एसडीएफ डेस्क
खगड़िया।बहुचर्चित शिक्षण संस्थानों की सूची में शुमार डीएवी पब्लिक स्कूल में अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए लगभग सभी तबके के लोग लालायित रहते हैं।लेकिन गरीबों के बच्चों को बीपीएल कोटे के नाम पर किस तरह परेशान किया जाता है,यह समय-समय पर सामने आ रहा है।पूर्व प्राचार्य विजय कुमार पाठक,जूनियर विंग के इंचार्ज निलेश कुमार चौबे और ड्राइवर रुपेश कुमार द्वारा बीपीएल कोटे से नामांकित बच्चों के साथ जिस तरह खिलवाड़ किया गया,उसे जानकर न केवल लोग हैरत में हैं,बल्कि व्यवस्था को लगातार कोस रहे हैं।सवाल यह भी उठ रहा है कि,डीएवी स्कूल का पठन-पाठन उच्च श्रेणी का है और बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ नैतिकता का भी पाठ पढ़ाया जाता है, लेकिन अगर विद्यालय के प्राचार्य ही रुपये का गोलमाल करने लगे,तो फिर बच्चों को नैतिकता का पाठ आखिर पढ़ाएंगे कौन!हालांकि अब जबकि पूरा मामला खगड़िया के नूर-ए-नजीर कहे जाने वाले जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष के दरबार तक पहुंच गया है,तो कार्रवाई तो निश्चित ही होगी।जिलाधिकारी को दिए गए आवेदन में जिले के नगर थाना अंतर्गत हाजीपुर निवासी मोहम्मद इलियास के पुत्र मोहम्मद ईरशाद आलम ने जिला मुख्यालय के राजेन्द्र नगर स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल के पूर्व प्राचार्य विजय कुमार पाठक की करतूत को रेखांकित करते हुए कहा है कि,एक मामूली फल विक्रेता होने के बाद भी उन्होंने डीएवी पब्लिक स्कूल में बच्चे को पढ़ाने का साहस किया।
खगड़िया के सांसद मोहम्मद कैसर अली की अनुशंसा और बेगूसराय जोन की एआरओ श्रीमति कुमार अंजली की कृपा से उनके बच्चों का नामांकन बीपीएल कोटे से 2017में पूर्व प्राचार्य चन्द्रमणि सिंह के कार्यकाल में कर तो लिया गया,लेकिन बीपीएल कोटे के नाम पर भयादोहन तो किया ही गया,अब मानसिक तौर पर परेशान भी किया जा रहा है।बीते 16फरवरी को वर्ग शिक्षक के द्वारा कहा गया कि,फी के तौर पर टोटल एक लाख बीस हजार रुपये जमा करिए,अन्यथा आपके बच्चे को वार्षिक परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा।जबकि वर्ष 2017से वर्ष 2021तक का बीपीएल स्लिप उनके पास है।वास्तविता क्या है,तो डीएम साहब द्वारा जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।वैसे यह भी स्पष्ट कर दूं कि,वर्तमान प्राचार्य का इस पूरे प्रकरण से कोई लेना-देना नहीं है।लोग उनकी कार्यशैली की प्रशंसा करते थकते तक नहीं हैं।
दरअसल,खगड़िया जिले के नगर थाना अंतर्गत हाजीपुर निवासी मोहम्मद ईरशाद आलम ने पूरे साक्ष्य के साथ डीएवी पब्लिक स्कूल, खगड़िया का पूरा काला चिट्ठा खोलकर रख दिया था।विधिसम्मत कार्रवाई के लिए जांच की आंच तेज हुई, लेकिन पता नहीं क्यों,धीमी भी पड़ गयी।या यूं कहें कि, मामले को ठंढ़े बस्ते में डाल दिया गया।
मोहम्मद इरशाद आलम का कहना था कि,डीएवी स्कूल में व्याप्त भ्रष्टाचार की कहानी को रेखांकित करते हुए उन्होंने स्वयं एवं अन्य बीस अन्य अभिभावकों का हस्ताक्षर युक्त आवेदन डीएवी कॉलेज की मैनेजिंग कमिटी,नई दिल्ली को भेजा था।प्रेषित आवेदन के आलोक में सुनवाई स्वरुप बीते वर्ष 2022के 24 जून को डीएवी के वरीय पदाधिकारी के तौर पर रामाशीष राय,अनिल सिंह तथा केके सिन्हा की जांच कमिटी ने डीएवी स्कूल, खगड़िया में उनसे पूछताछ भी की।यहां तक कि,जांच के बाद प्राचार्य विजय कुमार पाठक का खगड़िया से ट्रांसफ़र करते हुए डीएवी स्कूल,बिहारशरीफ भेज भी दिया गया।लेकिन उसके बाद मामले की लीपापोती कर अभिभावकों की आंखों में धूल झोंक दिया गया।
मोहम्मद इरशाद आलम का कहना था कि,मामला काफी संगीन है।ऐसा इसलिए कि, जिस अभिभावक के यहां बच्चों की फी के एवज में लाखों रुपये हो गए,उनके बच्चे का पुराना नामांकन रद्द कर फी चुकाए बगैर बीपीएल कोटे में बदल दिया गया और बांकी का नए सिरे से नामांकन लेकर राहत तो दे दिया गया,लेकिन अपनी जेब भर लिए गए।
जबकि,उनके एक बच्चे का नामांकन पहले खगड़िया के वर्तमान सांसद मोहम्मद कैसर अली की अनुशंसा पर पूर्व प्राचार्य चन्द्रमणि मिश्रा के कार्यकाल में बीपीएल कोटे से हुआ था।लेकिन उसके बाद प्राचार्य विजय कुमार पाठक के कहने पर स्कूल के ड्राइवर रुपेश कुमार के द्वारा सूचना दिया गया कि,आपका बच्चा अब बीपीएल कोटे से डीएवी स्कूल में नहीं पढ़ सकेगा।इसलिए प्राचार्य विजय कुमार पाठक से मिलकर बीपीएल कोटे का साठ हजार रुपये देते हुए पुन:नामांकन करवा लीजिए।स्थिति यह आ गयी कि,न केवल उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाने लगा,बल्कि जूनियर विंग के इंचार्ज निलेश कुमार चौबे द्वारा बच्चे को स्कूल जाने से रोक दिया गया।व्यथित स्वर में मोहम्मद ईरशाद अालम कहते था कि,वह गरीब आदमी हैं और ठेला पर फल बेचकर बच्चों को किसी तरह पढ़ा रहे हैं।फिर भी ड्राइवर रुपेश कुमार के साथ पूर्व प्राचार्य विजय कुमार पाठक स्वयं उनकी दुकान पर पहुंचे थे और 2760रुपये का फल लिए।रुपेश कुमार नामक ड्राइवर बीपीएल कोटे के नाम पर नकद साठ हजार रुपये लिया।फिर भी उनका काम नहीं हुआ।मोहम्मद ईरशाद के मुताबिक,पुन:एलडीसी राम प्रवेश राय ने उन्हें बताया कि, आपके यहां बच्चे के स्कूली फी के नाम पर एक लाख बीस हजार रुपये बकाया है।जमा कीजिएगा,तब प्रमोशन कार्ड मिलेगा।यह जानकर वह काफी परेशान हो गए।एक दिन स्कूल का ड्राइवर रुपेश कुमार और बिजली मिस्त्री कुंदन कुमार खगड़िया बाजार में मिला।जब उन्होंने रुपेश कुमार से फल की कीमत के साथ-साथ दिए गए नकद साठ हजार रुपये मांगा,तो उसने धमकी दिया कि,स्कूल आओ,बताता हूं।इतना ही नहीं,वह लोग गुंडागर्दी पर उतर आए।
मोहम्मद ईरशाद कहते हैं कि, स्थिति से आजिज आकर उन्होंने डीएवी के प्रधान कार्यालय,दिल्ली को लेटर लिखना मुनासिब समझा और 17.05.2022, 28.05.22, 13.062022,18.07.2022,25.07.2022,05.08.22 के साथ-साथ 08.09.2022 को सीवीएससी के प्रधान को सूचना दिया।पुन:अंतिम पत्र 05.12.2022 को जेनरल सेक्रेटरी अजय सूरी को बारह प्रमाण के साथ लिखा।
मोहम्मद इरशाद आलम का दावा है कि,बीपीएल कोटे में अवैध रुप से बच्चों का नाम बदलते हुए नामांकन कर अभिभावकों को धोखा दिया गया है।बावजूद इसके पूर्व प्राचार्य विजय कुमार पाठक को बिहार के डीआरओ बचाने में लगे हैं।काफी प्रमाण देते हुए उनके द्वारा कहा गया कि, आप दूसरों को राहत दिए,तो हम अभिभावकों को क्यों नहीं दिया जाय।
पूरे खेल में पूर्व प्राचार्य विजय कुमार पाठक, नामांकन प्रभारी,एलडीसी (क्लर्क),ड्राइवर रुपेश कुमार एवं अन्य सहकर्मी शामिल हैं।अगर इमानदारी पूर्वक जांच हो,तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
इधर,ईरशाद अली का कहना है कि,पूरा साक्ष्य प्रस्तुत करने के बाद भी इंसाफ नहीं मिलता देखकर वह खगड़िया के डीएम साहब को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाए हैं।
यब सर्वविदित है कि,सभी मामले में डीएम साहब इंसाफ करते हैं।यकीकन,उन्हें भी इंसाफ जरुर मिलेगा।दूसरी तरफ मोहम्मद ईरशाद आलम के पुत्र सादिक लक्की का कहना है कि,वह डीएम साहब से इंसाफ की गुहार लगाते हुए कहना चाहता है कि,पढ़-लिखकर वह समाज के लिए कुछ बेहतर करना चाहता है बीपीएल कोटे से स्कूल में नामांकन तो ले लिया गया, लेकिन रह-रहकर मानसिक तौर पर जलील किया जाता है।डीएम साहब सबको इंसाफ देते हैं,प्लीज डीएम साहब, मुझे भी आशीर्वाद दीजिए न!
बहरहाल,जानकारों का यहां तक कहना है कि,मामले की अगर जिला पदाधिकारी के स्तर से जांच कराई गई,तो फर्जीवाड़े की एक ऐसी कहानी का सामने आना तय है,जिसे जानकर लोग हैरत में तो पड़ ही जाएंगे,कुछ छोटी मछलियों के साथ-साथ बड़ी मछलियों का भी फांस में आना तय है।