पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Election 2021) के नजरिये से देखें तो 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर होने वाले कार्यक्रमों की राजनीतिक बहुत अहमियत मानी जा रही है.
नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल (West Bengal) में आगामी विधानसभा चुनाव (Assembly election 2021) के मद्देनजर प्रतीक और विचारों की राजनीति शुरू हो गई है. इस बीच नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) की 125वीं जयंती के मौके पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बीच राजनीति शुरू हो गई है. एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) 23 जनवरी को स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर कोलकाता में आयोजित ‘पराक्रम दिवस’ समारोह को तो वहीं सीएम ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) 8 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगी.
इसके साथ ही प्रधानमंत्री कोलकाता के विक्टोरिया मेमोरियल में पराक्रम दिवस समारोह के उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता करेंगे. इस कार्यक्रम में सीएम ममता बनर्जी को भी आमंत्रित किया गया है. हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि बनर्जी इस कार्यक्रम में शामिल होंगी या नहीं. अगर ममता इस कार्यक्रम में शामिल होती हैं तो बंगाल के चुनाव से पहले राजनीति की बड़ी तस्वीर सामने आएगी, जिसमें पीएम मोदी और सीएम ममता एक साथ एक कार्यक्रम में नजर आएंगे.
अहम हैं आज के कार्यक्रम!
बंगाल चुनाव के नजरिये से देखें तो 23 जनवरी को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर होने वाले कार्यक्रमों की राजनीतिक अहमियत बहुत है. बंगाल चुनाव में एक ओर जहां बीजेपी बंगाली अस्मिता से खुद को जोड़ने की कोशिश में लगी है तो वहीं टीएमसी खुद को बंगाल की संस्कृति की रक्षक बता रही है.
नेताजी कामिली की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार ममता शनिवार को दोपहर 12.15 बजे शंखनाद कर के पद यात्रा शुरू करेंगी. बनर्जी के इस कार्यक्रम में पार्टी के बड़े नेता समेत कई समाजिक कार्यकर्ता मौजूद रहेंगे.
पराक्रम दिवस की आलोचना
हाल ही में केंद्र ने फैसला किया था कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती को पराक्रम दिवस के तौर पर मनाया जाएगा, जिस पर पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और फॉरवर्ड ब्लॉक ने केंद्र सरकार के निर्णय की आलोचना की थी. तृणमूल कांग्रेस के नेता सौगत राय ने कहा था कि इस दिन को केवल पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाना ही काफी नहीं है.
उन्होंने कहा था, ‘ 23 जनवरी को राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया जाना चाहिए. हम लंबे समय से यह मांग कर रहे हैं. वह राष्ट्रीय नेता थे और आजाद हिंद फौज के प्रमुख थे, ऐसे में केवल पराक्रम दिवस के जरिए यह दोनों बिंदु प्रदर्शित नहीं होते हैं. हमने इस दिन को देश प्रेम दिवस के तौर पर मनाने की भी मांग की थी.’