राजेश सिन्हा की रिपोर्ट
भागलपुर,कटिहार,पूर्णिया, किशनगंज और बांका में थम गया चुनावी प्रचार,मतदान 26अप्रैल को
पटना:आगामी 26अप्रैल को दूसरे चरण में होने वाले बिहार के पांच लोकसभा चुनाव को लेकर चुनावी रस्साकस्सी चरम पर है।कह सकते हैं कि मतदान के समय की उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है और पहले फेज के चुनाव में मिले निगेटिव इनपुट के बाद दूसरे चरण में होने वाले चुनाव को लेकर बीजेपी-जेडीयू ने पूरी ताकत झोंक दी है।पहले चरण के चुनाव में मोदी लहर की आस और लू का बहाना बनाकर एनडीए के कार्यकर्ता अपने-अपने घरों में दुबक गए,थे,जबकि महागठबंधन खासकर राजद के कार्यकर्ताओं ने उत्साहित अंदाज में मतदाताओं को मतदान के लिए प्रेरित किया था।वोटिंग प्रतिशत भी एनडीए कार्यकर्ताओं के बीच एकजुटता नहीं रहने का गवाह है।
कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी की भागलपुर में अजीत शर्मा के पक्ष में आयोजित चुनावी सभा को छोड़ दें तो लेफ्ट और कांग्रेस के अन्य कोई नेता तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के साथ कहीं नजर नहीं आए।जिसका नाकारात्मक प्रभाव भी मतदाताओं पर पड़ना लगभग तय है।हालांकि पीएम मोदी और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा,सीएम नीतीश कुमार सहित एनडीए के लगभग सभी दिग्गजों की सभा से सभी पांच सीटों पर जेडीयू के प्रत्याशी आत्मविश्वास से लबरेज हैं।
भागलपुर,कटिहार,पूर्णिया, किशनगंज और बांका में एनडीए की ओर से जेडीयू के ही प्रत्याशी हैं।इसीलिए सीएम नीतीश कुमार ने अपने लिए इसे अग्नि परीक्षा मानते हुए आज पटना स्थित जेडीयू कार्यालय में विजय कुमार चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा की मौजूदगी में बैठक कर चुनाव को लेकर गहन मंत्रणा की है।
कह सकते हैं कि एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच होने वाले सीधे मुकाबले के कारण दोनों धड़ा के तमाम नेताओं ने अपनी तमाम ताकतें झोंक दी है।हालांकि आज पांच बजे के बाद चुनाव प्रचार थम गया है और मतदाताओं को सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यम से कन्विंस करने का दौर जारी हो गया है।
दूसरे चरण के चुनाव में अजीत शर्मा,दुलारचंद गोस्वामी,संतोष कुशवाहा,पप्पू यादव,बीमा भारती,मोहम्मद जावेद जैसे दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है।लेकिन अन्य चार सीटों की बातों को कुछ देर के लिए अगर नजरअंदाज कर सिर्फ पूर्णिया लोकसभा की बात करें तो सबसे हॉट सीट बन चुकी इस लोकसभा सीट में न केवल तस्वीर बदली- बदली नजर आ रही है,बल्कि कहा जा रहा है कि यहां जेडीयू के संतोष कुशवाहा,आरजेडी की बीमा भारती और निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के बीच त्रिकोणीय मुकाबला होना लगभग तय है।बावजूद इसके कहा यह भी जा रहा है कि,दलीय और जातीय बंधन को तोड़कर निर्दलीय प्रत्याशी राजेश रंजन के पक्ष में गोलबंदी के कारण उनका पलड़ा अधिक भारी नजर आ रहा है।
शायद इस तरह की स्थिति का अंदाजा राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव तथा नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव को भी हो गया है और यही कारण है कि उन्होंने राजद की पूरी फौज को पूर्णिया में उतार दिया है।इसके पहले कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र के सिमरिया में महागठबंधन समर्थित राजद प्रत्याशी बीमा भारती के पक्ष में आयोजित चुनावी सभा को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने यहां तक कह दिया था कि बीमा भारती के पक्ष में वोट नहीं देना है तो मत दो, एनडीए को दे दो।
वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के साथ चुनावी सभा को संबोधित करने पूर्णिया पहुंचे तेजस्वी यादव द्वारा इस तरह की बातें कहे जाने से राजद का कोर वोटर जितना पेशोपेश में है,उससे अधिक नाराजगी कांग्रेस के कोर वोटरों में देखी जा रही है।तेजस्वी यादव द्वारा कही गयी इन बातों का कितना असर मतदाताओं पर पड़ेगा,यह तो आगामी 26अप्रैल को देखने को मिलेगा और चार जून को पूरी तरह स्पष्ट हो जाएगा।लेकिन,सियासी जानकारों का कहना है कि इसका सीधा लाभ पप्पू यादव को मिलने की संभावनाओं से इसीलिए इंकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि अब यह प्रमाणित हो गया है कि पप्पू यादव की राजनीति को जमींदोज करने के चक्कर में तेजस्वी यादव कांग्रेस को भी डैमेज करना चाहते हैं।वैसे इस तरह की संभावनाओं के बीच तेजस्वी ने वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी के साथ-साथ हजारों कार्यकर्ताओं से मिलकर दिन रात एक कर दिया।कह सकते हैं कि दिन की छोड़िए, मंगलवार की रात में भी तेजस्वी का रोड शो जारी रहा।इस बीच सामने आए एक वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि तेजस्वी यादव के सामने ही पप्पू यादव जिंदाबाद के नारे लग रहे हैं।आज बुधवार को चुनाव प्रचार थमने से पहले वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने एनडीए पर जमकर प्रहार करते हुए महागठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने की अपील लोगों से की है।
हालांकि कहा जा रहा है कि,कल रात पूर्णिया में महागठबंधन समर्थित राजद प्रत्याशी बीमा भारती के समर्थन में तेजस्वी का रोड शो जब आर्यन चौक पहुंचा तो पप्पू यादव के कार्यकर्ताओं ने उनके काफिले के सामने पप्पू यादव जिंदाबाद के नारे लगाए।स्थिति यह हो गयी कि बीमा भारती और पप्पू यादव के कार्यकर्ताओं ने आपस में भिड़ने की कोशिश भी की।लेकिन दोनों पक्षों के बीच गाली-गलौज का नजारा देखकर पुलिस प्रशासन ने संभावित घटना से पूर्व हस्तक्षेप कर मामला पूरी तरह से बिगड़ने से बचा लिया |
स्थानीय प्रबुद्धजनों की बातों पर यकीन करें तो राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव पप्पू यादव से नफरत करते हैं,यह तो सर्वविदित है ही,लेकिन किस हद तक नफरत करते हैं,यह तब और प्रमाणित हो गया,जब कोढ़ा विधानसभा क्षेत्र स्थित सिमरिया में आयोजित चुनावी सभा के दौरान तेजस्वी यादव ने यह कह दिया कि अगर बीमा भारती को वोट नहीं देना है तो मत दो, एनडीए को दे दो।इसके बाद से एनडीए विरोधी वोट या यूं कहें कि पूर्णिया के लगभग दो लाख यादव और सात लाख मुस्लिम मतदाताओं के बीच जो संदेश गया है,उससे पप्पू यादव को फायदा होना लगभग तय है।
सियासी जानकारों का भी कहना है कि तेजस्वी के बयान से पूर्णिया का माहौल पूरी तरह से बदल सा गया है।आरजेडी नेता तेजस्वी यादव कह गए हैं कि अगर आप इंडिया गठबंधन की बीमा भारती को वोट नहीं देते हैं तो एनडीए के संतोष कुशवाहा को ही वोट दे दीजिए,परंतु तीसरे किसी को वोट मत दीजिए।तीसरे का सेंस पप्पू यादव से है,जिन्हें किसी भी हालत में लालू यादव का परिवार और आरजेडी जीतते नहीं देखना चाहता है।जबकि तेजस्वी द्वारा एआईएमआईएम के विधायकों को तोड़ने से नाराज एआईएमआईएम प्रमुख असुरुद्धीन ओवैसी ने भी पप्पू यादव का गुप्त तरीके से समर्थन कर दिया है।जिसका भी फायदा पप्पू को मिलता दिख रहा है।सियासी जानकारों का स्पष्ट कहना है कि,तेजस्वी यादव के इस बयान से पप्पू यादव की स्थिति मजबूत होने लगी है।आमलोगों के बीच यह मैसेज चला गया है कि बीमा भारती पप्पू यादव की वजह से पिछड़ रही हैं।ऐसी स्थिति में वह पिछड़ती हुई नजर आयेंगी तो एनडीए विरोधी वोट पप्पू यादव की झोली में जा सकता है।
हालांकि,पप्पू यादव ने कल मंगलवार को तेजस्वी के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी और उनका नाम लिए बगैर उनकी तुलना बिच्छू से कर दी।लेकिन उन्होंने किसी तरह का आक्रामक बयान नहीं देकर यह स्पष्ट संदेश दे दिया कि वह तेजस्वी चाहे लाख गलती करें।वह ऐसी कोई गलती नहीं करेंगे,जिसका नाकारात्मक प्रभाव मतदाताओं पर पड़े।
जाहिर तौर पर तेजस्वी का बयान आने के बाद खलबली मचनी थी और मची भी।एनडीए के नेताओं ने कहना शुरु कर दिया कि तेजस्वी यादव ने चुनाव से पहले ही हार मान ली है।लेकिन एनडीए को तेजस्वी के वोट की जरुरत नहीं है।बात अलग है कि आरजेडी तेजस्वी के इस बयान पर अब भी सफाई देती नजर आ रही है।पार्टी के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कल तेजस्वी का वीडियो जारी करते हुए लिखा था कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया जा रहा है।तेजस्वी के कहने का मतलब कुछ और था, परंतु मीडिया में उनके बयान को संदर्भ से अलग दिखाया जा रहा है।तेजस्वी के बयान का बचाव करने की कोशिश भले ही की जा रही हो,लेकिन जो संदेश जनता तक जाना था,वह चला गया और मतदाता अपने-अपने हिसाब से बयान का मतलब निकाल रहे हैं।
इधर,स्थानीय लोगों का कहना है कि पप्पू यादव पूर्णियां से चुनाव लड़ने के लिए काफी दिनों से तैयारी कर रहे थे।इसके लिए उन्होंने अपनी पार्टी जाप का विलय कांग्रेस में करा दिया था।लेकिन पप्पू यादव का कद नहीं बढ़े,इसके लिए लालू-तेजस्वी ने जेडीयू की रुपौली विधायक बीमा भारती को राजद में शामिल कराकर उन्हें पूर्णिया लोकसभा का टिकट थमा दिया।जबकि कांग्रेस पूर्णिया सीट को लेकर डिमांड करती रही।आरजेडी द्वारा पूर्णियां की सीट कांग्रेस को नहीं दिए जाने के कारण पप्पू यादव निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे हैं और वे खुद को पार्टी स्तर से उपर उठकर पूर्णियां का बेटा कहकर वोट मांग रहे हैं।
स्थानीय कांग्रेस नेताओं का भी समर्थन अंदरुनी रूप से पप्पू यादव के प्रति है।आरजेडी ने इस समर्थन को खत्म कराने के लिए राहुल गांधी की सभा पूर्णियां में भी कराने की कोशिश की थी, लेकिन कांग्रेस ने इससे इंकार कर दिया।इसका साफ मतलब है कि कांग्रेस नेताओं का सॉफ्ट कार्नर पप्पू यादव के प्रति है।अगर पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव जीतते हैं तो वे कांग्रेस के साथ ही जुड़ेगें।क्योंकि उनकी पत्नी रंजीता रंजन पहले से ही कांग्रेस में हैं और फिलवक्त राज्यसभा से सांसद हैं।पप्पू यादव के राजनीतिक पकड़ की वजह से ही आरजेडी उन्हें किनारा लगाने की पूरजोर कोशिश कर रही है।
लेकिन,जनता जनार्दन के बल पर पप्पू यादव अकेले मैदान मे डटे हुए हैं।उन्हें जिस तरह से जनसमर्थन भी मिल रहा है,उसे देखकर बीमा भारती और संतोष कुशवाहा के होश फाख्ता होते जा रहे हैं।
अगर पप्पू को मिल रहा जनसमर्थन वोट में तब्दील होता है तो फिर पूर्णियां एवं सीमांचल की राजनीति में आने वाले दिनों में बदलाव होता हुआ दिखेगा।
पप्पू यादव की जीत होने के बाद पूरे बिहार की राजनीति भी इसीलिए बदल सकती है,क्योंकि अब तक लालू की वैशाखी पर खड़ी कांग्रेस को बिहार में पप्पू यादव जैसा मजबूत पीलर मिल जाएगा और अगर पप्पू यादव को बिहार में कांग्रेस की बागडोर थमा दी गयी तो न केवल कांग्रेस का जनाधार बढ़ेगा,बल्कि मुस्लिम वोटरों का रुझान भी कांग्रेस की ओर बढ़ना तय है।ऐसी स्थिति में आरजेडी के माय समीकरण में दरार आने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।शायद यह भी एक बहुत बड़ा कारण है कि लालू-तेजस्वी किसी भी कीमत पर पप्पू यादव को जीतते हुए नहीं देखना चाहते हैं।
बहरहाल,आगामी 26अप्रैल तक पूर्णिया के मतदाता क्या निर्णय लेते हैं और वहां की चुनावी हवा संतोष कुशवाहा,बीमा भारती और पप्पू यादव में से किनके पक्ष में बहती है,यह देखना दिलचस्प होगा।