राजेश सिन्हा की रिपोर्ट
अलौली के एमओ ने कहा- सबको मिलता है नजराना, कोई कुछ बिगाड़ ही नहीं सकता
पटना:लोकसभा चुनाव के दौरान केन्द्र सरकार के राशन स्कीम की जितनी चर्चा हो रही है,उससे अधिक इस बात की चर्चा हो रही है कि लाभुकों तक घटिया स्तर का अनाज पहुंचाने के पीछे कौन गिरोह सक्रिय है।चर्चा इस बात की भी हो रही है कि किसी खास राजनेता के इशारे पर एफसीआई प्रबंधक और एमओ पीडीएस डीलरों के जरिए लाभुकों तक बेहद घटिया व निर्धारित वजन से कम अनाज पहुंचाकर मालोमाल हो रहे हैं।इतना ही नहीं,इस गोरखधंधे में सबका कमीशन बंधा हुआ है।गरीब और विवश लोगों तक सरकार द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे मुफ्त अनाज पहुंच पा रहे हैं या नहीं,यह कहना तो फिलवक्त कठिन है,लेकिन राहत का विषय यह है कि कम से कम दलित और महादलित समाज के लोग इस स्कीम से लाभान्वित जरुर हो रहे हैं।बावजूद इसके यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत गरीबों का पेट भरने की कोशिश के नाम पर न केवल लूट मची है,बल्कि गरीब और जरुरतमंदों को इस योजना के तहत सड़ा-गला अनाज उपलब्ध कराकर बीमार बनाने की भी कोशिश हो रही है।
बार-बार मिल रही इस तरह की शिकायत के आधार पर जब हमारी टीम ने मामले की तह तक जाने की कोशिश की तो कई ऐसे-ऐसे तथ्य सामने आए, जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि इस योजना के तहत गरीबों का पेट भरे या ना भरें, लेकिन एफसीआई के प्रबंधक व एमओ सहित बिचौलिए और डीलरों का पेट जरुर बड़ा होता जा रहा है।
इस योजना के नाम पर मची लूट के ऐसे-ऐसे साक्ष्य हैं,जिसके आधार पर यह कहा जा सकता है कि मुफ्त अनाज देने के नाम पर कफन में भी पॉकेट तलाशे जा रहे हैं।लेकिन कोई ना ही किसी को टोकने वाला है और ना ही रोकने वाला।पूरे बिहार में इस स्कीम के नाम पर किस तरह लूट मची है, इस पर तो हम सिलसिलेवार तरीके से खुलासा करेंगे।लेकिन हमारी टीम जब खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड अंतर्गत विभिन्न गांव में जाकर हकीकत पता करने की कोशिश की तो कई गांव के लाभुकों ने बताया कि उन लोगों को समय पर मुफ्त अनाज नहीं मिल पाता है।जिसके कारण कुछ परिवार के लोगों को भूख से बिलबिलाने के बीच अनाज के लिए पीडीएस डीलरों का चौखट चूमना पड़ता है।लाभुकों का यह भी कहना था कि कहने को तो प्रत्येक व्यक्ति के हिसाब से पांच किलो अनाज मिलना चाहिए।लेकिन अनाज में किसी डीलर द्वारा एक किलोग्राम तो कहीं डेढ़ किलोग्राम की कटौती कर ली जाती है।कहीं-कहीं दो किलो अनाज भी काट लिया जाता है।
हद तो यह है कि,पीडीएस डीलरों द्वारा उपलब्ध कराए गए अरवा चावल स्वस्थ पशु या यूं कहें कि मुर्गा-मुर्गी के भी खाने योग्य नहीं होते हैं।इसीलिए वह लोग डीलरों द्वारा उपलब्ध कराए गए अरवा चावल को बाजार में बेचकर खाने योग्य उसना चावल खरीद लेते हैं।चावल खरीदने वाला गिरोह औने-पौने भाव में खरीदे गए चावल को फिर उसी राइस मील मालिक के हाथों बेच देता है,जिस राइस मील से एफसीआई गोदाम तक अनाज पहुंचता है।
लाभुकों द्वारा की गयी शिकायतें गंभीर थी।इसलिए हमारी टीम ने दर्जनों डीलरों से सम्पर्क साधा।अधिसंख्य डीलरों ने कैमरे के सामने खुलकर बहुत कुछ बताने से तो इंकार कर दिया।लेकिन ऑफ द रिकार्ड जो कुछ बताया, उससे यह प्रमाणित हो गया कि एमओ और एफसीआई गोदाम प्रबंधक इस तरह की स्थिति के लिए पूरी तरह जिम्मेदार हैं।डीलरों का कहना था कि एमओ के द्वारा बहाल कथित एजेंट द्वारा उन लोगों से प्रति क्विंटल अनाज के एवज में साठ से बासठ रुपये वसूल किए जाते हैं।ऐसी स्थिति में पीडीएस डीलर अगर चोरी कर रहा है तो इसके लिए पदाधिकारी और गोदाम प्रबंधक भी जिम्मेदार हैं।
हालांकि एक महिला पीडीएस डीलर ने कैमरे के सामने आकर यह स्वीकार किया कि उसना चावल के लिए भी उन लोगों को प्रति क्विंटल पचास रुपये एफसीआई के गोदाम में देना पड़ता है।सड़ा-गला अनाज उन लोगों को नहीं मिले,इसके लिए बिचौलिए के जरिए एफसीआई के गोदाम प्रबंधक को नजराना पहुंचाना पड़ता है।एमओ साहब को अगर नजराना नहीं मिलता है तो वह डीलरों को विभागीय उलझन में फंसा देते हैं।उसके बाद पीडीएस दुकानदारों की सभी गत पूरी हो जाती है।एसडीओ द्वारा मनगढ़ंत कारणों से स्पष्टीकरण पूछा जाता है और जब तक चढ़ावा नहीं दिया जाता है,तब तक तरह-तरह से परेशान किया जाता है।विभागीय पदाधिकारियों की करतूतों का विरोध करने वाले कई पीडीएस डीलर डीएम और कमिश्नर का चौखट चूमने को विवश हैं।कई डीलरों ने नाम उजागर नहीं करने के शर्त पर बताया कि अगर पूरे मामले की इमानदारी पूर्वक जांच होगी तो कई के दागदार दामन सामने होंगे।हालांकि कोई डीलर एमओ सहित किसी भी विभागीय लोग से पंगा लेना नहीं चाहते हैं।बावजूद इसके,उससे भी बुरी स्थिति तब हो जाती है,जब उन लोगों के लाख कहने के बाद भी अनाज उपलब्ध नहीं कराया जाता है और लाभुकों द्वारा ससमय अनाज के लिए उन लोगों को जलील किया जाता है।
लाभुकों के साथ-साथ पीडीएस डीलरों द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्य के आधार पर जब हमारी टीम बीते 15मई को अलौली प्रखंड मुख्यालय स्थित एफसीआई के गोदाम पर पहुंची तो कई बाहरी लोगों का वहां जमावड़ा लगा था और गोदाम से अनाज निकालकर ट्रक पर लोड किया जा रहा था।सभी दृश्य को कैमरे में कैद करने के बाद जब हमारी टीम ने एफसीआई के प्रबंधक से बात करने की कोशिश की तो अपने आपको मुंशी बताते हुए डीएसडी के मंटू कुमार ने बताया कि अभी तक मैनेजर साहब नहीं आए हैं।
हालांकि,एफसीआई के एजीएम सुमन सौरभ के मोबाइल नंबर (8709448157)पर भी उसके बाद कॉल किया गया,लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव करना ही मुनासिब नहीं समझा।उसके बाद अलौली के एमओ दीपक कुमार के मोबाइल पर भी कॉल किए जाने पर कॉल रिसीव करना जरुरी नहीं समझा गया।बात अलग है कि मैसेज किए जाने के बाद एमओ दीपक कुमार ने कॉल किया और वस्तु स्थिति से अवगत होने के बाद कहा कि,ऑफिस पहुंचने के बाद अपनी प्रतिक्रिया दूंगा।हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि उन लोगों का कोई कुछ इसीलिए नहीं बिगाड़ सकता है, क्योंकि नीचे से उपर तक सबका कमीशन बंधा है और बंधी बंधाई रकम सब तक पहुंच रही है।बात यही नहीं थमी।कई ऐसे भी कॉल आए,जिसके जरिए कहा गया कि इस प्रसंग पर न्यूज बनाना बंद कर दीजिए।सभी लाभान्वित हो रहे हैं।आपको भी लाभान्वित किया जाएगा।कुल मिलाकर कह सकते हैं कि इस संदर्भित न्यूज नहीं चले,इसके लिए हरसंभव कोशिश की गयी।
इधर,जनवितरण विक्रेता संघ, खगड़िया के अध्यक्ष सह अधिवक्ता अशोक कुमार यादव ने एक बयान जारी कर कहा कि खगड़िया जिले में तीन महीने से लगातार बहुत ही खराब चावल पीडीएस विक्रेताओं को आपूर्ति की जाती है।आपूर्ति किया जा रहा चावल बिल्कुल ही खाने लायक नहीं है।ठीकेदार एवं विभागीय मिलीभगत से यह गोरखधंधा कई महीने से चल रहा है।इस मामले में लगातार वृद्धि हो रही है।मुफ्त अनाज के नाम पर घोटाला धीरे-धीरे चरम पर पहुंच गया है।स्थिति यह है कि इस तरह की स्थिति सीमा पार कर चुकी है।फिर भी बेचारे डीलर कुछ नहीं बोल पा रहे हैं।विभागीय लोगों के सांठ-गांठ के चलते यह कार्य हो रहा है और ठीकेदार के द्वारा घटिया किस्म के खाद्यान्न की आपूर्ति धड़ल्ले से की जा रही है।लेकिन ना ही विभागीय अधिकारियों का इस ओर ध्यान है और ना ही संगठन के नेता या जिले के कोई जनप्रतिनिधि ही इस गोरखधंधे में संलिप्त लोगों के विरुद्ध कोई ठोस निर्णय लेने के प्रति ध्यान देने मुनासिब समझ रहे हैं।अध्यक्ष के मुताबिक,मैं व्यक्तिगत रूप से सभी विभागीय अधिकारियों,संगठन के नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों से अनुरोध करते हुए कहना चाहता हूं कि यथाशीघ्र घटिया किस्म के खाद्यान्न की आपूर्ति पर रोक लगाते हुए लाभुकों के खाने लायक अच्छे किस्म के चावल की आपूर्ति कराने की दिशा में कार्य करने की कृपा करें।ताकि, व्यवस्था में शीघ्र सुधार हो।
दूसरी तरफ मानसी प्रखंड के पूर्व उपप्रमुख सह राष्ट्रीय लोकजनशक्ति पार्टी के नेता सह मानसी नगर पंचायत के वार्ड कमिश्नर हीरालाल यादव और वार्ड संघ खगड़िया के जिला सचिव सह उप मुखिया संजय कुमार के साथ-साथ खगड़िया प्रखंड अंतर्गत उत्तर माड़र पंचायत के पंचायत समिति सदस्य बच्चन सदा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि खगड़िया जिले के विभिन्न पंचायतों सहित चौथम प्रखंड अंतर्गत पश्चिमी बौरण्ये पंचायत में 2 महीने से बहुत ही खराब चावल जन वितरण प्रणाली विक्रेताओं को आपूर्ति की जा रही है।डीलरों द्वारा दिया जा रहा चावल बिल्कुल ही खाने लायक नहीं है।चावल का उठाव करने वाले लाभुक उस चावल को पानी के भाव में बेच देते हैं।ठेकेदार एवं विभागीय मिलीभगत से गंदा चावल कई महीना से भेजा जा रहा है।इस तरह के मामले में लगातार वृद्धि हो रही है।विभागीय अफसर और ठेकेदार अच्छा और खाने योग्य खाद्यान्न अच्छा नहीं भिजवाते हैं।अगर इसमें सुधार नहीं किया गया तो प्रखंड से लेकर जिला स्तर पर जन आंदोलन किया जाएगा।
बहरहाल,यह सब तो महज ट्रेलर है।पूरी कहानी सामने आना अभी भी बाकी है।लेकिन सिलसिलेवार तरीके से भ्रष्टाचार की पूरी कहानी सामने लाकर यह बताने की कोशिश जरुर करुंगा कि भ्रष्टाचार मुक्त देश बनाने का दावा करने वाले पीएम नरेन्द्र मोदी के भी राज में पूरा सिस्टम किस तरह बिका हुआ है!हद तो यह है कि उनकी ही योजना को विभागीय पदाधिकारी,ठेकेदार और पीडीएस डीलर किस तरह दीमक बनकर चाट रहे हैं!ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आगे-आगे होता है क्या?
एसडीएफ न्यूज ब्यूरो