आजाद राजीव रंजन की रिपोर्ट
खगड़िया।खगड़िया के पूर्व विधायक स्मृतिशेष रामबहादुर आजाद की चौथी पुण्यतिथि का आयोजन गुरुवार को किया गया।पुण्यतिथि के अवसर पर जिला मुख्यालय के बलुआही रामबहादुर चौक स्थित योगिराज डॉ रामनाथ अघोरी बाबा पार्क में पूर्व नगर सभापति सह पूर्व राजद
एमएलसी प्रत्याशी मनोहर कुमार यादव,पूर्व नगर सभापति सीता कुमारी,नगर उपसभापति शबनम जमीन, वार्ड पार्षद सुनीता देवी, शिवराज यादव,पूर्व वार्ड पार्षद रणवीर कुमार,विजय यादव तथा मोहम्मद शाहबुद्दीन ने आजाद जी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किया एवं माल्यार्पण करते हुए उन्हें याद किया।पूर्व नगर सभापति मनोहर कुमार यादव ने कहा कि, फरकिया के गांधी के नाम से प्रसिद्ध एवं जेपी लोहिया, लिमये,चन्द्रशेखर,जार्ज जैसे समाजवादियों के साथी खगड़िया के पूर्व विधायक राम बहादुर आज़ाद की आज पुण्यतिथि है।ताउम्र समाजवाद का झंडा बुलंद कर बूर्जुआ के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले योद्धा का नाम राम बहादुर आज़ाद था।प्रखर लेखक,विचारक,प्रतिरोध की आवाज राम बहादुर आज़ाद खगड़िया के दो बार विधायक रहे।श्री यादव ने आगे कहा कि,राम बहादुर आज़ाद समाजवाद के प्रणेता थे और उन्होंने सादा जीवन उच्च विचार के मंत्र का ताउम्र पालन किया।राम मनोहर लोहिया और जय प्रकाश नारायण के काफी करीब रहे और पूरा जीवन समाजवाद की सोच को आगे बढ़ाया।उन्होंने अपने विचारों और सिद्धांतों को जीवनपर्यंत प्राथमिकता दी।खगड़िया के विकास के लिए उन्होंने कई कार्य किया एवं हमेशा खगड़िया के विकास के लिए कटिबद्ध रहे।
खगड़िया के सड़कों का विकास,नगरपालिका में अफसरशाही को समाप्त कर लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करना प्रमुख है।उन्होंने कहा कि,आजाद की राजनीति की शुरूआत सोशलिस्ट पार्टी के खगड़िया स्थित सब डीविजनल आफिस में साफ-सफाई करने से हुई।धीरे-धीरे पार्टी के द्वारा उन्हें पर्चा-पोस्टर बांटने की जिम्मेदारी दी गई।
इस दौरान पार्टी के नेताओं के साथ उन्हें उठने- बैठने का मौका मिलने लगा।साल-दो साल बाद पार्टी ने उन्हें पार्टी की किताबें और अखबार बेचने के लिए देना शुरु कर दिया।यहीं से राम बहादुर आज़ाद पर जेपी और लोहिया जी के विचारों का प्रभाव पड़ना शुरु हो गया।1950 में पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद उन्होंने पार्टी के जिला सचिव का चुनाव लड़ा और मुंगेर जिला सचिव के रुप में चुनाव जीत गए।उस समय सोशलिस्ट पार्टी की तूती बोलती थी।मुंगेर में उन्होंने एक रुपया में पार्टी का दफ्तर खोला और पार्टी को पूरा समय देने लगे।
1952 में पार्टी के आदेश पर उन्होंने बकास आंदोलन की लड़ाई लड़ी।बकास आंदोलन जो बटाईदारी के खिलाफ था, में उनकी गिरफ्तारी हो गयी।लेकिन आंदोलन पूरी तरह सफल रहा।जेल यात्रा के दौरान लोहिया जी उनसे मिलने मुंगेर खुद आए।जब लोहिया जी उनसे मिलने आए,तो जेल प्रशासन उन्हें उनसे मिलने नहीं दे रहा था।लेकिन लोहिया जी भी काफी जिद्दी थे।वे जेल के सामने ही धरने पर बैठ गए।लोहिया जी काफी हठधर्मी थे और उन्होंने जेल के सामने ही सत्याग्रह शुरु कर दिया।तब जाकर शाम में जेल प्रशासन ने लोहिया जी को राम बहादुर आज़ाद से मिलने दिया।श्री मनोहर यादव ने उन्हें याद करते हुए कहा कि,लोहिया के आदेश पर 1962 में उन्हें पहली बार पार्टी ने खगड़िया से चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया।वह महज 2 हजार वोट से अपने प्रतिद्वंदी से चुनाव हार गए।फिर 1967 में उन्होंने चुनाव लड़ा और 44 हजार से अधिक वोटों से अपने प्रतिद्वंदी को चुनाव हरा दिया।
1969 में हुए मध्यावधि चुनाव में उन्होंने फिर से अपने प्रतिद्वंदी को 33 हजार से अधिक वोट से चुनाव हरा दिया।चुनाव लड़ने में उन्हें कभी घर से पैसा नहीं लगा।चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने और उनके कार्यकर्ताओं ने बुट पोलिश तक किया।श्री यादव ने कहा कि,डॉ0 राम मनोहर लोहिया को राम बहादुर आजाद अपना राजनीतिक गुरु मानते थे।राम मनोहर लोहिया के साथ श्री आजाद को लंबे समय तक साथ रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।कई ऐसे मौके आये,जब लोहिया ने आजाद की प्रशंसा की।
आजाद की राजनीति पर लोहिया के व्यतित्व और विचार का गहराई से प्रभाव पड़ा।खांटी समाजवादी लोहिया जी हों या युवा तुर्क चन्द्रशेखर,श्री आजाद के बुलाने पर खगड़िया तक आए।समाजवादी नेता का निधन 26 जनवरी 2019 को हो गया।पुण्यतिथि के मौके पर समाजसेवी मोहम्मद नसीम,कुंजबिहारी पासवान, अशोक देव,अंजय कुमार देव, विजय कुमार देव,आशुतोष कुमार पोद्दार,सुदीप, मिथिलेश,मनोज चौधरी, विक्की जी,प्रवीण रंजन, प्रेरणा,मालती देवी,मनीष,रवि आदि उपस्थित थे।