सांपों की सुनाई देती फुफकर के बीच जिले के पसराहा थाना पुलिस के लिए रहना- सोना दुश्वार हो गया है।न ही खाना बनाने का साधन रह गया और न ही चैन की नींद सो पाना नसीब हो पा रहा है।ऐसी स्थिति में सवाल यह उठने लगा कि,आखिर कैसे होगी क्षेत्र की रखवाली,कैसे होगी थानेदारी।वैसे तो बेमौसम हो रही बरसात ने दुर्गा पूजा के इस पावन अवसर पर अन्य जगहों के लोगों के लिए भी मुसीबत खड़ा कर दिया है,लेकिन पसराहा थाना पुलिस के लिए फिलवक्त हो रही बारिश ने मुसीबत का सबब पैदा कर दिया है।पहले से जर्जर भवन में रह रहे पसराहा थाना पुलिस के साथ-साथ थानाध्यक्ष जर्जर खपरैल मकान के आगे पानी जमाव के कारण खासे परेशान हो गए हैं।खपरैल मकान से पानी टपक रहा है,सो अलग।जर्जर खपरैल मकान के पीछे सांपों का डेरा है।नतीजतन रह-रहकर सांपों की फुफकार तो सुनाई देती ही है,अक्सर सांपों का निकलना जारी रहता है।हालांकि बताया जाता है कि, कुछ वर्ष पूर्व ओला गिरने के दौरान पुलिस पदाधिकारी और थानेदार के रहने वाला खपरैल मकान बुरी तरह जर्जर हो चुका है।हल्की बारिश भी होती है,तो पुलिस पदाधिकारी सहित थानेदार के हाथ-पांव फूलने लगते हैं।इतना ही नहीं,एक खाली स्कूल में रही महिला पुलिस के साथ-साथ पदाधिकारियों के नाम स्कूल छोड़ने का आदेश जारी कर दिया गया है।नतीजतन,फुर्सत के क्षणों में खाली स्कूल में रह रही महिला पुलिस के साथ-साथ पदाधिकारियों के सिर पर भी बारिश के इस मौसम में मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है।इधर,थानाध्यक्ष अमलेश कुमार हो रही तमाम तरह की दुश्वारियों को कबूलते तो हैं, लेकिन इस संदर्भ में ज्यादा कुछ कहने से इंकार करते हैं।बहरहाल,देखना दिलचस्प होगा कि,पसराहा थाना पुलिस के साथ-साथ थानेदार के रहने-सोने के नाम पर किसी बेहतर ठौर का इंतजाम होता है अथवा पानी-पानी हो चुके जर्जर खपरैल मकान में सांपों की फुफकार के बीच ही रहने को मजबूर रहते हैं!
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