अजब-गजब:शिक्षा विभाग में सब गोलमाल है…भाई,सब गोलमाल है!भारी वित्तीय अनियमितता के आरोपी को पुन:मिली विद्यालय प्रधान की जिम्मेवारी,विभागीय पत्र जारी होने के बाद भी वरीय शिक्षक को दिखा दिया गया ठेंगा
शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था लगातार समस्याओं के सलीब पर है।अन्य जिलों की बातों को कुछ देर के लिए दरकिनार कर अगर खगड़िया जिले की बात करें,तो यह कहने में कहीं संकोच नहीं है कि जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष ने ज्यों-ज्यों दवा की मर्ज बढ़ता ही गया।अन्य मामलों की बातों को कुछ देर के लिए नजरअंदाज कर अगर शिक्षा विभाग के हालिया स्थिति पर नजर डालें,तो अजब-गजब की स्थिति बन गई है।कह सकते हैं,कि चौबे जी गए छब्बे बनने,दूबे जी बनकर आ गए वाली कहावत खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड अंतर्गत शुम्भा पंचायत के श्री शिवनारायण मध्य विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक शंकर मोची के मामले में सटिक बैठ रही है। दरअसल,शुम्भा पंचायत स्थित लक्ष्मी देवी उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक अजय कुमार निराला का कोविड-19 के कारण अकस्मात निधन हो गया था। खगड़िया के जिला शिक्षा पदाधिकारी राजदेव राम द्वारा बीते 17-06-2021 को ज्ञापांक-11/07/DEO 2021-897 के जरिए श्री शिवनारायण मध्य विद्यालय,शुम्भा के प्रभारी प्रधानाध्यापक की जिम्मेदारी शंकर मोची को दे दी गई थी।डीईओ के आदेशानुसार दिवंगत अजय कुमार निराला की पत्नी विभा कुमारी ने बीते 05-07-2021 को शंकर मोची के हाथों विद्यालय की चाभी सहित विद्यालय संबंधित कागजात सौंप दिए गए। तत्पश्चात श्री शिवनारायण मध्य विद्यालय,शुम्भा पुर्व में निलंबित किए गए प्रधानाध्यापक शैलेन्द्र शर्मा बीते शनिवार को निलंबन खत्म हो जाने के कारण पुनः श्री शिवनारायण मध्य विद्यालय में योगदान करने को ले पहुंचे।उनके पास शिक्षा पदाधिकारी द्वारा जारी पत्र भी था।अब ऐसे में सवाल यह सुलग रहा है कि शिक्षा विभाग द्वारा पहले शंकर मोची को लाॅलीपाप क्यो दिखाया गया और किस आधार पर! यह सोचने वाली बात है।लेकिन उससे भी बड़ा सवाल यह है कि शिक्षा विभाग ने आखिर कुछ दिन पहले श्री शर्मा के निलंबन के बाद शंकर मोची को प्रभार क्यों दिया था!सवाल तो यह भी है कि चंद ही दिनों बाद ही लक्ष्मी देवी उच्च माध्यमिक विद्यालय का प्रभार भी आखिर क्यों दे दिया गया!विभागीय पदाधिकारियों के पास भले ही कोई माकूल जवाब नहीं दिया गया हो, लेकिन इससे साफ जाहिर होता है,कि गुरुजी के लिए चार दिनों की चांदनी फिर अंधेरी रात वाली स्थिति क्यों सामने आ गई!विभागीय जानकार कहते हैं,कि श्री शर्मा के आने बाद श्री शंकर मोची एक वरीय शिक्षक ही बनकर क्यों रह गए!विभागीय आदेश के मुताबिक चंद ही महीनों में पहले श्री शिवनारायण मध्य विद्यालय का प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाया गया, फिर लक्ष्मी देवी उच्च माध्यमिक विद्यालय का प्रभार भी क्यों सौंप दिया गया!जानकारों का स्पष्ट कहना है कि,विभागीय विडम्बना देखिए कि एक ही दिन में प्रभारी प्रधानाध्यापक से वरीय शिक्षक बना दिए गए गुरुजी के संदर्भ में क्या कहा जा सकता है!विभागीय लोग कहते हैं,कि कहा जाए तो यह सभी लीला जिला शिक्षा पदाधिकारी राजदेव राम की लीला है। यहां यह बता देना जरुरी है,कि लक्ष्मी देवी उच्च माध्यमिक विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक दिवंगत अजय कुमार निराला और श्री शिवनारायण मध्य विद्यालय, शुम्भा के प्रधानाध्यापक शैलेन्द्र शर्मा के बीच कुछ महीनों पहले प्रधानाध्यापक बनने की होड़ लगी थी। दोनों ने अपने-अपने स्तर से शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा दिए गए पत्र को लेकर प्रधानाध्यापक बनने की कोशिश की। बात यहां तक चली, कि यह मामला उच्च न्यायालय पटना में चला गया।जिसके आलोक में उच्च न्यायालय पटना द्वारा स्पष्ट आदेश पारित किया गया कि अजय कुमार निराला ही लक्ष्मी देवी उच्च माध्यमिक विद्यालय का प्रभारी प्रधानाध्यापक बनेंगे।जब तक कि उच्च न्यायालय पटना का अंतिम आदेश न आ जाए।बावजूद इसके शिक्षा पदाधिकारी राजदेव राम ने कैसे उच्च न्यायालय पटना के आदेश को दरकिनार करते हुए शंकर मोची को प्रभार देने का आदेश जारी कर दिया।और तो और पुनः जब शैलेन्द्र शर्मा का निलंबन वापस लिया गया, तो अब लक्ष्मी देवी उच्च माध्यमिक विद्यालय, शुम्भा का प्रभार कैसे दे दिया जाएगा।जबकि उच्च न्यायालय पटना का आदेश है कि उच्च माध्यमिक विद्यालय के ही शिक्षक को प्रधानाध्यापक बनना है,न कि श्री शिवनारायण मध्य विद्यालय शुम्भा के शिक्षक को।ऐसे में देखने वाली बात होगी कि किसे लक्ष्मी देवी उच्च माध्यमिक विद्यालय का प्रभार पुनः मिलता है। क्योंकि अजय कुमार निराला के अकस्मात निधन के बाद से 2021 में उत्तीर्ण 10वीं एवं 12वीं की अभ्यर्थियों को अभी तक बिहार बोर्ड पटना के द्वारा जारी प्रमाण पत्र भी नहीं दिया गया है और न ही किसी को विद्यालय परित्याग प्रमाण पत्र दिया गया है।ऐसे में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का नामांकन किस तरह से होगा!जबकि 2020 में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण अभ्यर्थियों में से 150 अभ्यर्थियों को भी अभी तक मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि का कागजात,पुष्टि नहीं होने के कारण नहीं मिला है।ऐसे में गंभीर सवाल यह भी है कि कौन होगा इसका जिम्मेदार!शिक्षा विभाग या जिला शिक्षा अधिकारी राजदेव राम! इधर इस तरह की नाटकीय घटनाक्रम देखकर ग्रामीणों के बीच कौतूहल का माहौल बना हुआ है।लगभग सभी शिक्षाविदों द्वारा शिक्षा विभाग को दोषी ठहराते हुए कहा जा रहा कि विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किए जाने का तरीका किसी को रास नहीं आ रहा है। दूसरी तरफ स्थानीय लोगों का कहना है कि इस मसले पर जल्द ही विभाग द्वारा ध्यान केंद्रित नहीं किया गया,तो विद्यालयों में ताला जड़ दिया जाएगा।शिक्षा विभाग की भारी लापरवाही के खिलाफ गोलबंद होते हुए जिला मुख्यालय में धरना- प्रदर्शन कर विरोध जाहिर किया जाएगा और यह बताया जाएगा कि शिक्षा विभाग में सब गोलमाल है…भाई सब गोलमाल है।बहरहाल,इस तरह के मामले को ले एसडीएफ लाइव इंडिया की मुहिम जारी हो चुकी और कई अन्य मामले को खंगालते हुए सच सबके सामने लगातार होगा।
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