खगड़िया(सुमलेश कुमार यादव)।
जिले के बेलदौर प्रखंड में एमडीएम के नाम पर लूट मची है।विभिन्न विद्यालयों के एचएम एमडीएम के नाम पर गोलमाल कर अपना पॉकेट भरने का काम तो कर ही रहे हैं,पैरवी और पहुंच के बल पर बीते पांच वर्षों से बेलदौर प्रखंड में एमडीएम प्रभारी के पद पर जमे पप्पू कुमार की भी चांदी कट रही है।एमडीएम के प्रखंड प्रभारी पप्पू कुमार के संदर्भ में कई एचएम का कहना है कि, अंगद के तरह पैर जमाए पप्पू कुमार को कोई हिला नहीं सकता है।क्योंकि रुपये के बल पर इनकी पैरवी और पहुंच बहुत लंबी है।पप्पू कुमार एमडीएम के नाम पर काली कमाई जरुर करते हैं, लेकिन संरक्षण देने वाले पदाधिकारियों को हिस्सा देने से गुरेज भी नहीं करते हैं।
शायद यह बताने की जरुरत नहीं है कि,एक ही जगह जमे सभी पदाधिकाधियों का तबादला तीन वर्ष बाद हो जाता है।लेकिन पांच वर्षों से एक ही जगह जमे बेलदौर प्रखंड के एमडीएम प्रभारी पप्पू कुमार को कोई हिला तक नहीं सका है।इस बात की जानकारी होने के बाद भी संबंधित पदाधिकारी आखिर खामोश क्यों हैं,इस बात से लगभग सभी वाकिफ हैं।जानकारों का कहना है कि, एमडीएम प्रभारी पप्पू कुमार ज्यादातर कार्यों को कागज पर ही निपटा लेते हैं।एमडीएम चाहे चले या ना चले,इससे इनको कोई मतलब नहीं है।बताया जा रहा है कि, जिले के सभी प्रखंडों में तैनात एमडीएम बीआरपी का स्थानांतरण हो चुका है,लेकिन पप्पू कुमार का तबादला नहीं हो रहा है।मतलब साफ है कि, सिर्फ घोटाले से सरोकार रखने वाले पप्पू कुमार पर विभाग मेहरबान है।
इधर,कांग्रेस के नवनिर्वाचित प्रखंड अध्यक्ष पवन सिंह, मानसी के पूर्व उप प्रमुख हीरालाल यादव,प्रभु नारायण चौधरी आदि ने जिला प्रशासन से इस ओर ध्यान देने की मांग की है और कहा है कि,मार्च 2022 से ही अब एमडीएम सामग्री भेंण्डरों के द्वारा उपलब्ध कराया जा रहा है।जिसका भुगतान विभाग के द्वारा भेण्डर के खाते में ही किया जाता है।लेकिन जानकारों का कहना है कि, यह सब कागज पर ही चल रहा है।विद्यालय के प्रधानाध्यापक अपनी जेब से एमडीएम संचालित कर रहे हैं।बावजूद इसके कोई भी प्रधानाध्यापक उनके डर से कुछ नहीं बोलते हैं।क्योंकि वह अपनी पहुंच के बल पर प्रधानाध्यापक को डराते-धमकाते रहते हैं।जानकारों की मानें,तो आय से ज्यादा की संपत्ति एमडीएम प्रभारी पप्पू कुमार ने अर्जित कर रखी है।जिसकी अगर इमानदारी पूर्वक जांच हो,तो बहुत बड़ा खुलासा हो सकता है।दूसरी तरफ प्रखंड एमडीएम प्रभारी पप्पू कुमार से उनका पक्ष जानने की बार-बार कोशिश की गई,लेकिन उनसे सम्पर्क स्थापित नहीं हो सका।