खगड़िया(मोहम्मद नैयर)।
जिले के बेलदौर प्रखंड क्षेत्र के कुछ विद्यालयों में पदस्थापित शिक्षक शिक्षण कार्य को ले कम,डॉक्टरी पेशे के लिए खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं।अन्य शिक्षक की बातों को कुछ देर के लिए दरकिनार कर अगर बेलदौर प्रखंड क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय छोटी भरना के प्रधानाध्यापक राजेंद्र कुमार की करें,तो स्थानीय लोगों का कहना है कि,यह जनाब शिक्षण कार्य में समय कम देते हैं।ग्रामीण चिकित्सक रहने के कारण अधिकांश समय क्षेत्र में डॉक्टरी पेशे को देते हैं।इसके पूर्व उक्त शिक्षक प्राथमिक विद्यालय पुनर्वास पचौत में कार्यरत थे।लेकिन नियोजन इकाई द्वारा सम्मान के तौर पर उनको प्राथमिक विद्यालय छोटी भरना में प्रतिनियुक्त किया गया और वह उक्त विद्यालय में प्रभारी प्रधानाध्यापक के पद पर कार्यरत हैं।हालांकि विभागीय पत्र के आलोक में इन्हें मूल विद्यालय में चला जाना चाहिए।कुछ दिन पहले प्रतिनियुक्त शिक्षकों को अपने मूल विद्यालय में वापस जाने के लिए आदेश निकाला गया था।लेकिन अभी तक प्रतिनियुक्त प्रभारी प्रधानाध्यापक उक्त विद्यालय में कैसे कार्यरत हैं,यह सवाल तो सुलग ही रहा है,विभागीय उदासीनता को भी दर्शाता है।ग्रामीणों की बातों पर अगर भरोसा करें,तो उक्त शिक्षक विद्यालय में ही सो जाते हैं।बच्चे पठन-पाठन के लिए उन्हें जगाते रहते हैं।लेकिन कुंभकर्णी निद्रा के कारण उनकी नींद खुलती ही नहीं है और विद्यालय के छोटे-छोटे बच्चे चिल्लाते-चिल्लाते थक जाते हैं।उक्त शिक्षक अपने मूल विद्यालय में कब लौटेंगे,यह चर्चा का विषय बना हुआ है।
अब सवाल यह उठता है कि, विभागी़य आदेश की धज्जियां उड़ाकर शिक्षण कार्य में कम, मरीजों के इलाज में अधिक दिलचस्पी लेने वाले शिक्षक पर विभाग कब तक मेहरबान बना रहेगा!बीमार होती जा कही शिक्षण व्यवस्था का इलाज कौन करेगा!यह गंभीर विषय तो जरुर बना हुआ है।
वैसे कहा जाता है कि, हेडमास्टर साहब की पैरवी-पहुंच इतनी लंबी है कि,इनके विरुद्ध कार्रवाई की बात तो दूर,कोई इनसे वाजिब सवाल तक नहीं कर सकता।