,*प्रवीण कुमार प्रियांशु
अलौली(खगड़िया)।अलौली प्रखंड के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कोविड-19 को ले ऐंटीजेन जांच सेंटर का संचालन तो किया जा रहा है,लेकिन मिल रही जानकारी के अनुसार डॉक्टर व नर्स सहित अस्पताल के स्टॉफों द्वारा जमकर लापरवाही बरती जा रही है।स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐंटीजेन जांच की रिपोर्ट तो दस मिनट में ही दे दी जाती है।लेकिन आरटीपीसीआर जांच का रिपोर्ट पटना एम्स से एक सप्ताह बाद में आता है।इस बीच अस्पताल के डॉक्टर,नर्स एवं अॉपरेटर द्वारा लापरवाही बरतते हुए जांचोपरांत निगेटिव आए लोगों को भी पॉजिटिव बता दिया जाता है।स्थानीय लोगों की बातों में कितना दम है,यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा।लेकिन बताया जा रहा है कि इस तरह का वाक्या बीते सप्ताह तब सामने आया,जब शुम्भा पंचायत निवासी पॉलटिश शर्मा के पुत्र मिथुन कुमार शर्मा की जांच हुई।भुक्तभोगी मिथुन शर्मा का कहना है कि उन्होंने अलौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बीते 01 मई को कोविड-19 का ऐंटीजेन जांच करवाया।जांचोपरांत बताया गया कि रिपोर्ट निगेटिव है।उन्होंने आत्मसंतुष्टि के लिए पुनः आरटीपीसीआर जांच कराया। बावजूद इसके 08 मई को रिपोर्ट निगेटिव ही आया। नतीजतन वह बेफिक्र होकर परिवार के तमाम लोगों से अन्य दिनों की तरह घुल-मिलकर रहने लगे।मिथुन के मुताबिक वह निश्चिंत होकर तो रहने लगे,लेकिन एक-दो दिनों बाद जब पॉजिटिव मरीजों की सूची जारी की गई,तो उस सूची के क्रम संख्या-25 मेंं मिथुन कुमार पिता-पाॅलटिश शर्मा को पॉजिटिव दिखा दिया गया।अब सवाल यह उठता है कि जब ऐंटीजेन और आरटीपीसीआर जांच में रिपोर्ट निगेटिव आता है, तो फिर सूची में पॉजिटिव कैसे दिखा दिया जाता है! इससे साफ जाहिर होता है कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों द्वारा लापरवाही बरतते हुए न केवल लोगों को गुमराह किया जाता है बल्कि समाज में अशांति फैलाकर लोगों को जान मारने का काम भी किया जाता है। *************************************************** मिथुन का कहना है कि सरकार के द्वारा दोनों तरह से की गई जांच की रिपोर्ट संजीवन ऐप्प पर डाल दी जाती है,जिसे आम लोग भी देख सकते हैं।इस तरह की लापरवाही के कारण समाज के लोगों को एक दूसरे से भय लगा रहता है।इधर स्थानीय लोगों का कहना है कि पॉजिटिव मरीजों को दूसरे लोग तो क्या,परिवार के लोग भी दूसरे नजरों से देखते हैं। नतीजतन इस तरह की स्थिति का शिकार हुए इंसान का मनोबल टूट जाता है।और तो और इंसान का आत्मविश्वास भी डगमगाने लगता है।यहां तक कि कमजोर दिल वाले लोगों की मौत तक हो जाती है।स्थानीय लोगों का यह भी कहना है कि सरकार द्वारा एक तरफ दावा किया जाता है कि जांच सही तरीके से किया जाता है।जांच रिपोर्ट के नाम पर किसी तरह की गड़बड़ी नहीं की जाती है वहीं दूसरी तरफ निगेटिव से पॉजिटिव रिपोर्ट देकर लोगों को भय के साए में जीने को मजबूर कर दिया जाता है।इस तरह की स्थिति के बीच सवाल तो अनगिनत उत्पन्न हो रहे हैं, लेकिन सुलगता सवाल यह है कि इस तरह के गड़बड़झाला के लिए आखिर कौन होगा जिम्मेदार! **************************************************
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