खगड़िया(राजकमल)।
शिक्षा व्यवस्था में चार-चांद लगाने के तमाम दावों के बीच कम से कम खगड़िया जिले के बेलदौर प्रखंड की शिक्षा व्यवस्था सुधर नहीं पा रही है।विभिन्न विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को सबके सामने लाने की मुहिम के बीच जब एसडीएफ लाइव इंडिया की टीम प्रखंड मुख्यालय स्थित प्राथमिक विद्यालय जमैया टोला पहुंची,तो विद्यालय का नंगा सच सामने आ गया।नगर पंचायत स्थित थाना से सटे इस प्राथमिक विद्यालय के सामने कचरों का अंबार लगा था।स्थिति यह थी कि,बच्चे स्कूल आने-जाने के लिए बांस के बने चचरी पुल का सहारा ले रहे थे।बच्चों ने बताया कि, अभी तो कम से कम चचरी पुल को पार कर स्कूल जाते- आते हैं,लेकिन बरसात के मौसम में राह बहुत कठिन हो जाती है।विद्यालय के आगे बाढ़ एवं बरसात के मौसम में पानी जमा होने से सभी बच्चों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वैसे बता दें कि,इस स्थिति से वाकिफ करते हुए समुचित कार्रवाई के लिए पत्रकारों द्वारा कई बार खबरें प्रकाशित और प्रसारित की गई,लेकिन व्यवस्था में सुधार नहीं हुआ।स्थानीय प्रशासन को भी कई बार विद्यालय की समस्याओं से अवगत कराया गया,लेकिन व्यवस्था में सुधार लाने की ज़हमत किसी ने नहीं उठायी।खैर!जब प्राथमिक विद्यालय जमैया टोला की प्रधानाध्यापिका सरिता कुमारी से बात की गई,तो उन्होंने बताया कि,विद्यालय में कुल नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या 160 है।हालांकि गुरुवार को महज 53बच्चों की उपस्थिति देखी गई।दो शिक्षिका के भरोसा पठन-पाठन का कार्य चल रहा था।बताया गया कि,टोला सेवक सुबोध कुमार रजक विद्यालय में अपनी उपस्थिति बनाकर अपने घर के दैनिक कार्यों में लग जाते हैं।कई बार टोला सेवक को समझाने के बावजूद भी वह अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे हैं।प्रधानाध्यापिका ने बताया कि,विद्यालय में चापाकल एवं शौचालय नहीं है।लेकिन विभाग द्वारा राशि उपलब्ध करा दी गई गई है।उपलब्ध कराई गई राशि से मिट्टी वर्क किया गया है।विद्यालय का पेंटिंग भी किया जाएगा।वैसे स्थानीय लोगों ने बताया कि, बच्चों को एमडीएम के नाम पर शिक्षिका के द्वारा हेराफेरी कर मोटी कमाई की जा रही है।प्रधानाध्यापिका के द्वारा बच्चों के भोजन की थाली से हरी सब्जी गायब कर दी जाती है।
विद्यालय में बच्चों की कम उपस्थिति के विषय में जब पूछा गया,तो एचएम ने कहा कि,यह सब खबर मत प्रकाशित कीजिए।कुछ तो हमें भी जीने का सहारा रहना चाहिए ना!कुल मिलाकर कह सकते हैं कि,प्रधानाध्यापिका मीडिया के सवालों से बार-बार बचती रहीं।
अब सवाल यह उठता है कि,समस्याओं के सलीब पर लटके विद्यालय की व्यवस्था सुधारने का जिम्मा ले आखिर कौन!!