राजेश सिन्हा की रिपोर्ट
खगड़िया।जिले के बेलदौर प्रखंड क्षेत्र में कोसी नदी का तांडव लगातार जारी है।स्थिति यह है कि,रौद्र रुप धारण कर चुकी कोसी अगर गांधीनगर गांव को लील जाय,तो शायद किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।गांधीनगर के समीप हो रहे कटाव से लोग सहम से गए हैं।बावजूद इसके प्रशासनिक पदाधिकारियों की तंद्रा भंग नहीं हो रही है।हालांकि प्रशासनिक पदाधिकारी एसी की ठंढ़ी हवा खाते रहे और गांधीनगर के प्राथमिक विद्यालय का अधिकांश हिस्सा कोसी में समा गया।
इस खबर में हम प्राथमिक विद्यालय गांधीनगर की दो तस्वीरें पेश कर रहे हैं।एक तस्वीर देखकर यह स्पष्ट कहा जा सकता है कि,विभागीय पदाधिकारियों के साथ-साथ जिला प्रशासन द्वारा अगर सजगता दिखायी जाती,तो शायद इस विद्यालय का अस्तित्व बरकरार रहता और दूसरी तस्वीर देखकर आप स्पष्ट कह सकते हैं कि विभागीय पदाधिकारियों के साथ-साथ जिला प्रशासन की कुम्भकर्णी निद्रा में रहने के कारण विद्यालय का अधिकांश हिस्सा कोसी में समा गया।बात अलग है कि विद्यालय के अवशेष को भी बचाने को लेकर अभी तक किसी जन प्रतिनिधि या प्रशासनिक पदाधिकारी का सामने नहीं आना इस बात गा प्रमाण है कि,नगरी अंधेर हो चुकी है,राजा चौपट हैं या नहीं,यह कौन तय करे।
वैसे इस तरह की स्थिति के लिए किसके सिर जिम्मेवारी का ठीकरा फोड़ा जाएगा,यह तो शासक-प्रशासक ही जाने।लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि, अब कटाव पर नियंत्रण पाने की कोशिश नहीं की गयी तो गांधीनगर का अस्तित्व मिटना तय है।विभागीय पदाधिकारियों के साथ-साथ प्रशासनिक पदाधिकारियों की कुंभकर्णी निद्रा तब टूटेगी,जब गांधीनगर गांव कोसी में विलीन हो जाएगा।प्रशासनिक पदाधिकारी तब हाय-तौबा मचाएंगे,जब प्राथमिक विद्यालय के भवन को लीलने के बाद कोसी गांधीनगर गांव को अपने गर्भ में समाने को पूरी तरह आतुर हो जाएगी।प्राथमिक विद्यालय गांधीनगर के दो मंजिला भवन का अधिकांश हिस्सा कट चुका है और अब महज अवशेष बांकी है।विद्यालय का रसोई घर कट कर नदी में समा चुका है।
इधर ग्रामीणों का कहना है कि उक्त विद्यालय में नामांकित 210 बच्चों के भविष्य का क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी।पंचायत समिति सदस्य के मुताबिक विद्यालय का भवन जब कोसी में समा जाएगा,तो यहां के बच्चे शिक्षा से वंचित हो जाएंगे।इस तरह की स्थिति के बीच विवश दिख रहे प्रधानाध्यापक गोरेलाल रविदास ने बताया कि उक्त विद्यालय से सभी सामग्रियों को हटाकर उक्त पंचायत के पंचायत समिति सदस्य के दरवाजे पर रखा जा रहा है।सार्वजनिक भवन नहीं रहने के कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।दूसरी तरफ पंचायत के मुखिया हिटलर शर्मा का कहना है कि,मीडिया कर्मियों द्वारा स्थानीय लोगों के दर्द को शासन-प्रशासन तक पहुंचाया जाता रहा।लगातार खबरें प्रकाशित की जाती रही,लेकिन लगातार खबर प्रकाशन के बाद भी विभागीय पदाधिकारियों के साथ-साथ प्रशासनिक पदाधिकारी कुम्भकर्णी निद्रा में सोए रहे।प्राथमिक विद्यालय का भवन तो कोसी में समा ही गया, अब पूरे गांधीनगर गांव के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।बहरहाल,देखना दिलचस्प होगा कि तमाम स्थिति से एक बार फिर अवगत कराने के बाद भी प्रशासनिक पदाधिकारी जगते हैं या गांधीनगर गांव के लोगों को भगवान भरोसे ही छोड़ देते हैं??