किसमें कितना है दम!
खगड़िया:राजेश वर्मा के नामांकन पश्चात खगड़िया के जेएनकेटी मैदान में आयोजित चुनावी सभा के दौरान एलजेपी (रामविलास)प्रमुख चिराग पासवान ने भले ही स्वयं के साथ-साथ भागलपुर के हीरा कारोबारी राजेश वर्मा को भी खगड़िया का बेटा बताकर आम मतदाताओं को रिझाने की कोशिश की हो और जन सम्पर्क अभियान के दौरान राजेश वर्मा भी खगड़िया को अपनी माता समान बताने से चूक नहीं रहे हों, लेकिन इस बार खगड़िया में बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा एनडीए को मंहगा पड़ जाय तो शायद किसी के लिए आश्चर्य का विषय नहीं होना चाहिए।
हालांकि ऐसा नहीं है कि खगड़िया लोकसभा से स्थानीय प्रत्याशी ही जीतते रहे हैं!सच तो यह है कि चौधरी महबूब अली कैसर के पहले तक खगड़िया लोकसभा क्षेत्र से अधिकांश बाहर के ही प्रत्याशियों ने जीत का डंका बजाया है।लेकिन इस बार उलट स्थिति इसीलिए है,क्योंकि एक तरफ राजेश वर्मा को चुनौती देने के लिए स्थानीय प्रत्याशी के तौर पर महागठबंधन समर्थित सीपीआईएम के संजय कुशवाहा हैं,वहीं दूसरी तरफ कहा यह भी जा रहा है कि राजेश वर्मा ने यह कहकर लोगों को एक तरह से ललकारा है कि उन्हें गर्व है कि वह धनवान हैं।जो भूखा रहेगा, वह चोरी करेगा ही।
जाहिर तौर पर यह संजय कुशवाहा की फकीरी पर चोट के ही समान है।राजेश वर्मा द्वारा इस तरह की बात कहे जाने के बाद से आम मतदाताओं ने फकीर कहे जाने वाले खगड़िया के पूर्व विधायक दिवंगत योगेन्द्र सिंह के पुत्र संजय कुमार कुशवाहा के पक्ष में गोलबंद होने का मन एक तरह से बना लिया है और योगेन्द्र सिंह की इमानदारी को लेकर खूब चर्चा कर रहे लोग चंदा देकर भी संजय कुशवाहा का सपोर्ट कर रहे हैं।
हालांकि राजेश वर्मा के लिए सबसे विकट स्थिति खगड़िया की पूर्व सांसद और लोजपा (रामविलास)की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रही रेणु कुशवाहा ने पैदा कर रखी है।कहा जा रहा है कि रेणु कुशवाहा खगड़िया के मतदाताओं को यह बताने की कोशिश कर रही हैं कि अपने आपको खगड़िया का बेटा बताने में लगे चिराग पासवान ने खगड़िया की बेटी को धोखा दिया है और इसका जवाब खगड़िया के लोगों को देना चाहिए।वैसे चिराग पासवान द्वारा प्रत्याशियों के चयन बाद ही दर्जनों पार्टीजनों के साथ लोजपा(रामविलास) से इस्तीफा देकर उन्होंने पहले ही अपना इरादा स्पष्ट कर दिया था।उन्होंने भी चिराग पासवान पर टिकट बेचने का आरोप लगाया था और अब भी लगा ही रही हैं।कहा जा रहा है कि करोड़ों रुपये देकर राजेश वर्मा और शांभवी चौधरी सहित अन्य को टिकट दिया गया है।
दूसरी ओर लगातार दो बार खगड़िया संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर चुके लोजपा के मौजूदा सांसद ने भी राजेश वर्मा की राह में रोड़ा बुनना शुरु कर दिया है।सिमरी बख्तियारपुर स्थित अपने आवास पर समर्थकों के साथ बैठककर उन्होंने एलजेपी(रामविलास)के सभी प्रत्याशियों का विरोध करने की भी बात कह दी है।उन्होंने कहा कि वह अभी तक एनडीए में हैं,लेकिन कार्यकर्ताओं की भावना का कद्र करते हुए दो तीन दिनों के अंदर राजद ज्वाइन कर तेजस्वी यादव के हाथों को मजबूत करने का काम करेंगे।उन्होंने कहा कि राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव से उनका तीस साल पुराना संबंध है।उनके पुत्र युसुफ सलाउद्दीन सिमरी बख्तियारपुर से राजद के विधायक हैं और लालू जी ने उन्हें भी अपनी पार्टी में बुलाया है।वह खगड़िया लोकसभा के सभी विधानसभा में बैठककर राजेश वर्मा को हराने का काम करेंगे।यहां तक कि चिराग के सभी प्रत्याशियों का विरोध करेंगे।
आम लोग भी यह सवाल उठा रहे हैं कि लोजपा में टूट के समय धोखा देने का आरोप लगाकर अगर चौधरी महबूब अली कैसर को टिकट से वंचित किया गया तो फिर वैशाली की मौजूदा सांसद वीणा देवी को चिराग ने टिकट क्यों थमाया!
अगर पार्टी और परिवार में टूट के समय गच्चा देने जैसा गुनाह चौधरी महबूब अली कैसर ने किया तो वीणा देवी ने चिराग के लिए कितना भला कर दिया था!वीणा देवी ने समस्तीपुर के मौजूदा सांसद प्रिंस राज को अगर अलग ले जाकर उन्हें भरमाया नहीं होता तो कम से कम वह चिराग को धोखा देने के लिए मजबूर नहीं होते।और अगर प्रिंस राज चाचा पशुपति पारस का साथ नहीं दिए होते तो शायद पारस भी चिराग का साथ नहीं छोड़े होते।
इतना ही नहीं,दिवंगत रामविलास पासवान द्वारा स्थापित लोक जनशक्ति पार्टी में विभाजन भी नहीं होता।सियासी जानकारों का कहना है कि चौधरी महबूब अली कैसर का बगावती तेवर इस बात का प्रमाण है कि लोजपा के लिए इस बार खगड़िया की डगर बहुत मुश्किल है।चौधरी महबूब अली कैसर के पक्ष में अपनी-अपनी दलील दे रहे मुस्लिम समाज के वोटरों का कहना है कि2014और 2019के लोकसभा चुनाव में उन लोगों ने नरेन्द्र मोदी को नजरअंदाज कर चौधरी महबूब अली कैसर के पक्ष में मतदान किया था।लेकिन इस बार वह लोग महागठबंधन समर्थित सीपीआईएम उम्मीदवार संजय कुशवाहा के पक्ष में खुलकर वोट करेंगे।
वैसे,चौधरी महबूब अली कैसर के निर्दलीय चुनाव लड़ने की बात सामने आते ही एनडीए के साथ-साथ महागठबंधन में भी बैचेनी देखी जा रही थी।लेकिन अंतिम समय में उन्होंने अपना इरादा बदल लिया।ऐसी स्थिति में उनकी बस यही चाहत होगी कि बार-बार भरोसा देने के बाद भी विश्वासघात करने वाले चिराग पासवान को कैसे सबक सिखाते हुए उनकी सभी सीटों पर महागठबंधन के पक्ष में लोगों को गोलबंद करें।
सियासी जानकारों का कहना है कि चौधरी महबूब अली कैसर के चुनावी मैदान में नहीं रहने के कारण मुस्लिम समाज का अधिकांश वोट संजय कुमार कुशवाहा के पक्ष में जाना लगभग तय है।वैसे भी राजद का माय समीकरण उनके साथ है और जब चौधरी महबूब अली कैसर राजद में चले जाते हैं तो संजय कुशवाहा का पक्ष और मजबूत होना तय है।चौधरी महबूब अली कैसर चिराग का खुलकर विरोध कर यह स्पष्ट भी कर चुके हैं कि इस बार लोजपा के लिए कई मुसीबतें सामने आएगी।राष्ट्रीय लोकजन शक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस के समर्थक भी उनसे खार खाए बैठे हैं और यह कहने में भी कहीं से संकोच नहीं है कि कम से कम खगड़िया में चिराग से अधिक पारस का जनाधार है।
बात अलग है कि राजेश वर्मा चौधरी महबूब अली कैसर के साथ-साथ पशुपति कुमार पारस से भी आशीर्वाद लेने की बात कर रहे हैं।लेकिन शायद उन्हें भी पता है कि चौधरी महबूब अली कैसर और पारस उनका कितना साथ देंगे।हालांकि,चौधरी महबूब अली कैसर के घोर विरोधी कहे जाने वाले परबत्ता के जदयू विधायक डॉ संजीव कुमार उन्हें टिकट नहीं मिलने से काफी प्रसन्न हैं और कह रहे हैं कि लोजपा के मौजूदा सांसद चौधरी महबूब अली कैसर को अगर टिकट मिलता तो वह पार्टी लाइन से अलग हटकर उनका खुलकर विरोध करते।
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि राजेश वर्मा को टिकट मिलने से डॉ संजीव गदगद हैं और वह खुलकर उनका साथ देंगे।डॉ संजीव के समर्थकों का कहना है कि उनके विधायक स्वच्छ छवि के हैं।इसीलिए वह ऐसे उम्मीदवार के पक्ष में खुलकर सामने नहीं आएंगे,जिनको लेकर यह आम चर्चा हो कि गुंडा बैंक से गहरे ताल्लुकात रहे हैं और टैक्स चोरी के आरोप में कई बार जिनके प्रतिष्ठान पर छापा पड़ा हो।गठबंधन धर्म का पालन करते हुए डॉ संजीव खुलकर विरोध नहीं करेंगे,यह बात भी तय है।
वैसे,आज के राजनीतिक परिदृश्य में नीति व सिद्धांत की बातें करना बेईमानी है।इसीलिए यह नहीं कहा जा सकता है कि डॉ संजीव आखिरकार करेंगे क्या!लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि जदयू के फायर ब्रांड नेता कहे जाने वाले डॉ संजीव कुमार अगर राजेश वर्मा का खुलकर समर्थन नहीं करते हैं तो इसका खामियाजा भी एनडीए को भुगतना पड़ेगा।ऐसा इसीलिए भी कि उनका वोट बैंक काफी मजबूत कहा जाता है और विपरित परिस्थिति के बावजूद अपने भाई राजीव कुमार को एमएलसी बनाकर उन्होंने अपनी राजनीतिक क्षमता का एहसास सबको कराया भी है।
खगड़िया से गहरे ताल्लुकात रखने वाले बिहार के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी सहित राष्ट्रीय लोक मोर्चा सुप्रीमो उपेंद्र कुशवाहा आदि के साथ खगड़िया की चुनावी सभा में पहुंचे चिराग पासवान ने स्वयं के साथ-साथ राजेश वर्मा को भी खगड़िया का बेटा बताकर बाहरी प्रत्याशी के मामले को जमींदोज करने की भरपूर कोशिश तो की,लेकिन इसका यह मतलब कतई नहीं कि वह जो कुछ कह दें,जनता उस पर यकीन कर लेगी।
चुनाव के इस मौसम में खगड़िया संसदीय सीट से एनडीए समर्थित लोजपा (रामविलास)प्रत्याशी राजेश वर्मा को बाहरी बताकर सिर्फ विपक्ष द्वारा ही हवा नहीं दिया जा रहा है।आम लोगों की भी सोच है कि हम उनका समर्थन क्यों करें,जिनका खगड़िया से दूर-दूर तक कोई रिश्ता नहीं हो।
स्थिति तो यह है कि अबकी बार चार सौ के पार का नारा बुलंद कर रहे एनडीए के स्थानीय नेताओं के पास भी इस बात का जवाब नहीं है कि हम बार-बार बाहरी प्रत्याशी का समर्थन क्यों करें उसमें भी तब,जबकि खगड़िया के चुनावी मैदान में स्थानीय उम्मीदवार हों।
बीते मंगलवार को चुनावी रैली को संबोधित करते हुए चिराग पासवान द्वारा यह कहा जाना लोगों को नागवार लग रहा है कि उनकी तरह राजेश वर्मा भी खगड़िया का बेटा है।चिराग ने कहा कि उनके पिता रामविलास पासवान का जन्म खगड़िया में हुआ था और वे भी अपने पिता की तरह खगड़िया के बेटे हैं।यहां तक कही गयी बातें लोगों पच भी सकती थी,लेकिन उन्होंने जब राजेश वर्मा को खगड़िया का बेटा बताया तो लोग नाक भौं सिकोड़ने लगे।
इस क्रम में चिराग पासवान ने यह भी कहा कि उन्होंने अपने छोटे भाई को खगड़िया लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया है और उनका छोटा भाई होने के लिहाज से राजेश वर्मा भी खगड़िया के बेटे हैं।जबकि यह हर कोई जान रहा,है कि सर्राफा व्यापारी राजेश वर्मा का खगड़िया से कोई रिश्ता नहीं है।उनकी राजनीतिक कर्मभूमि भागलपुर ही रही है और वह सिर्फ सांसद बनने की आस में खगड़िया आए हैं।
2017 में भागलपुर नगर निगम से राजनीति में कदम रखने वाले राजेश वर्मा लोजपा की टिकट से 2020 में भागलपुर से विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं।लेकिन तीसरे नंबर पर रहे थे।राजेश वर्मा की जन्मभूमि और कर्मभूमि भागलपुर ही रही है,बात इतनी ही नहीं है,उनकी उम्मीदवारी को लेकर खगड़िया लोकसभा के राजनीतिक गलियारे में तरह-तरह की चर्चाएं भी हैं।
नामांकन के एक दिन पूर्व आयोजित प्रेस वार्ता में भी मीडिया के कई सवालों का जवाब देने के क्रम में असहज नजर आए राजेश वर्मा खुद जिले की राजनीतिक जगत के कई सवालों का जवाब देना मुनासिब नहीं समझे।
प्रेस वार्ता के दौरान खगड़िया संसदीय सीट से अपनी उम्मीदवारी के चयन को लेकर मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए राजेश वर्मा ने कहा कि संगठन का निर्देश उनके लिए सर्वोपरि है और यह संगठन का निर्णय था।उन्होंने कहा कि लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने एक युवा को अवसर दिया है,जो अपनी बातों को सदन के पटल पर मजबूती से रख सके।लेकिन उम्मीदवार चयन के मामले में लोजपा प्रत्याशी राजेश वर्मा के जवाब के बाद चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।ऐसे में सवाल उठना लाजिमी था कि लोजपा के संस्थापक दिवंगत रामविलास पासवान के गृह जिला में पार्टी के पास एक भी ऐसा युवा चेहरा क्या नहीं था,जो यहां की आवाज को सदन में मजबूती से,रख सकता था।सवाल तो यह भी है कि खगड़िया की मिट्टी से निकलकर देश के राजनीतिक जगत में चमकने वाले दिवंगत रामविलास पासवान के गृह जिला में भी पार्टी को अन्य जिले से उम्मीदवार तलाश करना पड़ा है।
वैसे भी मामला संगठन का भले ही आंतरिक हो,लेकिन भावनाएं संगठन के जिला स्तरीय कार्यकर्ताओं से भी जुड़ी हुई है।यह बताना शायद जरुरी नहीं है कि खगड़िया संसदीय सीट में जिले के खगड़िया,अलौली, परबत्ता व बेलदौर सहित सहरसा जिले का सिमरी बख्तियारपुर एवं समस्तीपुर जिले का हसनपुर विधानसभा क्षेत्र आता है।लेकिन इन विधानसभा क्षेत्रों से इतर भागलपुर की राजनीतिक जमीन से लोजपा (रा)ने उम्मीदवार चयन करना बेहतर समझा है।
बहरहाल,आगामी 7मई तक होगा क्या,यह स्पष्ट तौर पर कहना तो फिलवक्त मुश्किल है।लेकिन खगड़िया लोकसभा सीट से एनडीए ने लोजपा (रामविलास) के राजेश वर्मा जैसे बड़े हीरा कारोबारी और इंडिया गठबंधन ने सीपीआईएम के फकीर कहे जाने वाले संजय कुशवाहा को प्रत्याशी बनाकर मुकाबले को रोचक जरुर बना दिया है।ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि खगड़िया लोकसभा के मतदाता जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत माड़र,निवासी सीपीआईएम प्रत्याशी संजय कुमार पर भरोसा जताते हैं या पीएम मोदी की,आंधी में संजय को उड़ाते हुए भागलपुर के बड़े सर्राफा व्यापारी राजेश वर्मा हेलिकॉप्टर से लोकसभा पहुंच जाते हैं।अथवा अंतिम समय में कुछ और होता है!!
एसडीएफ न्यूज ब्यूरो