खगड़िया(सुमलेश कुमार यादव)।
जिले के बेलदौर प्रखंड अंतर्गत कैंजरी पंचायत स्थित वार्ड नंबर 10 निवासी बटन यादव का दोनों पैरों से दिव्यांग 12 वर्षीय पुत्र दिव्यांग पुत्र सावन कुमार मदद की आस में सिसक रहा है।सावन के लिए विकट स्थिति यह है कि,उसके पैरों में खतरनाक घाव भी हो गया है।नतीजतन वह चल-फिर भी नहीं सकता है।कहा तो यह जा रहा है कि,संभवतः इसका पैर भी कटवाना पड़ सकता है।कहा जा रहा है कि,जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ सरकार और जिला प्रशासन से समय रहते अगर मदद नहीं मिली,तो उसके जिंदगी काटना मुसीबत का सबब बन जाएगा।हालांकि समाजसेवियों ने भी जनप्रतिनिधि,सरकार व जिला प्रशासन से दिव्यांग सावन कुमार को मदद करने की गुहार लगाई है।बताया जा रहा है कि,सावन कुमार के पिता एक छोटे किसान हैं और किसी तरह मजदूरी भी करते हुए अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं।परिजनों का कहना है कि,सावन के पिता ढ़ंग से तो घर-गृहस्थी संभाल नहीं पाते हैं,फिर सावन का इलाज कहां से कराएं!मदद की उम्मीद में दिव्यांग सावन कुमार ने पंचायत से लेकर प्रखंड और प्रखंड से लेकर जिलास्तरीय दर्जनों पदाधिकारी का दरवाजा खटखटा चुका है।लेकिन इस घूसखोर जमाने में अभी तक उसका दिव्यांगता प्रमाण पत्र तक नहीं बन सका है।नतीजतन किसी तरह का पेंशन भी उसे नहीं मिल रहा है।उसे उम्मीद थी कि,कोई मसीहा उसके लिए ट्राई साईकिल का इंतजाम करा देंगे।लेकिन उसकी यह उम्मीद भी दम तोड़ चुकी है।किसी तरह की सरकारी मदद नहीं मिल पाने के कारण सावन टूट चुका है।चल-फिर नहीं सकने वाला सावन कहता है कि,
सरकार के द्वारा दिव्यांगों को मदद किए जाने का ढ़िंढ़ोरा पीटा तो जाता है,लेकिन हकीकत ठीक इसके उलट है।सरकार द्वारा दिव्यांगों की मदद के लिए अनेकों तरह से प्रचार प्रसार किया जा रहे हैं। इसके लिए करोड़ों रुपये खर्च कर बुनियादी केंद्र बनाए गए हैं।लेकिन दिव्यांगों की मदद के नाम पर महज कागजी प्रक्रिया पूरी की जाती है।धरातल पर दिव्यांगों को मदद नहीं मिल पा रही है।दिव्यांगों को अगर मदद मिलती भी है,तो मदद के नाम पर बिचौलिए पहले ही खून चूस लेते हैं।बिचौलिए इस कदर हावी हैं,कि वास्तविक तौर पर दिव्यांगों को मदद नहीं मिल पाती है।सरकारी मदद के नाम पर दिव्यांग ठोंकरे खाते रह जाते हैं।प्रशासनिक पदाधिकारी भी महज आश्वासन देते रह जाते हैं।या यूं कहें कि,प्रशासन चैन की नींद लेती रह जाती है।सावन यह भी कहता है कि,जिलाधिकारी डॉक्टर आलोक रंजन घोष द्वारा उसके लिए त्वरित कार्रवाई किए जाने से मदद की उम्मीद बंधी थी,लेकिन उसे वाजिब तौर पर मदद नहीं मिल सकी।हां!संदर्भित कुछ पदाधिकारियों को फटकार जरुर लगी।एक दो पदाधिकारी फोन के माध्यम से महज जानकारी लेकर ही अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ले रहे हैं।