प्रवीण कुमार प्रियांशु
खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड अंतर्गत शुम्भा पंचायत भवन पर कई वर्षों से अतिक्रमणकारियों का कब्जा है।पंचायत भवन की दुर्दशा देखकर लोगों के मुंह से बरवस निकल जाता है,कि शायद ही पूरे बिहार के किसी पंचायत भवन की यह दुर्दशा होगी।ऐसी बात नहीं है कि ग्रामीणों ने पंचायत भवन की दुर्दशा पर सवाल नहीं उठाया! ग्रामीणों द्वारा बहुत बार इसका विरोध किया गया गया, लेकिन पंचायत भवन के आस-पास रहने वाले लोगों की सेहत पर लेश मात्र भी फर्क नहीं पड़ा।
इस बाबत जब शुम्भा पंचायत के वर्तमान मुखिया रंजीत पासवान से बातचीत की गई,तो उन्होंने कहा कि कई बार प्रयास किया गया, लेकिन विफलता ही हाथ लगी।ग्राम कचहरी शुम्भा के सरपंच महेश पासवान से जब बात की गई,तो उन्होंने कहा कि हम किस-किससे लड़ाई लड़ें!सभी ग्रामीण हैं,जिसको जैसा समझ आ रहा है,वह वैसा कर रहे हैं।गौरतलब हो कि शुम्भा पंचायत में किसी भी तरह का पंचायत,पंचायत भवन में नहीं होकर सरपंच महेश पासवान के दरवाजे पर ही होता है।बावजूद लोग बाज नहीं आते हैं।स्थानीय लोगों का कहना है कि पंचायत भवन में ना ही बिजली की व्यवस्था है और ना ही साफ-सफाई का इंतजाम है।कहा जाए कि यह सूअर पालने का फार्म हाउस है,तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी।स्थानीय लोग यह भी कहते हैं कि पंचायत भवन में स्थानीय लोगों द्वारा मवेशियों को बांधा
जाता है कहा यह भी जा सकता है कि मवेशी, गोबर,गोईठा और कीचड़ पंचायत भवन की पहचान है।यहां तक कि गोबर से तैयार किए गए उपला को पंचायत भवन की चहार दीवारी पर ठोंका जाता है।स्थानीय लोगों की बातों पर अगर एतबार करें तो इस पंचायत में पंचायत भवन ही नहीं,बल्कि एक भी सरकारी भवन सुरक्षित नहीं है।चाहे वह सरकारी विद्यालय हो या फिर सामुदायिक भवन, सब पर अतिक्रमण है।बावजूद इसके ना ही इस ओर स्थानीय जनप्रतिनिधियों का ध्यान है और ना ही शासन-प्रशासन का। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकारी सम्पत्ति की बर्बादी होती रहे,किसी को इससे कोई मतलब नहीं।और होगा भी कैसे,कारण सबको सिर्फ वोट चाहिए।जो प्रत्याशी अतिक्रमणकारियों का विरोध करेंगे,उनको वोट नहीं मिलेगा। इसी डर से जनप्रतिनिधियों द्वारा ऐसे लोगों का विरोध नहीं किया जाता है।जिसका खमियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ रहा है।स्थानीय लोग कहते हैं कि एक भी सरकारी भवन की हालात सही नहीं है।सबको आस-पास के लोगों द्वारा अतिक्रमित कर लिया गया है।इस तरह की स्थिति देखकर कहना मुनासिब होगा कि कुछ लोगों के मन में यह बात घर कर गया है कि सरकारी सम्पत्ति,अपनी सम्पत्ति होती है।बहरहाल,मामला जब खुलकर सामने आ गया है तो यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकारी भवनों पर कब्जा जमाने वालों के विरुद्ध कार्रवाई होती है अथवा अतिक्रमकारियों द्वारा कानून को यूं ही मुंह चिढ़ाया जाता रहेगा!