खगड़िया(श्रवण आकाश)।
जिले के अलौली और परबत्ता में बंध्याकरण ऑपरेशन के दौरान बरती गई लापरवाही का मामला अभी भी सुलग रहा है।अलौली पीएचसी में 12 नवंबर 2022 को तत्कालीन सिविल सर्जन डॉ अमरनाथ झा के करीबी एनजीओ द्वारा शिविर में बिना बेहोश किए बंध्याकरण किए जाने का मामला अभी भी गरमाया हुआ है और लोगों को उम्मीद है कि,इस मामले में दोषियों के विरुद्ध विधिसम्मत कार्रवाई जरुर होगी।बीते शुक्रवार अर्थात 3फरवरी को मुंगेर क्षेत्रीय उपनिदेशक डॉ. पीएम सहाय के नेतृत्व में जांच टीम ने अलौली की पीड़िता के घर पर पहुंच कर वीडियोग्राफी के साथ पूछताछ की,तो लोगों की उम्मीदें और परवान चढ़ी।लेकिन जब यह खबर निकलकर सामने आयी कि, जांच के बाद टीम के सदस्यों ने अलौली पीएचसी में सेवा सत्कार के लिए बनाए गए नॉनवेज व वेज सहित लजीज व्यंजन का आनंद लिया,तो फिर कई सवाल भी जन्म लेने लगे।इस तरह की स्थिति सामने आने के बाद जांच टीम की साख पर प्रश्नचिन्ह तो खड़ा हुआ ही,लेकिन जब बंध्याकरण सहित विभिन्न मामलों की जांच को लेकर शुक्रवार की संध्या मुंगेर क्षेत्रीय उपनिदेशक डॉ. पीएम सहाय,सिविल सर्जन डॉक्टर आरएन चौधरी समेत कई अन्य पदाधिकारीगण परबत्ता सीएचसी पहुंचे और अस्पताल में खबर संकलन करने गए स्थानीय पत्रकारों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया,तो मामला और भी गंभीर हो गया।
जांच टीम के द्वारा पत्रकारों को न केवल वीडियो बनाने से रोक दिया गया,बल्कि कहा गया कि,गोपनीय तरीके से विभिन्न मामलों की जांच हो रही है।इसलिए पत्रकारों का प्रवेश वर्जित है।
इतना ही नहीं,स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के आगमन की सूचना मिलने पर एआईएसएफ के जिला सह सचिव प्रशांत कुमार सुमन समेत अन्य लोग भी अपनी विभिन्न मांगों को लेकर सीएचसी परबत्ता पहुंचे।लेकिन सभी की बातों को अनसुना कर दिया गया।अधिकारियों के इस रवैये पर मिलने पहुंचे लोगों ने नाराजगी जताई।
हालांकि सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व के मामलों की जांच को लेकर ही स्वास्थ्य विभाग के पदाधिकारीयों का परबत्ता सीएचसी में आगमन हुआ था।पदाधिकारीगण जांच व पूछताछ करने गए थे।स्थानीय पत्रकारों और विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं समेत स्थानीय लोगों के मन में यह जानने की जिज्ञासा थी कि,जांच करने आए पदाधिकारी कितनी पारदर्शिता के साथ जांच कर रहे हैं।लेकिन जांच करने परबत्ता पहुंचे विभागीय पदाधिकारियों ने कुछ ऐसा किया कि,लोग दंग रह गए।वर्तमान समय में जांच टीम की साख पर स्थानीय लोगों और पत्रकारों के द्वारा कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं।स्थानीय लोगों का कहना है कि,देश के चौथे स्तम्भ का प्रवेश वर्जित करना जांच टीम की निष्पक्षता पर सवाल तो जरुर खड़ा कर रहा है।
ज्ञापन सौंपने आए समाजिक कार्यकर्ताओं के साथ अफसरशाही जैसा सलूक भी हैरतअंगेज करने वाला है।
स्थानीय लोगों के साथ-साथ पत्रकारों का कहना है कि,क्या पत्रकारों द्वारा खबर संकलन करना उन लोगों के लिए गले का फांस साबित हो सकता था!आम आदमी, पदाधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के लिए आइना कहे जाने वाले पत्रकारों पर क्या उन्हें विश्वास नहीं था!एआईएसएफ छात्र संगठन व अन्य समाजिक कार्यकर्ता की बातों को सुनना क्या उन लोगों के लिए घातक हो सकता था!विभिन्न बिंदुओं पर पूछताछ और जांच यदि पारदर्शिता तरीके से हो रही थी,तो पत्रकारों की मौजूदगी पर आखिर उन लोगों को क्या आपत्ति थी!
इधर एआईएसएफ के जिला सह सचिव प्रशांत सुमन, प्रखंड प्रमुख रीता कुमारी, चेयरमैन अर्चना देवी,भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के अंचल मंत्री नवीन चौधरी आदि ने भी पत्रकारों के प्रवेश को वर्जित किए जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि,पत्रकार और समाजिक कार्यकर्ताओं के साथ इस तरह का रवैया बिल्कुल निंदनीय है।इस तरह की स्थिति के बीच जांच टीम की साख सवालिया घेरे में तो जरुर है!बहरहाल,देखना दिलचस्प होगा कि,बंध्याकरण ऑपरेशन सहित अन्य मामलों की जांच का फलाफल कब तक सामने आता है!!