अररिया(राहुल ठाकुर)।
सिकटी प्रखंड क्षेत्र स्थित मध्य विद्यालय पोखरिया आमगाछी में आज गुरुवार को उस समय कोहराम मच गया,जब विद्यालय संचालन के समय ही एक शिक्षक ने वर्ग कक्ष में पंखा लगाने वाली कड़ी से रस्सी लगा लटक कर खुदकुशी कर ली।घटना की जानकारी मिलते ही शिक्षक व बच्चे सहित ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गयी और तत्क्षण ही घटना की सूचना सिकटी थाना पुलिस को दी गई।सूचना मिलते ही सदल बल मौके पर पहुंचे पुअनि शाहिद खां ने स्थिति का मुआयना और शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया।
मिल रही जानकारी के अनुसार 16 जुलाई 2014 में नियोजन के बाद से गोपाल केसरी नामक शिक्षक मध्य विद्यालय पोखरिया आमगाछी में कार्यरत थे।सहयोगी शिक्षकों का कहना है कि,वह बेहद ही शांत स्वभाव के थे।गुरुवार को वह विद्यालय खुलते ही पहुंचे।लेकिन घंटी बजने के बाद भी जब वह वर्ग कक्ष में जब नहीं पहुचे,तो बच्चों ने कार्यालय में जाकर कहा कि,सर आज कक्षा में नहीं आए हैं।काफी समय बीत जाने के बाद भी जब वह कक्षा में नहीं आए,तो बच्चों ने उनको खोजना शुरु कर दिया।सभी जगहों पर खोजने के बाद बच्चे जब ऊपर की कक्षा में गए,तो शिक्षक को रस्सी के फंदे से लटका देखा।बच्चों द्वारा शोर मचाए जाने पर सभी लोग ऊपर की ओर दौड़ पड़े और सभी ने मिलकर उन्हें फंदे से नीचे उतारा,लेकिन तब-तक वह मौत के आगोश में समा चुके थे।शिक्षक के मौत की खबर मिलते ही पास के उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय बरुदह में शिक्षिका के पद पर कार्यरत उनकी पत्नी रचना गुप्ता पहुंची और दहाड़ मारकर रोने लगी।मिल रही जानकारी के अनुसार हाल के कुछ वर्ष पूर्व उनकी शादी हुई थी।उनको एक छोटा बच्चा भी है।बदहवासी की हालत में बिलख रही मृतक शिक्षक की पत्नी की आंसू देखकर उपस्थित लोगों का कलेजा दहल रहा था।वह पति के शव से लिपट कर हृदयविदारक चीख के साथ रो रही थी।
इधर शिक्षक द्वारा आत्महत्या कर लिए जाने की सूचना मिलते ही बीडीओ राकेश कुमार ठाकुर सभी कार्यक्रम स्थगित कर मध्य विद्यालय पोखरिया आमगाछी पहुंचे।वहां उपस्थित शिक्षिका को ढ़ाढ़स बंधाते हुए दूसरी सहयोगी शिक्षिकों को उन्हें संभालने की बात कही।दूसरी तरफ विद्यालय के प्रधानाध्यापक शरणदेव पासवान ने बताया कि,बीते दो वर्षों से गोपाल केसरी का इलाज नेपाल स्थित विराटनगर में मनोचिकित्सक द्वारा किया जा रहा था।
वह लगातार अवसाद की स्थिति में थे।लगातार दवा चल रहा था।वह अपने सहयोगी शिक्षकों से भी दूर ही रहा करते थे।अक्सर वह एकांत में रहना पसंद करते थे।