अजिताभ सिन्हा की रिपोर्ट
खगड़िया।आजादी के बाद गठित पंचायती राज सन्हौली के प्रथम मुखिया की जयंती के अवसर पर सन्हौली कोठी के प्रांगण में उनके पूर्वज मुंशी रामलाल की आदमकद प्रतिमा का अनावरण परिवार के वरिष्ठ सदस्य कृष्णानंद प्रसाद,सुरेन्द्र मोहन सिन्हा एवं सेवानिवृत्त विंग कमांडर रमेश चंद्र प्रसाद द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।इस अवसर विंग कमांडर श्री प्रसाद ने अपने पूर्वजों द्वारा सामाजिक,राष्ट्रीय और शैक्षणिक क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्यों को याद किया और नयी पीढ़ी को उससे प्रेरणा लेने की जरुरत पर बल दिया।उन्होंने कहा कि,मैंने जय किसान के साथ जय जवान जोड़ने की कोशिश की।
उल्लेखनीय है कि,सुरेश प्रसाद वर्ष 1952 से 1998 तक लगातार निर्विवाद रुप से मुखिया पद पर विराजमान रहे।वह श्यामलाल ट्रस्ट के मैनेजिंग ट्रस्टी भी रहे।उनके कार्यकाल में ही डीएवी स्कूल और केन्द्रीय विद्यालय जैसी शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका शैक्षणिक विकास में प्रारंभ हुई।
उनके पूर्वज मुंशी रामलाल सोनवर्षा राज के दीवान थे।उनके परिवार में रणछोड़ प्रसाद लंदन से पढ़ाई पूरी करने के बाद भारतीय प्रशासनिक सेवा के नामचीन अधिकारी बने।उनके भाई परमानन्द प्रसाद ने स्वतंत्रता आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
इतना ही नहीं, उन्हें स्वामी सहजानंद सरस्वती तथा महात्मा गांधी का सानिध्य भी मिला।वह अर्थशास्त्री के रुप में प्रसिद्ध हुए।
कारगिल युद्ध के दौरान मेजर श्यामल सिन्हा ने देशसेवा की अप्रतिम मिशाल पेश की।उनके साहसिक कार्यों के लिए उन्हें वीरचक्र प्रदान किया गया।परिवार के अन्य सदस्य वर्तमान समय में विभिन्न क्षेत्रों में सफलता हासिल कर परिवार को यशस्वी बनाने में योगदान दे रहे हैं।कृष्णानंद प्रसाद प्रगतिशील किसान हैं तथा उनके पुत्र राजीव प्रसाद उर्फ पिंकू बाबू प्रसिद्ध अधिवक्ता हैं।कृष्णानंद प्रसाद के भाई परमेश्वर प्रसाद उर्फ लल्लू बाबू मुंगेर के नामी वकील हुए।
अपने परिवार की यश गाथा को पुस्तक के रुप में श्री हर्ष ने पिक्टोरियल बायोग्राफी ऑफ परमानन्द प्रसाद- लाइफ जर्नी आफ परमानन्द प्रसाद के नाम से प्रकाशित कराया है।उन्होंने पिंकू बाबू को अपने पूर्वज की मूर्ति स्थापित करने की परिकल्पना के लिए साधुवाद दिया।
उन्होंने अपनी धरती, सन्हौली का आभार जताया।समारोह में बड़ी संख्या में सन्हौली के स्थानीय निवासी, जिला न्यायालय के दर्जनों अधिवक्ता तथा समाज के प्रबुद्ध व्यक्ति उपस्थित थे।