प्रवीण कुमार प्रियांशु की रिपोर्ट
कहा गया है कि,जब मन में विश्वास और हौसला बुलंद हो,तो इंसान जीवन की सभी मुसीबतों को पार कर मंजिल पाने की तमन्ना पाल लेता है।हौसला हमारी शक्ति को हमेशा बढ़ाता है और लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रेरित भी करता रहता है।इन बातों को प्रमाणित करती खगड़िया जिले के अलौली प्रखंड क्षेत्र निवासी भुपेन्द्र यादव की 15 वर्षीय पुत्री कृष्णा कुमारी बेवस और लाचार कहे जाने वाले लोगों के लिए मिशाल बनकर सामने आ रही है।कृष्णा जब महज नौ साल की थी,तो 2016 में घटित एक दुर्घटना में वह अपना दोनों हाथ गंवा दी थी।इसके बाद उसकी जिंदगी बदल गई।परिजनों को लगा कि,कृष्णा अब बेवस और लाचार हो गई है।बावजूद इसके वह हार नहीं मानी और अपनी पढ़ाई जारी रखी।
दाहिने पैर से अपनी किस्मत लिख रही है कृष्णा
अलौली प्रखंड अंतर्गत अलौली गांव स्थित वार्ड-06 की कृष्णा कुमारी उच्च शिक्षा ग्रहण कर अपना भविष्य बनाना चाहती है।उसके मन में आगे बढ़ने का संकल्प और ललक इस कदर है कि, दिव्यांगता भी उसके हौसलों को तोड़ नहीं सक रही है।पन्द्रह वर्षीया कृष्णा कुमारी पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ खेलकूद में भी दिलचस्पी रखती है।कृष्णा कहती है कि,सरकार द्वारा महावीर विकलांग मिशन योजना के तहत महज 400 सौ रुपये मिलते हैं।इससे उसकी किस्मत संवर नहीं सकती है।लेकिन वह भविष्य में पढ़- लिखकर जॉब करना चाहती है।वह न केवल अपने परिवार की देखभाल करना चाहती है, बल्कि इसके साथ-साथ अपने जिले सहित राज्य का नाम देश-विदेश में रौशन भी करना चाहती है।जिसके लिए उसे सरकार से मदद की जरुरत है।वह बताती है कि,2 भाई और 6 बहनों में वह तीसरे नम्बर पर है।अभी अलौली के एसएस हाईस्कूल में 9वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही है।
हादसे में गंवा दी थी दोनों हाथ
कृष्णा कुमारी जब 9 वर्ष की थी,तब स्कूल से घर आने के बाद अपने भाई-बहनों के साथ अपने घर के छत पर खेलने गयी थी।इसी दौरान उसके हाथों का स्पर्श 11 हजार वोल्टेज के बिजली की तार से हो गया।जिसके बाद इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अलौली ले जाया गया।वहां से उसे रेफर किए जाने के बाद खगड़िया और खगड़िया से भागलपुर,फिर भागलपुर से पटना ले जाया गया।लेकिन इलाज के दौरान डाक्टरों को उसका दोनों हाथ काटना पड़ गया।घटना के बाद कृष्णा को तृतीय कक्षा की पढ़ाई के बाद अपनी पढ़ाई रोकनी पडी।लेकिन वह भी आम बच्चों की तरह कुछ कर दिखाने की दृढ़ इच्छा जताई।अपने माता पिता और भाई बहनों के लिए कुछ करने की इच्छा जताते हुए वह हाथ नहीं रहने के बावजूद पैर से ही लिखकर आगे की पढ़ाई शुरु कर दी।
“हादसे के बाद मम्मी ने सरकारी स्कूल में दाखिला करवा दिया।फिर मैंने दाहिने पैर से लिखना शुरु किया।अभी 9वीं कक्षा में पढ़ाई कर रही हूं।सरकार मुझे मदद करे।ताकि,आगे भी पढ़ सकूं।मेरे पिता मजदूरी कर पूरे परिवार का भरण पोषण करते हैं महज ₹400 विकलांग राशि मिलता है।लेकिन उससे क्या होगा?डीएम साहब से आग्रह है कि,मुझे कृत्रिम हाथ लगाने की कोशिश करें।डीएम साहब का आशीर्वाद अगर उसे मिला,तो संवर सकती है उसकी जिंदगी।।”
कृष्णा कुमारी,दिव्यांग छात्रा