राजेश सिन्हा की रिपोर्ट
तमाम तरह का जतन किए जाने के बावजूद बिहार पूरी तरह से नशामुक्त कब तक हो सकेगा,यह तो शासक-प्रशासक ही जानें।लेकिन,पूर्ण शराबबंदी के बावजूद बिहार में चुपके-चुपके शराब का कारोबार तो हो ही रहा है, पासी समाज के लोगों का गुस्सा भी इसलिए परवान पर है,क्योंकि उन्हें ताड़ी बेचने से मना किया जा रहा है।हालांकि मुजफ्फरपुर में रहने वाले पासी समाज के लोगों का इतना ही नहीं कहना है!रोजगार से वंचित कर दिए गए पासी समाज के लोगों का कहना है कि,पूर्ण शराबबंदी के बावजूद अगर शराब के कारोबार पर रोक नहीं लगाई जा सकती है तो,फिर पासी समाज के लोगों को ताड़ी का कारोबार करने के आरोप में क्यों प्रताड़ित किया जा रहा है!घर-परिवार के लोगों को क्यों बेइज्जत किया जा रहा है!ताड़ी के नाम पर महिलाओं और बच्चों को क्यों तंग किया जा रहा है!बिहार के मुखिया नीतीश कुमार अगर शराब के साथ-साथ ताड़ी पर भी रोक लगाने को आतुर हैं,तो फिर बारीक अध्ययन उन्हें ही करनी होगी।ऐसी बात नहीं है कि,बिहार के मुखिया नीतीश कुमार सूबे को नशामुक्त बनाने की पूरी कोशिश नहीं कर रहे हैं!कानून बनाकर धरातल पर पूरी तरह उतारने को ले बेताब दिख रहे बिहार के मुखिया की बेताबी बहुत कुछ कह रही है लेकिन,तमाम तरह का जतन कर रहे बिहार के मुखिया नीतीश कुमार जहां पूरे लाव-लश्कर के साथ समाज सुधार यात्रा के बाद भी बहुत कुछ नहीं कर पा रहे हैं,वहीं विपक्ष के साथ-साथ कानून को करीब से समझने वालों की अलग-अलग राय है।अन्य लोगों की बातों को दरकिनार कर अगर भारत के मुख्य न्यायाधीश की स्पीच सुनें तो, उन्होंने बिहार सरकार के शराबबंदी कानून को अदूरदर्शी बता दिया है।उन्होंने यहां तक कह दिया कि,बिहार सरकार के इस अदूरदर्शी कानून ने हाई कोर्ट में मामलों का अंबार लगा दिया है।इधर जानकारों का कहना है कि, युग पुरुष भी जब शराब पर रोक नहीं लगा पाए तो,फिर वर्तमान समय के लीडर क्या कर सकेंगे!यहां तक कि बिहार के पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी शराब को सेहतमंद बताते हुए थोड़ी थोड़ी पीने की सलाह देना वाजिब समझे।बात अलग है कि,शराब पीने से होने वाली बीमारियों का हवाला देते-देते मुख्यमंत्री यह कहकर फंस चुके हैं कि शराब पीने से अन्य बीमारियों सहित एड्स भी होता है।खैर!तमाम बातों को कुछ देर के लिए दरकिनार कर अगर शराब मुक्त बिहार की बात करें तो, कभी पुलिस के जवान शराब का कारोबार करने के आरोप में गिरफ्तार किए जा रहे हैं,तो कहीं डॉक्टर-इंजिनियर शराब का सेवन करने के आरोप में दबोच लिए जा रहे हैं।प्रेमी युगल को भी शराब के साथ गिरफ्तार कर पुलिस अपनी पीठ इतनी थपथपा रही है,मानों आतंकवादियों को दबोच लिया गया हो।कुल मिलाकर कह सकते हैं कि,नीतीश सरकार शराबबंदी कानून को धरातल पर उतारने के नाम पर करोड़ों-अरबों रुपये खर्च कर रही है।लेकिन, बिहार के लोग शराब से तौबा करने को तैयार नहीं है।अन्य मामलों को दरकिनार कर अगर ताजा मामले पर गौर करें,तो हद ही हो गई।नेपाल में बैठकर शराब पीने वाले खगड़िया जिले के चौथम प्रखंडाधीन दो पंससों को महज वायरल वीडियो के आधार पर जेल भेज दिया गया।यहां तक कि, वार्ड सदस्य के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में एक नव निर्वाचित वार्ड सदस्य शराब पीकर पहुंच गए।नशाखोर वार्ड सदस्य शराब नहीं पीने की कसम खाते,इससे पहले निर्वाची पदाधिकारी सह बीडीओ सजग हो गए।खगड़िया जिले के गोगरी प्रखंड कार्यालय में घटित इस तरह की घटना जानकर हर कोई हतप्रभ है।बावजूद इसके शासक-प्रशासक का भय ऐसा कि, कोई पूरी तरह से मुंह खोलने को तैयार नहीं है।वैसे कुछ लोगों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि,दो दिनों पूर्व खगड़िया जिले के गोगरी प्रखंड प्रखंड कार्यालय में नव निर्वाचित वार्ड सदस्यों के लिए शपथ ग्रहण का समारोह आयोजित किया गया था।बारी-बारी से सभी वार्ड सदस्यों को शपथ दिलाई जा रही थी।बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिशा-निर्देशानुसार सभी वार्ड सदस्यों को पद की सदस्यता दिलाने के साथ-साथ शराब नहीं पीने की भी शपथ दिलाई जानी थी।लेकिन यह क्या!वार्ड नंबर 3के वार्ड सदस्य मंजेश कुमार शराब के नशे में धुत्त होकर शराब नहीं पीने की कसमें खाने महफिल में पहुंच गए।शराब नहीं पीने की शपथ लेने से पहले वार्ड सदस्य का मुंह महक गया और मुंह सूंघने की आदत डाल चुकी पुलिस ने नशेड़ी वार्ड सदस्य मंजित कुमार को दबोच लिया।गोगरी के निर्वाचन पदाधिकारी सह प्रखंड विकास पदाधिकारी अजय कुमार ने बताया कि, शपथ ग्रहण समारोह में वार्ड सदस्य मंजित कुमार दारु पीकर शराब नहीं पीने की भी शपथ खाने पहुंच गए थे।मुंह से दुर्गंध आते ही गोगरी पुलिस को सूचना दी गई और शराब पीने की पुष्टि होते ही उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।वार्ड सदस्य मंजित कुमार को मद्य निषेध अधिनियम के तहत गिरफ्तार किया गया है।कानूनी कार्रवाई तो की ही जा रही है, पंचायती राज विभाग से मंतव्य मांगी गई है।दारु के नशे में गिरफ्तार वार्ड सदस्य की सदस्यता भी जा सकती है।बहरहाल, फलाफल जो हो!लेकिन जान कारों की बातों को तवज्जो देते हुए यह कहना लाज़मी होगा कि यह कि शराब तो शराब,शराब की खाली बोतलें भी भटका रही है बिहार!!