प्रवीण कुमार प्रियांशु की रिपोर्ट
सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित खगड़िया जिला ऐसा है,जहां गेहूं और मक्के की खेती ज्यादा होती है।मक्का मे यूरिया की खपत अधिक होती है।बावजूद इसके खगड़िया जिले को नवम्बर माह में महज 50% यूरिया उपलब्ध कराया गया है।यूरिया की घोर किल्लत होने से उर्वरक विक्रेता मनमाना कीमत वसूल रहे हैं।लेकिन जिला कृषि पदाधिकारी का इस पर कोई नियंत्रण नहीं है।इसके कई प्रमाण मेरे पास हैं।उक्त बातें बिहार किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष धीरेन्द्र सिंह टुडू ने बिहार सरकार के कृषि निदेशक को पत्र लिखकर कहा है।कृषि विभाग के निदेशक को लिखे पत्र में श्री टुडू ने कहा है कि,उर्वरक की कालाबाजारी में संलिप्त कृषि समन्वयक और प्रखंड कृषि पदाधिकारी के विरुद्ध जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा कोई कार्रवाई नहीं किए जाने से कई गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
श्री टुडू के मुताबिक,मैं निवेदन करुंगा कि,जिले में किसानों के साथ हो रहे लूट और शोषण के खिलाफ सहित जिला कृषि पदाधिकारी की कार्यशैली की जांच की जाय तथा उर्वरक की कालाबाजारी पर रोक के लिए विभाग के द्वारा उच्च स्तरीय जांच कराना सुनिश्चित किया जाय।ताकि,उर्वरक की कालाबाजारी पर रोक के साथ-साथ जिला कृषि पदाधिकारी की गलत कार्यशैली पर रोक लग सके।बिहार किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा है कि, पूर्व से जिला कृषि पदाधिकारी की दागदार कार्यशैली से संदर्भित जांच प्रतिवेदन विभाग में जमा है।उन्होंने दावे के साथ लिखा है कि,आवश्यकता होने पर कई गंभीर आरोप का साक्ष्य के साथ शपथ पत्र भी दे सकता हूं।कृषि विभाग के निदेशक को लिखे पत्र की प्रतिलिपि विभागीय सचिव के साथ-साथ खगड़िया के जिलाधिकारी को भी आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रेषित की गई है।बहरहाल, देखना दिलचस्प होगा कि, दागदार कार्यशैली को ले चर्चित जिला कृषि पदाधिकारी सहित अन्य विभागीय पदाधिकारियों के विरुद्ध समुचित कार्रवाई करते हुए किसानों को प्रर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध कराया जाता है,अथवा किसानों को भगवान भरोसे ही खेती करने के लिए यूं ही छोड़ दिया जाता है!!