सड़क पर जख्मी हालत में बिलखती रही महिला सिपाही और अपने कक्ष में आराम फरमाते रहे थानेदार,संवेदना का परिचय देते हुए लोगों ने किया आग्रह,तो आधे घंटे बाद पैदल ही भेजा दो जमेदार,लोगों ने कहा-वाह हो थानेदार….
राजेश सिन्हा सड़क पर बिलख रही यह लड़की कोई आम लड़की नहीं है।यह वास्तव में महिला सिपाही के तौर पर खगड़िया पुलिस लाइन में पदस्थापित है।जख्मी हालत पर जब उसे लोगों ने देखा तो धीरे-धीरे भीड़ लगने लगी। चीखते हुए चित्रगुप्तनगर के वाशिंदों सहित टाउन हॉल के समीप से गुजर रहे लोगों ने देखा,तो वह यह कहकर मदद के लिए बिलखने लगी कि साइकिल से टाउन हॉल की तरफ साइकिल से जा रही थी। इसी बीच बाइक सवार चार लफंगों ने उसका बैग ले लिया। महिला सिपाही बदहवासी में बस यही कहे जा रही थी,कि एक बाइक पर सवार चार लड़का अचानक आया और मोबाइल झपटने लगा।साइकिल से वह गिर गई,लेकिन बदमाशों से भिड़ भी गई। झपटमारों की संख्या चार रहने के कारण भारी पड़ गए।इसलिए उसका मोबाइल सहित उसका कैरियर भी ले गया।उसमें बहुत कुछ था।वह इतनी डरी थी कि इससे अधिक वह कुछ कह नहीं पा रही थी। जब लोगों ने वीडियो बनाना शुरु किया तो मुहल्लेवासियों सहित आम राहगीरों की मौजूदगी में अपने आपको सुरक्षित तो महसूस कर रही थी,लेकिन चीख-चीखकर कह रही थी,कि वीडियो बनाने से मुझ जैसी लड़की के लिए वह मोबाइल सहित छोटा बैग जिंदगी पर भारी पड़ जाता है।पैर से बुरी तरह चोटिल हो चुकी इस लड़की ने वीडियो बनाने के दौरान जो कुछ कहा,उसे सुनकर लगा कि वह अपनी बहन-बेटी जैसी है, इसलिए मैंने भी वीडियो बनाने से तमाम लोगों को यह कहकर मना कर दिया कि पहले मदद की दरकार है। उस समय घर में बैठकर ऩ्यूज बना रहा था,तभी सड़क पर हो रहे तमाशे को ले मुहल्ले के ही लोगों ने कॉल किया।मैंने तत्क्षण ही थाना को कॉल लगवाया।बावजूद इसके भी जब पुलिस मौका-ए-वारदात पर नहीं पहुंची तो मुहल्ले के लोगों ने उसका उपचार करना शुरु किया।स्थिति यह थी,कि वह अस्पताल जाने में भी डर रही थी।वहां मौजूद लोगों ने जब मुझसे कहा,तो मैंने चित्रगुप्तनगर में ही पदस्थापित एक जिम्मेदार को अपने मोबाइल से सूचना दे दे दिया।सड़क से गुजर रहे साक्षरता के पूर्व सचिव संजीब कुमार सिन्हा भी आ पहुंचे और उन्होंने माजरा जानते ही थानाध्यक्ष के मोबाइल पर सूचना देते हुए जख्मी महिला सिपाही सहित सभी को सांत्वना देते हुए कहा कि एसएचओ को सूचना दे दी गई है।स्थानीय लोगों ने कहा कि जब पुलिस विभाग की एक कर्मचारी की चीख थाना के महज चंज गज दूर आराम कर रहे थानाध़्यक्ष तक नहीं पहुंच रही,तो फिर भगवान ही मालिक है। खैर!लगभग आधे घंटे बाद चित्रगुप्तनगर से दो जनाब सादे लिबास में पैदल ही पहुंचे और उस लड़की का परिचय जानने के बाद ई- रिक्सा पर बिठाकर ले गए उसके पास का साइकिल एक अन्य लड़के को साथ लगाकर समाज के लोगों ने पीछे-पीछे लगा दिया।महिलाएं बता रही थी कि जिसके हाथ साइकिल सौंपा गया है,वह उस महिला सिपाही का रिश्तेदार है।उस लड़की को सदर अस्पताल रवाना किए जाने के बाद मुहल्ले के लोगों ने आपस में बातचीत करते हुए कहा कि वह महिला सिपाही अपना नाम उजागर नहीं करना चाहती थी।इसलिए उसका नाम उजागर नहीं होना चाहिए।वह राजेन्द्र नगर में रहती है।वैसे इस तरह की घटना कम से कम चित्रगुप्तनगर इलाके के लिए नई नहीं है।अक्सर मोबाइल छिनतई की घटना घटित होती रहती है।स्थिति तो यहां तक आई कि थाना के सामने से भी कई बार मोबाइल छीन लिया गया।पार्क के पास भी इस तरह की घटनाएं अक्सर घटित होती रहती है।जानकारी तब होती है,जब लोग हैरान-परेशान या बिलखते नजर आते हैं।चूंकि चित्रगुप्तनगर एक ऐसा मुहल्ला है,जहां मजमाबाजी पर रोक है।स्थानीय लोगों ने ही स्पष्ट मन बना रखा है कि इस चौक पर न ही लोग धूम्रपान करेंगे और न ही मजमाबाजी।लोगों का कहना है कि बाइक पर सवार अंधेरे का लाभ उठाकर किसी कमजोर पक्ष पर हमला करते हैं और उसके पास का सामान ले भागते हैं। बहरहाल,देखना दिलचस्प होगा कि चित्रगुप्तनगर के थानेदार अब भी विधि व्यवस्था को लेकर सक्रियता बढ़ाते हैं अथवा अब भी…..
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