राजेश सिन्हा की रिपोर्ट
बिहार में कोसी सहित विभिन्न नदियों से घिरे इलाके में रह रहे समाज के अंतिम पंक्ति की बच्चियों पर मानव तस्करों की बुरी नजर रही है।समय-समय पर इस तरह का मामला सामने आता रहा है।लेकिन कुछ ही दिनों में इस तरह का मामला दफन भी हो जाता रहा है।हालांकि यह डंके की चोट पर कहा जा सकता है कि,विभिन्न प्रदेशों के लोग गरीब बेटियों के मां-बाप व सगे संबंधियों को सम्पन्नता का सब्जबाग दिखाकर बिटिया को ब्याहते हैं और किशोरियों को दूर देश लेकर चले जाते हैं।नाबालिग बेटियों को किसी अधेड़ तक से ब्याहने के समय नाबालिग बेटियों के भविष्य की चिंता मां-बाप इसलिए नहीं कर पाते हैं, क्योंकि गरीबी में जी रहे ऐसे लोगों को बेटियों के एवज में तत्काल मोटी रकम मिल जाती है।विभिन्न प्रदेशों के लोग गरीब व मजलूम की बेटियों को समूह में ब्याहकर ले जाने आते हैं।हालांकि गरीबों की बस्ती तक पहुंचने के लिए उन्हें दलालों का सहारा लेना पड़ता है।दलालों को पहले ऑनलाइन के जरिए कुछ राशि दी जाती है,ताकि वह गरीब परिवार की बेटियों को ब्याहने के एवज में अग्रिम के तौर पर कुछ राशि देकर सौदा पक्का कर सकें।फिर सब कुछ तय होने के बाद विभिन्न प्रदेशों से लोग समूह में आते हैं और तय हुए रकम का भुगतान कर किशोरियों या यूं कहें कि, बच्चियों को ब्याह कर ले जाते हैं।हालांकि यह भी तय है कि,दूसरे प्रदेशों के लोगों के साथ ब्याह दी गई बच्चियां बमुश्किल लौटकर मायके आ पाती हैं।कई बच्चियों के लिए ऐसा भी वक्त आया,जब वह किसी तरह दूर प्रदेश से किसी तरह बचकर वापस मायके लौटी,फिर वास्तविक तौर पर ऐसी बच्चियों की जिंदगी संवर सकी।कुछ का तो कोई अता-पता भी नहीं है।
खगड़िया,सहरसा और मधेपुरा सहित विभिन्न जगहों में ऐसे उदाहरण भरे पड़े हैं।पहले घटित हुई इस तरह की घटनाओं को दरकिनार कर अगर ताजे मामले की बात करें,तो बीते शनिवार को कुछ इसी तरह का वाक्या तब सामने आया,जब सुपौल जिले के भीमपुर थाना क्षेत्र की एक नाबालिग बेटी दूसरे प्रदेश के मानव तस्करों के हाथों बिकते-बिकते बच गई।समाज के कुछ जागरुक व संवेदनशील नागरिकों के साथ-साथ पुलिस की सक्रियता के कारण नाबालिग बिटिया बिकते-बिकते बच तो गई,लेकिन सुलगता सवाल यह है कि,समाज के तमाम वर्गों का विकास करने वाली सरकार आखिर सोई क्यों है,जो गरीबी और मुफलिसी के कारण लोग अपनी नाबालिग बिटिया को बिना जान पहचान वालों के भी हाथों चंद रुपयों में बेचने को मजबूर हैं।बाल विवाह रोकने की मुहिम यहां रंग क्यों नहीं लाती!स्थानीय लोग बताते हैं कि, बीते शनिवार की देर रात भीमपुर स्थित सुंदेश्वर शिव राम जानकी मंदिर परिसर में एक नाबालिग लड़की की दूसरे प्रदेश के लगभग चालीस वर्षीय युवक से शादी रचाई जा रही थी।स्थानीय वार्ड नंबर आठ निवासी की ब्याही जाने वाली नाबालिग किशोरी के मामले से बस्ती के तमाम लोग वाकिफ थे।दूसरे प्रदेश से समूह में आए लोगों के साथ स्थानीय कुछ दलाल भी थे।बताया कि,इस बस्ती को करीब से जानने वाले दलालों ने नाबालिग लड़की की महिला रिश्तेदार के जरिए उसके मां-बाप को ब्याहने के एवज में मोटी रकम दिया था।पूर्व नियोजित कार्यक्रम के तहत दूसरे प्रदेश के लोगों को नाबालिग के ब्याहने को लेकर आमंत्रित किया गया था।जानकारों का कहना है कि, इस रिश्ते को तय करने के एवज में चंद दलालों ने मोटी रकम के लोभ में बड़ी भूमिका निभाई थी।स्थानीय सहयोगियों को भी कुछ रकम मिले थे और नाबालिग को ब्याहने के बाद कुछ रकम मिलने थे।
लेकिन जैसे ही इस तरह का मामला कुछ प्रबुद्धजनों की कानों तक पहुंचा,सभी चौकन्न्ने हो गए।पुलिस की सक्रियता बढ़ते ही दलाल सहित नाबालिग को ब्याहने आए सभी मंदिर परिसर से भाग खड़े हुए।पुलिस के द्वारा जब पड़ताल शुरु की गई,तो स्थानीय लोगों ने बताया कि, एक ऑटो में अन्य लोगों के साथ सवार होकर आए दूल्हे के साथ पंडित की गैर मौजूदगी में नाबालिग लड़की की ब्याह कराई जा रही थी।यूपी के बरेली से बुलाए गए दूल्हे की शादी आठवीं की छात्रा के साथ कराई जा रही थी।नाबालिग लड़की मध्य विद्यालय भीमपुर के आठवीं कक्षा की छात्रा है।दूसरे प्रदेश में रहकर मजदूरी कर रहे उसके पिता की गैर मौजूदगी में रिश्ते में मौसी लगने वाली एक महिला के साथ-साथ चंद दलालों ने उसकी मां को बहकावे में लेकर रिश्ता तय कराया था।छात्रा का कहना था कि,उसके तमाम विरोध के बाद भी पास के ही वार्ड नंबर नौ में रहने वाली उसकी मौसी ने यूपी से आए दूल्हे से विवाह के लिए उसकी मां को राजी किया था।मां और रिश्तेदारों की जिद के आगे विवश होने के बाद उसकी शादी ऑटो से आए लड़के के साथ कराई जा रही थी।वह तो लड़के का न ही नाम जानती है और न ही उसके ठिकाने का पता है।छात्रा का कहना था कि, पुलिस के आने से पहले सभी भाग खड़े हुए,लेकिन जिस लड़के से उसकी शादी कराई जा रही थी,वह लड़का उससे उम्र में दोगुना था।दूल्हे के साथ अन्य चार की संख्या में लोग यूपी से आए थे।एक भी महिला साथ नहीं थी।छात्रा ने कहा कि,विवाह उसकी मर्जी से नहीं,अपितु जबर्दस्ती कराई जा रही थी।अगुवा बनी मौसी ने उसकी मां को कहा था कि, जिससे मेरी शादी की जा रही है,वह बहुत पैसे वाला है।बताया जा रहा है कि,रविवार की सुबह त्रिवेणीगंज एसडीपीओ के निर्देश पर वार्ड नंबर नौ स्थित बस्ती पहुंची भीमपुर पुलिस ने एक घर में छापेमारी कर यूपी के रहने वाले एक युवक को हिरासत में लिया।हिरासत में लिए गए युवक की पहचान यूपी के बरेली जिला निवासी के रुप में हुई।वैसे युवक द्वारा दिखाए गए आधार कार्ड और उस पर लगी तस्वीर से उसका चेहरा मेल नहीं खा रहा था।इधर, थानाध्यक्ष राम शंकर का कहना था कि,बेमेल शादी की सूचना पर पुलिस बल को मंदिर भेजा गया था,लेकिन पुलिस के पहुंचते ही सभी मौके से फरार हो गए।
दूसरी तरफ तफ्तीश में यह तथ्य उभरकर सामने आया कि,वार्ड नंबर नौ में निवास कर रहे गरीब परिवार की कई लड़कियां इस तरह की बेमेल शादी का शिकार हो चुकी है।
सच तो यह है कि,महज यह भीमपुर पंचायत की कहानी नहीं है।सहरसा,मधेपुरा और खगड़िया सहित कई जिलों के गरीब बस्तियों की यदि सर्वे हो,तो इस तरह के कई मामले सामने आएंगे।खगड़िया जिले के सोनमनकी निवासी बालेश्वर चौधरी भी कहते हैं कि,विभिन्न नदियों के बीच घिरे कई बस्तियों में इसी तरह कई लड़कियां दूसरे प्रदेश के बेमेल लड़कों से ब्याह तो दी गई,लेकिन या तो वह किसी तरह भागकर मायके आ गयी या फिर कभी मायके लौट ही नहीं सकी।लोगों ने तो यहां तक बताया कि,गरीबी का फायदा उठाकर दलाल ऐसे परिवार के सदस्यों को भरोसा में लेकर बेटियों का बोझ हल्का करने का आश्वासन देते हैं,लेकिन बाद के दिनों में ब्याही गयी लड़कियां किस हाल में है,खैर-खबर तक नहीं मिलती!!