राजेश सिन्हा नीतीश सरकार के द्वारा भूमि विवाद पर अंकुश लगाए जाने के बाबत तमाम बंदोबस्त भले ही किए जा रहे हों,लेकिन खगड़िया जिले की हालत यह है कि लगभग सभी राजस्व कर्मचारियों द्वारा लगान के नाम पर न केवल जमीन मालिकों का शोषण किया जा रहा है बल्कि जमीनी विवाद की पृष्ठभूमि भी जमकर तैयार की जा रही है।कई ऐसे मामले सामने आए हैं,जिसे देखकर यह कहने में शायद किसी को संकोच नहीं होना चाहिए कि कफन में भी पॉकेट तलाशने के आदि हो चुके राजस्व कर्मचारियों के द्वारा इस जिले में जमीनी विवाद की पृष्ठभूमि या तो तैयार कर दी गई है अथवा तैयार करने की कोशिश की जा रही है।जानकारों की बातों पर अगर भरोसा करें तो अभिलेखों के साथ छेड़छाड़ करना अधिकांश राजस्व कर्मचारियों की आदतों में शुमार हो चुका है। *************************************************** इधर भारतीय जनता पार्टी के खगड़िया जिला उपाध्यक्ष अरुण कुमार शर्मा उर्फ लड्डू शर्मा द्वारा जिलाधिकारी का ध्यान इस ओर आकर्षित कराते हुए राजस्व कर्मचारियों द्वारा निजी सहायकों से सरकारी कार्य करवाने की कुप्रथा को रोकने का विनय किया गया है।श्री शर्मा का कहना है कि खगड़िया जिले के अधिकांश राजस्व अंचल में कार्यरत राजस्व कर्मचारियों द्वारा एक या एक से अधिक निजी सहायकों को रख कर राजस्व संग्रहण तथा दाखिल खारिज कराने के लिए अवैध वसूली की जा रही है।उन्होंने कहा है कि अधिकांश राजस्व कर्मचारी अपने हल्का या अंचल मुख्यालय में रहने के बजाय अपने मूल आवास पर निवास करते हैं तथा उनकी अनुपस्थिति में उनके निजी सहायकों द्वारा लगान रसीद काटने से लेकर विभिन्न सरकारी कार्य किया-कराया जाता है।इस क्रम में रैयतों से अवैध वसूली करने की शिकायतें भी मिलती रहती है।इसलिए जिले के सातों अंचलों के अंचलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाना चाहिए कि सभी कार्य दिवसों में संबंधित राजस्व कर्मचारी अपने कर्तव्य स्थल पर रहकर अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें।दूसरी तरफ अन्य लोगों का भी कहना है कि कई राजस्व कर्मचारियों के द्वारा किसी दूसरे की जमीन का रसीद किसी दूसरे के नाम से काट दिया गया है।यहां तक कि कई खतियानी जमीन को किसी दूसरे के नाम फर्जीवाड़े तरीके से कर दिया गया है।विभिन्न अंचलों के संदर्भ में विस्तृत जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि कई राजस्व कर्मचारियों द्वारा अर्जित की गई सम्पत्ति की अगर जांच हो,तो कई रहस्यों से पर्दा उठने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।बहरहाल,देखना दिलचस्प होगा कि जब जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष तक इस तरह का मामला पहुंचा है,तो फिर कार्रवाई क्या होती है! ***************************************************
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