राजेश सिन्हा
खगड़िया नगर परिषद क्षेत्र में आज एक अप्रत्याशित राजनीतिक घटनाक्रम ने भूचाल ला दिया है और तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे हैं।दरअसल, भाजपा नेत्री और वार्ड नंबर-7 की नगर पार्षद मीना देवी उर्फ मीना गुप्ता खंडेलिया द्वारा अपने नगर पार्षद पद से त्यागपत्र दे दिया गया है।
नगर सभापति के नाम संबोधित त्यागपत्र में नगर पार्षद ने कहा है कि बीते कुछ दिनों से नगर परिषद के वार्ड पार्षदों तथा स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा की जा रही खोखली बयानबाजियों से वह खासे व्यथित हैं। उन्होंने यह भी लिखा है कि उनके वार्ड नंबर 07 में पिछले काफी सालो से किसी योजना का कार्यान्वयन जानबूझ कर नहीं करवाया गया है।मीना गुप्ता ने यह भी लिखा है कि उनका राजनीतिक तौर पर विरोध हो सकता है,किंतु इसमें जनता का कोई दोष नही है।लेकिन नगर परिषद की अकर्मण्यता के कारण सबसे बड़ा नुकसान नगरवासियों का हो रहा है।नगर पार्षद मीना ने स्टेशन रोड की जर्जरता और उसको लेकर हो रही बयानबाजियो से खुद को आहत बताते हुए लिखा है कि नगर परिषद, खगड़िया के लिए इससे बड़ी शर्म की बात कुछ हो ही नहीं सकती है कि बीते 15 वर्षों से एक ही परिवार के हाथ में नगर की सत्ता रहने के बावजूद शहर की दुर्गति जनता देख रही है। बता दें कि नगर पार्षद श्रीमती खंडेलिया भाजपा के उन्हीं कद्दावर नेता संजय खंडेलिया की धर्मपत्नी हैं,जिन्होंने बीते दिनों बिहार सरकार और भारत सरकार के दर्जनों मंत्रियों और भाजपा के प्रदेश से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक के पदाधिकारियों का तीन दिनों तक खगड़िया में जमावड़ा लगा दिया था।इस संबंध में जब श्री खंडेलिया से उनकी प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने स्पष्ट रुप से कहा कि यह उनकी पत्नी के स्वयं का निर्णय है।उनकी पत्नी नगर पार्षद हैं और उन्होंने स्वविवेक निर्णय लिया है।श्री खंडेलिया के मुताबिक,उन्होंने जो समझा होगा,देखा होगा, महसूस किया होगा,उसी के आधार पर निर्णय ली होगी।श्री खंडेलिया ने यह भी कहा कि वह एक उच्च शिक्षित और आत्मनिर्भर महिला उद्यमी ही नहीं,बल्कि सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ता भी हैं।हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि लेकिन ऐसे निर्णय सामान्य परिस्थितियों में नही लिए जाते हैं।जब स्थिति बद से बदतर होती है,तभी ऐसे निर्णय लिए जाते हैं।उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा निर्णय लेने के लिए गजभर का कलेजा चाहिए।जब इस संदर्भ में नगर पार्षद से यह पूछा गया कि क्या उनके निर्णय पर पुनर्विचार की कोई संभावना है,तो उन्होंने बड़ी बेबाकी से जवाब देते हुए कहा कि उनका निर्णय अटल है और अपनी अंतरात्मा का गला घोंट कर उस नगर परिषद बोर्ड का सदस्य बने रहना,जो जनता का विश्वास खो चुकी है, उनके जमीर को गंवारा नहीं है।पार्षद यही नहीं रुकी और कहने लगी कि खगड़िया के सर्वांगीण विकास की अंतिम सीढ़ी नगर परिषद ही नहीं है,अब मैं खगड़िया के उत्तरोत्तर विकास के लिए राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार तक यहां की जनता की आवाज को पहुचाऊंगी।
उन्होंने कहा कि वह खगड़िया की जनता को विश्वास दिलाती हैं कि खगड़िया की मूलभूत समस्याओं का निवारण राज्य स्तर से शीघ्र होगा।उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी न तो कोई चुनाव है और ना ही उनका यह कथन कोई चुनावी वादा है।लेकिन वह यकीन दिलाती हैं कि खगड़िया को विकास से कोई मरहूम नहीं रख सकता है।