राजेश सिन्हा खगड़िया जिले का वीआईपी इलाका कहे जाने वाले चित्रगुप्तनगर थाने में अक्सर शाम चार बजते-बजते असमाजिक तत्वों की भीड़ लगाकर मीटिंग का लीड करने वाले बेदर्द थानेदार भले ही सड़क पर कल शुक्रवार को बिलख रही महिला सिपाही रुपी बेटी का दर्द नहीं समझ सके हों,लेकिन पूरा संवेदनशील समाज ‘महादर्द’ में डूबा है।समाज के तमाम तबके के लोग बस यही कह रहे हैं कि झपटमारों का शिकार होकर बुरी तरह जख्मी हुई महिला सिपाही अगर ‘बेदर्द’ थानेदार की बेटी,बहन या अन्य रिश्तेदार होती,तो क्या घटना जानकर उन्हें दर्द नहीं होता!थानेदार को दर्द कितना हुआ और कितना नहीं,यह तो वही जानें।लेकिन यह जानकर आश्चर्य होगा कि बेदर्द थानेदार का कलेजा अब भी नहीं पसीजा है।हालांकि शुक्रवार को घटित घटना ने समाज के तमाम लोगों को झकझोर कर रख दिया है।बात अलग है कि इस तरह की घटना पहली बार घटित नहीं हुई है,लगातार इस तरह की घटनाएं घटित होती रही है और बेदर्द थानेदार आराम फरमाते रहे हैं। दरअसल,चित्रगुप्तनगर थाना अंतर्गत रजिस्ट्री मोड़-टाउन हॉल के बीच कल शुक्रवार की रात्रि लगभग नौ बजे रजिस्ट्री मोड़-टाउन हॉल के बीच एक लड़की दहाड़ मारकर रो रही थी।पास में साईकिल खड़ी थी।आस-पास से गुजर रहे लोगों सहित चित्रगुप्तनगर के वाशिंदों ने जब बिलख रही लड़की से जानना चाहा,तो उसने बताया कि वह महिला सिपाही के तौर पर खगड़िया पुलिस लाइन में पदस्थापित है।आने के क्रम में ई-रिक्शा नहीं मिला,तो वह साइकिल से ही राजेन्द्र नगर स्थित डेरा की ओर जा रही थी।इसी बीच एक ही बाइक पर सवार चार लफंगों ने उसका बैग झपटना चाहा। महिला सिपाही बदहवासी में बस यही कहे जा रही थी,कि एक बाइक पर सवार चार लड़का अचानक आया और मोबाइल झपटने लगा।साइकिल से वह गिर गई,लेकिन बदमाशों से भिड़ भी गई। झपटमारों की संख्या चार थी,इसलिए वह मुझ पर भारी पड़ गया।नतीजतन मोबाइल सहित उसका ‘कैरियर’ भी ले गया।उसमें बहुत कुछ था।वह इतनी डरी थी,कि इससे अधिक वह कुछ कह नहीं पा रही थी। जब लोगों ने वीडियो बनाना शुरु किया तो मुहल्लेवासियों सहित आम राहगीरों की मौजूदगी में उसने कहा कि प्लीज!वीडियो मत बनाइए वीडियो बनाने से मुझ जैसी लड़की के लिए वह मोबाइल सहित छोटा बैग जिंदगी पर भारी पड़ जाएगा।पैर से बुरी तरह चोटिल हो चुकी इस लड़की ने वीडियो बनाने के दौरान जो कुछ कहा,उसे सुनकर लगा कि वह अपनी बहन-बेटी जैसी है, इसलिए मैंने भी वीडियो बनाने से तमाम लोगों को यह कहकर मना कर दिया कि पहले मदद की दरकार है। उस समय घर में बैठकर ऩ्यूज बना रहा था,तभी सड़क पर हो रहे तमाशे को ले मुहल्ले के ही लोगों ने कॉल किया।मैंने तत्क्षण ही थाना को कॉल लगवाया।बावजूद इसके भी जब पुलिस मौका-ए-वारदात पर नहीं पहुंची तो मुहल्ले के लोगों ने उसका उपचार करना शुरु किया।स्थिति यह थी,कि वह अस्पताल जाने में भी डर रही थी।वहां मौजूद लोगों ने जब मुझसे कहा,तो मैंने चित्रगुप्तनगर में ही पदस्थापित एक जिम्मेदार को अपने मोबाइल से सूचना दे दे दिया।सड़क से गुजर रहे साक्षरता के पूर्व सचिव संजीब कुमार सिन्हा भी आ पहुंचे और उन्होंने माजरा जानते ही तत्क्षण ही थानाध्यक्ष के मोबाइल पर सूचना देते हुए जख्मी महिला सिपाही सहित सभी को सांत्वना देते हुए कहा कि एसएचओ को सूचना दे दी गई है।बावजूद इसके स्थानीय लोगों ने सहमते हुए कहा कि जब पुलिस विभाग की एक महिला कर्मचारी की चीख भी महज चंद कदम दूर थाना में आराम फरमा रहे थानाध़्यक्ष तक नहीं पहुंच पा रही,तो फिर भगवान ही समाज का मालिक है। खैर लगभग आधे घंटे बाद चित्रगुप्तनगर से दो जनाब सादे लिबास में पैदल ही पहुंचे और उस लड़की का परिचय जानने के बाद ई- रिक्शा पर बिठाकर ले गए। उसके पास का साइकिल एक अन्य लड़के को साथ लगाकर समाज के लोगों ने पीछे-पीछे लगा दिया।महिलाएं बता रही थी कि जिसके हाथ साइकिल सौंपा गया है,वह उस महिला सिपाही का रिश्तेदार है।उस लड़की को सदर अस्पताल रवाना किए जाने के बाद लोगों ने कहा कि,इस तरह की घटना कम से कम चित्रगुप्तनगर इलाके के लिए नई नहीं है।अक्सर मोबाइल छिनतई की घटना घटित होती रहती है।स्थिति तो यहां तक आई कि थाना के सामने से भी कई बार मोबाइल छीन लिया गया।पार्क के पास भी इस तरह की घटनाएं अक्सर घटित होती रहती है।जानकारी तब होती है,जब लोग हैरान-परेशान या बिलखते नजर आते हैं।चूंकि चित्रगुप्तनगर एक ऐसा मुहल्ला है,जहां मजमाबाजी पर रोक है।स्थानीय लोगों ने ही स्पष्ट मन बना रखा है कि इस चौक पर न ही लोग धूम्रपान करेंगे और न ही मजमाबाजी।लोगों का कहना है कि बाइक पर सवार असामाजिक तत्व अंधेरे का लाभ उठाकर किसी कमजोर पक्ष पर हमला करता है और उसके पास का सामान ले भागते हैं।कई मामले थाने में दर्ज हैं।बहरहाल,मामले का फलाफल क्या होगा और बेदर्द थानेदार कफन में जेब खोजने से कब करेंगे इंकार,यह तो देखने वाली बात होगी!लेकिन इस खबर को यह कहते-कहते छोड़े जा रहा हूं,कि झपटमारों के सितम की शिकार हुई महिला सिपाही अगर थानेदार की बेटी,बहन या रिश्तेदार होती,तो क्या होता!!
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