रह-रहकर राजनीतिक तलवार भांजते रहे’हम’ प्रमुख जीतन राम मांझी और नीतीश कैबिनेट के मंत्री मुकेश सहनी के बीच कहीं राजनीतिक खिचड़ी तो नहीं पक रही!कयासबाजियों का दौर जारी
राजेश सिन्हा
राज्यपाल कोटे से एमएलसी के मनोनयन मसले पर पिछले दिनों अपनी-अपनी नाराजगी जता चुके हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा(एचएएम)सुप्रीमों सह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी और बिहार सरकार के मंत्री मुकेश सहनी के बीच कोई राजनीतिक खिचड़ी तो नहीं पक रही है!इस तरह के कयास इसलिए लगाए जाने लगे हैं,क्योंकि एनडीए के दोनों घटक दलों के मुखिया के बीच आज बंद कमरे में गंभीर मंत्रणा हुई है।हालांकि यह पहला अवसर नहीं होगा,जब वीआईपी सुप्रीमों मुकेश सहनी और जीतन राम मांझी के बीच अचानक मुलाकात हुई हो।रह-रहकर राजनीतिक पतवार भांजते रहे जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी कभी केन्द्र सरकार तो कभी राज्य सरकार को आइना दिखाते रहे हैं।वैसे यह भी कहा जा सकता है कि वीआईपी के सर्वेसर्वा मुकेश सहनी इस कोरोना काल में कुछ हद तक अपनी राजनीतिक तलवार को म्यान में ही रखते रहे हैं।लेकिन ‘हम’सुप्रीमों जीतन राम मांझी इस कोरोना काल में भी राजनीतिक तलवार भांजने से कभी भी परहेज करते नहीं दिखाई दिए।राज्यपाल कोटे से एमएलसी मनोनयन के मामले में ‘हम’ और वीआईपी को बीजेपी-जेडीयू नेताओं द्वारा भले ही तरजीह नहीं दी गई हो,लेकिन दोनों पार्टियों के द्वारा एक-एक सीट की मांग रखी गई थी।बात अलग है कि उन लोगों की मांगें अनसुनी कर दी गई और फिर बाद में दोनों चुप भी हो गए।लॉक डाउन की दूसरी लहर के बीच कभी बेरोजगारों को पांच-पांच हजार रुपये भत्ता दिए जाने की मांग उठाकर नीतीश सरकार को सकते में डाल चुके मांझी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी नहीं बख्शा था।यह बात भी नहीं भूलनी चाहिए कि पिछले दिनों उन्होंने वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र पर पीएम नरेन्द्र मोदी की तस्वीर देखकर काफी हाय-तौबा भी मचाई थी।कोरोना काल में मुकेश सहनी तो लगभग चुप ही दिखाई दिए, लेकिन आज जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी की मुलाकात को लेकर एनडीए में खलवलाहट देखी जा रही है।यह कहने से शायद परहेज नहीं किया जाना चाहिए कि दोनों की मुलाकात के बाद तरह-तरह के राजनीतिक मायने निकाले जाने लगे हैं। कोरोना संक्रमण को लेकर फिलवक्त बिहार में लॉकडाउन चल रहा है और सभी पार्टियों की राजनीतिक गतिविधियां लगभग ठप पड़ी है।इस बीच एनडीए में शामिल दो प्रमुख सहयोगी दलों के नेताओं की मुलाकात ने एनडीए के अंदर बेचैनी बढ़ा दी है।पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी से आज नीतीश कैबिनेट के मंत्री और वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी की यह मुलाकात बेहद महत्वपूर्ण इसलिए भी मानी जा रही है,क्योंकि मांझी ने अपनी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक आगामी 2 जून को बुला रखी है।जानकारों का कहना है कि आगामी 2जून को होने वाली वर्चुअल बैठक में मांझी कई महत्वपूर्ण मसलों पर गंभीर चर्चा करने वाले हैं।ऐसे में राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के ठीक चार दिन पहले मांझी और सहनी की मुलाकात को लेकर कई कयास लगाए जा रहे हैं।कहा यह भी जा रहा है कि वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तस्वीर पर बिहार के मुखिया नीतीश कुमार ने स्वयं तो कुछ नहीं कहा,लेकिन जीतन राम मांझी द्वारा उठाए गए सवाल पर उनकी सहमति जरुर रही होगी।इस बात को बल भी इसलिए मिल रहा है,क्योंकि नीतीश कुमार ने कोरोना काल में मंत्रियों के बाहर निकलने पर पाबंदी लगा दी है और स्पष्ट कह दिया है कि लॉक डाउन में मंत्रियों के क्षेत्र भ्रमण से जनता के बीच गलत संदेश जा रहा है।मंत्रियों के बाहर निकलने पर नीतीश सरकार द्वारा पाबंदी आखिर वाजिब तौर पर किस कारण से लगाई गई,यह कहना तो फिलवक्त जल्दबाजी होगी।लेकिन जानकारों का कहना है कि भाजपा कोटे के मंत्रियों की बढ़ती कद ने जेडीयू को अंदर ही अंदर परेशान कर रखा था।कहा तो यह भी जा रहा है कि जनता के नूर-ए-नजीर कहे जाने वाले मधेपुरा के पूर्व सांसद सह जाप सुप्रीमों पप्पू यादव की गिरफ्तारी के बाद नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को बांधने के लिए भी नीतीश कुमार ने मंत्रियों के बाहर नहीं निकलने का फरमान जारी कर दिया।बहरहाल,मामला चाहे जो कुछ हो।लेकिन यह तो तय है कि मांझी और सहनी के द्वारा कहीं एक बार फिर राजनीतिक छोंका न लगा दिया जाय,इस पर सबकी नजर है।
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