खगड़िया(अनिश सिंह)।
जिले के मानसी थाना में दर्ज (कांड संख्या- 57 / 22)में सजिश के तहत निर्दोष एक शिक्षिका सहित उनके पति को फंसाए जाने के मामले को खगड़िया एसपी ने गंभीरता से लिया और खुद घटना स्थल पर पहुंचकर मामले की सत्यता की जांच की।तत्पश्चात एसपी ने सदर डीएसपी के पर्यवेक्षण रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया और वादिनी के खिलाफ धारा 182 / 211 के तहत कार्रवाई का आदेश आईओ को दिया है।इससे डीएसपी की ईमानदारी व काबिलियत पर सवाल उठने लगे हैं ।
दरअसल,हुआ यह कि,मानसी थाना अंतर्गत धरमचक निवासी जितेन्द्र कुमार सिंह और सहोदर भाई राजीव सिंह के बीच जमीनी विवाद को लेकर बोलचाल बंद है।जितेन्द्र कुमार की पत्नी सीता देवी शिक्षिका हैं,जो परिवार के साथ वर्षों से बेगूसराय जिले के साहेबपुर कमाल थाना अंतर्गत न्यू जाफर नगर मे घर बनाकर परिवार के साथ रह रही हैं।लेकिन शिक्षिका सीता देवी की सफलता उनकी गोतनी लक्ष्मी देवी उनके पति राजीव सिंह को रास नहीं आ रहा है।नतीजतन लक्ष्मी देवी अपने पति के साथ मिलकर साजिश -दर-सजिश रच सीता देवी तथा उनके पति को तंग और तबाह करने के प्रयास में जुट गए हैं।इसी सजिश के तहत लक्ष्मी देवी ने स्थानीय थाने में कांड संख्या 57/022 अंकित करा सीता देवी व उनके पति को नामजद अभियुक्त बनाया।
दर्ज प्राथमिकी में घर घुसकर गर्भवती के साथ मारपीट करने व चोट की वजह से मृत बच्चा पैदा होने सहित कई संगीन आरोप लगाए गए।सदर डीएसपी ने इस घटना को सही ठहरा कर अभियुक्त को दोषी करार दे दिया।डीएसपी के सुपरविजन रिपोर्ट से असंतुष्ट शिक्षिका सीता देवी के भाई पूर्व प्रमुख मनोज कुमार ने डीआईजी को आवेदन देकर इस मामले की जांच एसपी से कराने की मांग की।डीआईजी के निर्देश पर एसपी ने घटना स्थल पर जाकर मामले की बारीकी से जांच की।एसपी ने मोबाइल लोकेशन,डॉक्टर के पुर्ज़ा सहित कई बिन्दुओं का अवलोकन करने के बाद घटना को ही फर्जी करार दिया।इतना ही नहीं,अभियुक्त को निर्दोष बता वादिनी के खिलाफ धारा 182/211 के तहत कार्रवाई का आदेश दिया है।हालांकि इस तरह का मामला पहली बार सामने नहीं आया है।सुपरविजन के नाम पर डीएसपी और सदर इंस्पेक्टर ने कानून को ताक पर रखकर कई निर्दोष लोगों को जेल भेजा है और कई को जेल भेजने की कोशिश में लगे हैं।सदर इंस्पेक्टर ने तो एक मामले में निर्दोष को तंग और जेल भेजने के उद्देश्य से धारा 307 के तहत चित्रगुप्तनग नगर थाना में दर्ज मामले को सत्य करार दे दिया।केस के आईओ सदर अस्पताल के डॉक्टर द्वारा दिए गए जख्म प्रतिवेदन में जख्म को मामूली बताए जाने के बाद भी इंस्पेक्टर ने डॉक्टर के जख्म प्रतिवेदन का उल्लेख तो किया है,लेकिन यह लिखकर मामले को संगीन बना दिया है कि,सिर में जख्म देखकर ऐसा लगता है कि,जान मारने की नियत से हमला किया गया है।
खैर!इंस्पेक्टर द्वारा टेबल पर बैठे-बैठे रुपये के दम पर किए गए सुपरविजन को छोड़कर अगर डीएसपी के पर्यवेक्षण रिपोर्ट की बात करें,तो मानसी थाना कांड संख्या -57/022 में खगड़िया सदर डीएसपी के पर्यवेक्षण रिपोर्ट पर सवाल उठने लगे हैं।पूर्व प्रमुख मनोज कुमार,अजीत कुमार , राम बाबू सहित कई लोगों का कहना है कि,इस मामले में एसपी खुद नहीं जांच करते,तो निर्दोष शिक्षिका सीता देवी व उनके पति जितेंद्र कुमार सिंह को जेल जाना ही पड़ता।क्योंकि,डीएसपी ने अपने पर्यवेक्षण रिपोर्ट में निर्दोष शिक्षिका व उनके पति को दोषी ठहरा दिया।जबकि एसपी ने अपने जांच प्रतिवेदन में केस को ही फर्जी साबित कर दिया।ऐसे में सवाल यह उठता है,अखिर डीएसपी ने किस आधार पर अपने जांच प्रतिवेदन में अभियुक्त को दोषी ठहराया? चांदी के जूते के दबाब में आकर यह काम किया,या फिर काबिलियत नहीं होने की वजह से निर्दोष को दोषी करार दिया। लोगों के बीच चर्चा होने लगी है कि, डीएसपी ने न जाने कितने निर्दोष लोगों को दोषी ठहरा कर जेल भेजा होगा!यह जांच का विषय है।इसी को कहते हैं ‘खाता न बही,पुलिस जो करे वही सही।बहरहाल,पूर्व प्रमुख ने डीएसपी के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर डीजीपी से मिलने की बात कही है।कहा है कि,इस मामले को विधानसभा में भी उठवाएंगे।