वक्ताओं ने आखिर क्यों कि, सरस्वती स्वरुपा भारत की प्रथम महिला शिक्षिका ज्योति राव सावित्री बाई फुले की घर-घर होनी चाहिए पूजा!’बदलते भारत में महात्मा फुले एवं सावित्रीबाई फुले की प्रासंगिकता’विषयक सेमिनार आयोजित
19वीं शताब्दी में जिस समय शोषित समाज को विद्या मंदिर से लेकर भगवान के मंदिर तक में प्रवेश से वर्जित रखा जाता था,छुआछूत और ऊंच-नींच चरम सीमा था।उस समय समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले ने उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपनी पत्नी को न केवल अध्यापिका बनाया, बल्कि समाज के बच्चों को शिक्षित करने का भागीरथ प्रयास भी किया था।यह अपने आप में एक मिसाल था।आज हम किसी भी शताब्दी में चल रहे हैं,लेकिन विकासवाद के सिद्धांत से परिस्थितियां बदली नहीं है।आज भी शिक्षा को गरीब बच्चों से कोसों दूर किया जा रहा है।सरकार की सोच बच्चे को साक्षर बनाना है,ना कि शिक्षित करना।इसलिए ज्योतिराव फुले और प्रथम महिला शिक्षिका सावित्रीबाई फुले के विचार की प्रासंगिकता और ज्यादा बढ़ गई है।उपरोक्त बातें सदर प्रखंड अंतर्गत सबलपुर माड़र स्थित कन्या मध्य विद्यालय के प्रांगण में ज्योतिराव फुले अंबेडकर जगदेव कर्पूरी विचार मंच के तत्वाधान में आयोजित सेमिनार ‘बदलते भारत में महात्मा ज्योतिराव फुले एवं सावित्रीबाई फुले की प्रासंगिकता’ विषय पर अपने अध्यक्षीय संबोधन में तिलकामांझी विश्वविद्यालय भागलपुर के पूर्व उपकुलपति छमेंद्र कुमार सिंह ने कही। इस कार्यक्रम का उद्घाटन टीएनबी भागलपुर के पूर्व प्राचार्य राम प्रकाश वर्मा, मुख्य अतिथि माकपा विधायक अजय कुमार सिंह, मंच के संयोजक विजय कुमार सिंह एवं युवा शक्ति के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नागेंद्र सिंह त्यागी ने संयुक्त रुप से दीप प्रज्वलित कर किया।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में पूर्व प्राचार्य डॉ. राम प्रकाश वर्मा ने कहा कि,जिस मनुवादी व्यवस्था ने समाज सुधारक महात्मा ज्योतिराव फुले के योगदान को देश पटल पर नहीं आने दिया,आज भी सर्वहारा समाज इससे अछूता नहीं है। जिसका परिणाम है कि,देश के 54 विश्वविद्यालयों में इस वर्ग की भागीदारी आज भी 2% से अधिक नहीं है।इसका मुख्य कारण षड्यंत्र के तहत इस में एकल पद के लिए विभाग से विज्ञापन निकाला जाता है।षड्यंत्र के तहत सर्वहारा वर्ग के बच्चों को छोड़ दिया जाता है।
अतिथि के रुप में उपस्थित माकपा विधायक दल के नेता अजय कुमार सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि, ज्योतिराव फुले तथा सावित्रीबाई फुले के विचारों को समझने की जरुरत है।इससे सत्यशोधक समाज के परिकल्पना को साकार ही नहीं, सुंदर समाज का निर्माण भी किया जा सकता है।इस कार्यक्रम का विषय प्रवेश मंच के संयोजक एवं इस सेमिनार के आयोजक विजय कुमार सिंह ने किया।अतिथि का स्वागत युवा शक्ति के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नागेंद्र सिंह त्यागी ने किया।इस कार्यक्रम का संचालन पहचान संघ के संस्थापक मुल्क राज आनंद ने किया।व्यवस्था मंडल के सदस्य शिक्षाविद संजय गुप्ता, पूर्व सरपंच राम बहादुर सदा, गौतम गुप्ता,पवन पासवान, ज्ञान सिंह द्वारा सभी अतिथियों को शाॅल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।इस कार्यक्रम के तहत आए दर्जनों स्कूल के प्रधानाध्यापकों को शहीद प्रभु नारायण के प्रतीक फोटो एवं ज्योतिराव फुले लिखित ‘गुलामगिरी’पुस्तक भेंट किया गया।
प्रो. कपिलदेव महतो, प्रो. अकील हैदर,पत्रकार चंद्रशेखरम,सुभाष चंद्र जोशी, कांग्रेस नेत्री प्रीति वर्मा,जन अधिकार पार्टी के जिला अध्यक्ष कृष्णानंद यादव, गौछारी के मुखिया शंभू चौरसिया,जिप सदस्य प्रतिनिधि सुनील चौरसिया, पूर्व मुखिया मधुसूदन महतो, ‘हम’ के जिलाध्यक्ष संजय यादव,सूरज नारायण वर्मा, पूर्व प्राचार्य डॉ उमेश प्रसाद सिंह,रमेश कुमार,वीरेंद्र सिंह कुशवाहा,राकेश पासवान शास्त्री,राहुल सिंह,रंजन सिंह, डॉक्टर नंदन,शिक्षक अर्जुन कुमार महेश,संजीव कुमार पासवान,प्रभाकर मंडल, सुनील मंडल,अनिल साह, संजय ठाकुर इत्यादि वक्ताओं ने कहा कि,फुले दंपति के विचारों को जन-जन तक पहुंचा कर ही मानसिक गुलामी से मुक्ति पायी जा सकती है।उन्होंने कहा कि, सरस्वती माता की पूजा करते हैं,इससे गुरेज नहीं है।लेकिन साक्षात सरस्वती माता के रूप में भारत की प्रथम महिला शिक्षिका ज्योति राव सावित्री बाई फुले हैं,इनकी भी पूजा घर-घर होनी चाहिए।
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