चिराग द्वारा लिए गए निर्णय का प्रभाव खगड़िया तथा परबत्ता विधानसभा सभा में भी देखने को मिला था।चिराग के ही कारण खगड़िया से जदयू की उम्मीदवार रही पूनम देवी यादव को हार का सामना करना पड़ा था।डॉ संजीव कुमार भले ही परबत्ता में जीत की डंका बजाने में सफल रहे,लेकिन जीत का अंतर बहुत कम था।
बदले हुए राजनीतिक हालात में गठबंधन धर्म का पालन करते हुए बीजेपी और जेडीयू के नेता- कार्यकर्ता भले ही लोजपा प्रत्याशी का विरोध नहीं कर सकें, लेकिन चिराग द्वारा 2020के चुनाव में दिए गए दर्द को कोई भूले नहीं हैं।अपने-अपने क्षेत्र में मतदाताओं पर मजबूत पकड़ रखने वाले जेडीयू के फायर ब्रांड नेता परबत्ता विधायक डॉ संजीव कुमार और पूर्व विधायक पूनम देवी यादव का भी चुनावी अभियान में नजर नही आना इस बात को चीख-चीखकर प्रमाणित कर रहा है कि चिराग पासवान और उनके कैंडिडेट राजेश वर्मा को लेकर जेडीयू के अंदर क्या कुछ चल रहा है।उनके समर्थक तो खुलकर लोजपा (रा) प्रत्याशी का विरोध कर रहे हैं।
इधर,खगड़िया के वरिष्ठ पत्रकार मनीष कुमार मनीष कहते हैं कि बदले राजनीतिक हालात में अब भले ही लोजपा,भाजपा एवं जदयू के बड़े नेता एक मंच पर हों, लेकिन स्थानीय जदयू नेताओं व कार्यकर्ताओं के बीच 2020के विधानसभा चुनाव की ‘कसक’ आज भी है।पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के फैसले के बाद स्थानीय एनडीए नेताओं ने भी हाथ से हाथ तो लिया,लेकिन ‘दिल मिले या ना मिले,हाथ मिलाते रहिए’ वाली स्थिति है।जिसका खामियाजा लोजपा(रामविलास) प्रत्याशी को भुगतना पड़ सकता है।
वह खगड़िया के राजनीतिक हालात को रेखांकित करते हुए कहते हैं कि एलजेपी(प्रत्याशी) राजेश वर्मा को यह भी समझना होगा कि,डॉ संजीव कुमार भले ही खुलकर उनका विरोध नहीं कर रहे हों,लेकिन उनके सगे भाई सह कांग्रेस के एमएलसी राजीव कुमार इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार करने के लिए मैदान में उतर चुके हैं।लोजपा के निवर्तमान सांसद चौधरी महबूब अली कैसर राजद में शामिल होकर इंडिया गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में हवा बनाने में लग चुके हैं।
दूसरी तरफ,राजनीतिक पंडितों का स्पष्ट कहना है कि,एनडीए समर्थित लोजपा (रा)प्रत्याशी राजेश वर्मा अपनी कमजोर कड़ी को परख ही नहीं पा रहे और एनडीए के चंद नेताओं के सहयोग से चुनावी बैतरणी पार करने की कोशिश कर रहे हैं।उनकी कार्यशैली देखकर यही कहा जा सकता है कि वह एक सफल हीरा कारोबारी हो सकते हैं,लेकिन कहीं से भी वह सफल पॉलिटिशियन नजर नहीं आ रहे हैं।एनडीए के घटक दल के स्थानीय नेता- कार्यकर्ता जब तक एकजुट नहीं होते हैं और उनकी जीत के लिए सार्थक पहल नहीं करते हैं,तब तक उनके लिए जीत का मंसूबा पालना कहीं से उचित नहीं लगता है।इंडिया गठबंधन के घटक दल न सिर्फ एकजुट होकर चुनावी प्रचार अभियान में लगे हैं, बल्कि हर नेता अपनी-अपनी जिम्मेदारी निभाते नजर आ रहे हैं।इस तरह की स्थिति के बीच स्थानीय व बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा भी मुंह फैलाए खड़ा है।कह सकते हैं कि,कहीं न कहीं भाजपा व जदयू की नजर भी आगे के चुनाव के लिए इस सीट पर है।लगातार दो जीत के बाद खगड़िया संसदीय सीट लोजपा की परंपरागत बन गई है और इस चुनाव में लोजपा (रा) का प्रदर्शन उनका भविष्य तय कर सकता है।ऐसे में एनडीए समर्थित लोजपा (रा)उम्मीदवार के लिए यह चुनावी सफर बहुत आसान नहीं दिख रहा है और यदि इस बार खगड़िया में लोजपा(रा) का ‘चिराग’ बुझ जाए तो किसी को अचरज में नही पड़ना चाहिए।
बहरहाल,तमाम तरह की स्थिति-परिस्थिति के बीच जेडीयू के जिलाध्यक्ष बबलू कुमार मंडल और कोषाध्यक्ष संदीप केडिया विरोधियों पर बरसते हुए खगड़िया लोकसभा से एनडीए प्रत्याशी राजेश वर्मा की बड़ी जीत का दावा कर रहे हैं।ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आगे-आगे होता है क्या?