श्रवण कुमार/खगड़िया
स्वार्थ के इस युग में आदमी,जहां आदमी को आदमी मानने के लिए तैयार नहीं हैं।गैर तो गैर,अपनों को भी दुख में कौन कहे,सुख में भी साथ देने को तैयार नहीं है।यहां तक कि जिसके कोख में पलकर लोग जमाने में आए,उस मां को अपने से दूर कर देते हैं।आश्चर्य तो तब होता है,जब स्वार्थी लोग अपने माता-पिता को अनाथ आश्रम में छोड़ आते हैं।वहीं समाज में ऐसे भी लोग हैं,जो अपनों को अजीज तो मानते ही हैं,अपने माता-पिता को भगवान की तरह मानने से गुरेज नहीं करते हैं और उनके आदेश पर हर समय मर-मिटने को तैयार रहते हैं।
कुछ इसी तरह का उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं,खगड़िया जिला अंतर्गत चौथम प्रखंड क्षेत्र धुतौली पंचायत निवासी पवन साह और सुनील साह।कल़युगी श्रवण कुमार बने पवन साह और सुनील कुमार अपनी मां को बहंगी में बिठाकर अपने कंधे के सहारे देवघर लेकर रवाना हुए हैं।बताया जा रहा है कि देवघर वाले बाबा भोलेनाथ ने उनकी मां की सभी मनोकामनाएं पूरी की तो दोनों पुत्रों ने अपनी माता को बहंगी पर बिठाकर देवघर वाले भोलेनाथ का दर्शन करने की ठान ली।हालांकि कलयुगी श्रवण कुमार बने दोनों पुत्रों को देख कर लोगों के बीच तरह-तरह की चर्चा है।कोई इसे मातृ भक्ति कह रहा है तो कोई भोलेनाथ के प्रति दोनों भाईयों की अटूट श्रद्धा बता रहा है।कारण चाहे जो हो,लेकिन जिले के चौथम प्रखंड अंतर्गत धुतोली पंचायत निवासी पवन साह तथा दूसरे भाई सुनील साह बताते हैं कि बाबा भोलेनाथ की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के बाद उनकी 57 वर्षीय माता शोभा देवी ने उन लोगों से बाबा भोले की नगरी देवघर जाने की इच्छा जाहिर की।मां के द्वारा तीर्थ यात्रा पर जाने की इच्छा का उन लोगों ने सम्मान किया और परिवारजनों के बीच सलाह मशविरा कर बीते 24 अगस्त को दुर्गा मंदिर धुतोली से मां को बहंगी पर बिठाकर देवघर के लिए निकल पड़े।
आज रविवार को पैदल यात्रा करते हुए परबत्ता प्रखंड अंतर्गत सिराजपुर के रास्ते उत्तरवाहिनी अगुवानी गंगा घाट पहुंचे हैं।इसके पश्चात गंगा पार कर सुल्तानगंज के रास्ते देवघर और फिर बासुकीनाथ धाम जाने का लक्ष्य उन लोगों ने तय कर रखा है।बोलबम का जय घोष करते हुए मां को तीर्थ यात्रा कराने के लिए घर से निकल पड़े हैं।मंजिल दूर जरुर है,लेकिन लक्ष्य निर्धारित है। इसीलिए बाबा भोलेनाथ की कृपा से लक्ष्य को प्राप्त करेंगे जरुर।बहरहाल, बहंगी पर लेकर मां को तीर्थ कराने निकले कलयुगी श्रवण कुमार को चाहे जितना भी कठिन परिश्रम करना पड़े,लेकिन इतना तो तय है कि दिल में मां-बाप के प्रति श्रद्धा हो और हो भगवान के प्रति भक्ति व आस्था तो कोई भी कार्य मुश्किल नहीं होता।