उदीयमान सूर्य को अर्घ्य के साथ लोक आस्था का चार दिवसीय महा पर्व आज सोमवार को हर्षोल्लास के साथ सम्पन्न हो गया।
चार दिवसीय चैती छठ पर्व के आज अंतिम दिन उदीयमान भगवान भाष्कर को अर्घ्य दिए जाने के बीच आस्था का जनसैलाब उमड़ता रहा।जिले के विभिन्न भागों के साथ-साथ परबत्ता प्रखंड के उत्तरवाहिनी अगुवानी गंगा छठ घाट, नयागांव सीढ़ी घाट,कबैला, लगार,भरसों,भरतखंड आदि सहित कई गांवों के छठ घाटों पर अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालुओं की लंबी भीड़ देखी गई।
रुपौहली,सिराजपुर आदि के कई गांवों में घर के सामने बनाए गए अस्थाई तलाब में श्रद्धालुओं ने भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया।वहीं छठ व्रतियों द्वारा पानी में खड़े होकर सूप में सजे फल,मिष्ठान के साथ भगवान भास्कर की आराधना की गई।
इधर,छठ व्रती प्रिया देवी, काजल कुमारी,प्रज्ञा सिंह, मोनी देवी,जुही देवी आदि का कहना था कि,भगवान भास्कर से परिवार की सुख-शांति सहित कई अन्य रोगों और संकटों को दूर करने की प्रार्थना की गयी।इन व्रती महिलाओं का यह भी कहना था कि, भगवान भास्कर उन लोगों की मुरादें अवश्य पूर्ण करेंगे।
चार दिवसीय महा पर्व के अंतिम दिन सुबह के अर्घ्य के साथ छठ व्रतियों से श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद प्राप्त किया।तत्पश्चात व्रती महिलाओं द्वारा शरबत पीकर तथा प्रसाद ग्रहण कर 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त किया गया।शायद यह बताने की जरुरत नहीं है कि,छठ पूजा का सबसे महत्त्वपूर्ण पक्ष इसकी सादगी पवित्रता और लोकपक्ष रहा है।भक्ति और अध्यात्म से परिपूर्ण इस पर्व में बाँस निर्मित सूप-दउरा,टोकरी, मिट्टी के बर्त्तनों,गन्ने का रस,गुड़,चावल और गेहूं से निर्मित प्रसाद और सुमधुर लोकगीतों से युक्त होकर लोक जीवन की भरपूर मिठास का प्रसार होता है।दूसरी तरफ इस महापर्व को लेकर प्रशासनिक तौर पर सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे।
लगभग सभी घाटों के आस-पास मजिस्ट्रेट के साथ-साथ पुलिस पदाधिकारियों की तैनाती तो थी ही,गोताखोरों को भी चौकन्ना रखा गया था।
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