खगड़िया(प्रवीण कुमार प्रियांशु)।
शक्तिपीठ के रुप में सुविख्यात मां कात्यायनी मंदिर के दिन बहुत जल्द बहुरेंगे।सड़क निर्माण के लिए भूमि अधिग्रहण कार्यों का जिलाधिकारी डॉ आलोक रंजन घोष द्वारा जायजा लिए जाते ही मां कात्यायनी के भक्तों में एक बहुत बड़ी आस जगी है।फरकिया की हृदय स्थली में अवस्थित माँ कात्यायनी मंदिर से लोगों की जबरदस्त आस्था जुड़ी हुई है।सोमवार व शुक्रवार को यहां श्रद्धालुओं की हुजूम उमड़ पड़ती है,किन्तु विडम्बना कहें या सरकारी उदासीनता,अभी तक जन आस्था का केंद्र कहे जाने वाली मां कात्यायनी की मंदिर सड़क मार्ग से जैसे-तैसे जुड़ी हुई है।अब जब नूर-ए-नजीर कहे जाने जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष की नजरें इस ओर इनायत हुई है,तो आशा जगी है कि रोड कनेक्टिविटी से सुसज्जित हो यह मंदिर देश के पर्यटन मानचित्र पर अपनी पहचान दर्ज करवा कर विकास की नई कहानी गढ़ेगी।गौरतलब हो कि,खगड़िया-सहरसा रेलखंड के बीच धमहरा स्टेशन के समीप प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां कात्यायनी स्थान में भक्त नवरात्र के मौके पर दूध व गांजे का चढ़ावा चढ़ाते हैं।वैसे,यहां सालों भर सोमवार व शुक्रवार को दूध चढ़ाने की परंपरा रही है और यहां दूध की गंगा बहती रहती है।
कहते हैं कि,मां पार्वती की बायीं भुजा यहीं कटकर गिरी थी।पौराणिक कथाओं के मुताबिक मां पार्वती के पिता राजा दक्ष द्वारा यज्ञ का आयोजन किया गया था।इस यज्ञ में सभी को बुलावा भेजा गया था।शिवाय भगवान शिव जी के।ऐसे में जब पार्वती यज्ञ में भाग लेने के लिए जा रही थी,तब भी भगवान शिव ने रोका था।बावजूद मां पार्वती यज्ञ में पहुंच गईं।बिना निमंत्रण के यज्ञ में मां पार्वती को देख कई लोगों ने तंज कसने शुरु कर दिया।
इसे सुन मां पार्वती आत्मग्लानि महसूस करने लगीं और यज्ञ कुंड में कूद गईं।जब भगवान शिव को मां पार्वती के यज्ञकुंड में कूदने की जानकारी मिली तो वह वहां पहुंचकर मां पार्वती के जले शरीर को लेकर तांडव करने लगे।इसी तांडव के दौरान मां पार्वती का बांया हाथ कटकर इसी स्थल पर गिरा था।
कुपित होने पर होता है बड़ा हादसा
1981 में चर्चित बागमती रेल हादसा इसी स्थल पर हुआ था।उस वक्त विश्व की सबसे बड़ी रेल दुर्घटनाओं में शुमार इस हादसे में इंजन सहित सभी बोगियां पुल से नदी में गिर गई थी,जिसका आजतक पता नहीं चल पाया।
इतना ही नहीं,2013 में इसी स्थल पर रेल ट्रैक पार कर मंदिर आ रहे 29 श्रद्धालुओं की राज्यरानी एक्सप्रेस के चपेट में आने से एक साथ कटकर मौत हो गई थी।