काहे नहीं सुन रहे हैं नीतीश भैया!त्याग की प्रतिमूर्ति नागेन्द्र सिंह त्यागी ने कह दिया साफ-साफ पुल निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ, तो शहादत दिवस से होगा आंदोलन का शंखनाद
बिहार सरकार के ताराबाद पंचायत सहित खगड़िया बेगूसराय के दस पंचायत की जनता की धैर्य का इम्तिहान ना लें। यदि जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता के आश्वासन अनुसार जनवरी तक खड़गी-तिरासी जलकौड़ा गंडक नदी पर पुल निर्माण की सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए निर्माण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ तो बाध्य होकर इस क्षेत्र के लोग राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के शहादत दिवस पर तीस जनवरी 2022 से आंदोलन का शंखनाद करेंगे। उक्त बातें खड़गी-तिरासी गांव में खगड़िया बेगूसराय के लोगों द्वारा निराश होकर आयोजित बैठक में युवा शक्ति के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नागेंद्र सिंह त्यागी ने उपस्थित पंचायतवासियों को संबोधित करते हुए कहा। ज्ञात हो कि 21 जनवरी 2021 को खड़गी-तिरासी गांव के शिव मंदिर के प्रांगण में विगत डेढ़ वर्षों से आजकल के कालजयी चक्कर में पुल निर्माण की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं होने के कारण निराश इस क्षेत्र के लोगों ने एक बैठक किया। जिसकी अध्यक्षता समाजवादी नेता रामप्रवेश सिंह एवं संचालन चंद्रशेखर तांती ने किया। अपने अध्यक्षीय संबोधन में रामप्रवेश सिंह ने कहा कि पहले तो गुहार लगाते लगाते और आवेदन पर आवेदन देते देते लोग थक गए थे। इसी बीच आंदोलन का शुरुआत हुआ और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी द्वारा पुल निर्माण का घोषणा कर इस क्षेत्र के लोगों में विकास की रोशनी जगा दिया गया। इस क्षेत्र के 70-80 वर्षीय वृद्धमान बैठे थे कि अब तक जब बड़े बड़े राज्य एवं केंद्रीय मंत्री के लाख आश्वासन के बाद निर्माण नहीं हुआ तो मेरे जीते जी तो पुल नहीं बनेगा। लेकिन मुख्यमंत्री ने मृत हो चुके सपने को जीवित कर दिया। लेकिन जिस भी परिस्थिति से हो विगत डेढ़ वर्षो से कोई कार्य नहीं होता देख अब और निराश हो चले हैं। इस क्षेत्र के लोगों को लगने लगा कि बिहार सरकार का वादा झूठा होता है। इसलिए ऐसे भी मरना है तो क्यों ना आगे पीढ़ी के लिए आंदोलन में मौत को गले लगा लें। इस अवसर पर संचालन करते हुए चंद्रशेखर तांती ने कहा कि खड़गी-तिरासी गांव अब तक छह बार कट कर स्थानांतरित हो चुका है। यदि कटाव का तूफान इसी कदर रहा तो एक वर्ष के अंदर पुन: खड़गी-तिरासी को स्थानांतरित होना होगा। इसलिए जिला प्रशासन से कटाव निरोधक कार्य करवाने की मांग की। वहीं अवध बिहारी संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य उमेश प्रसाद सिंह, भवानी सिंह, धीरज कुमार, राम बालक सिंह, रमेश कुमार, जवाहर राम, कैलाश सिंह, दिल चंद्र सिंह, किरानी चौधरी, मंटू सिंह, नंदन चौधरी, रामचंद्र चौधरी, परमानंद सिंह, जयप्रकाश सिंह, मुकेश चौधरी एवं प्रदीप चौधरी ने अंचल कर्मचारी द्वारा जमीन पर पैमाईश करने के नाम पर तीन-तीन हजार रुपए लेने पर आक्रोश व्यक्त किया। जिला प्रशासन से भ्रष्ट कर्मचारी पर विलंब कार्रवाई करने की मांग की।
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