इरशाद अली/खगड़िया
स्मैैक,कोडिन युक्त कफ सिरप, सुलेशन सहित अन्य मादक पदार्थों के गिरफ्त में फंसकर युवा वर्ग खासकर अबोध बच्चे किस कदर बर्बाद हो चुके हैं,इसका प्रमाण उस समय मिला,जब सुलेशन खरीदने के लिए राशि इकट्ठा करने को ले भीख मांग रहे एक मासूम बच्चे को खगड़िया आरपीएफ के निरीक्षक प्रभारी अरविंद कुमार राम ने खगड़िया स्टेशन पर पकड़ा।हालांकि इससे पहले भी यह बालक भीख मांगते हुए स्टेशन पर पकड़ाया था।लगभग डेढ़ महीने यह बेगूसराय बाल संरक्षण गृह में रहा।लेकिन वहां से छूटने के बाद पुनः गांव के लड़कों के संगत में आकर सुलेशन पीने लगा और सुलेशन खरीदने के लिए पैसा नहीं होने पर स्टेशन तथा रेल में यात्रियों से भीख मांगता है।
दरअसल,आज मंगलवार को आरपीएफ खगड़िया के निरीक्षक प्रभारी अरविंद कुमार राम आरक्षी सज्जन कुमार के साथ खगड़िया स्टेशन पर गस्त व निगरानी कर रहे थे।इसी क्रम में एक नाबालिक लड़का प्लेटफार्म संख्या दो& तीन पर बिना किसी अभिभावक के अकेले यात्रियों से भीख मांगते हुए दिखाई दिया।बच्चे से पूछताछ करने पर उसने अपना नाम और पता बताया।लगभग 12वर्षीय सचिन कुमार ने खुद को खगड़िया नगर थाना अंतर्गत दाननगर स्थित भोला बाबा मंदिर के पास रहने वाले सीताराम महतो का पुत्र बताया।बच्चे से स्टेशन पर भीख मांगने के बावत पूछताछ करने पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।लेकिन गहनता के साथ जब उससे पूछताछ की गयी तो उसने बताया कि सुलेशन पीने के लिए उसके पास पैसे नहीं हैं।इसीलिए वह भीख मांग रहा है।भीख में मिली राशि से वह सुलेशन खरीदकर पीना चाहता है।आरपीएफ ने मासूम बच्चे को आरपीएफ पोस्ट खगड़िया लाया और फिर उसके उज्जवल भविष्य और देखरेख के लिए बाल संरक्षा केंद्र में रखने हेतु चाइल्ड हेल्पलाइन खगड़िया को सुपुर्द कर दिया।
वैसे सचिन इकलौता ऐसा बालक नहीं है,जो सुलेशन पीने के लिए भीख मांग रहा था।सच तो यह है कि ऐसे सैकड़ों बच्चे और नौजवान हैं,जो स्मैक,प्रतिबंधित कोडिन युक्त कफ सिरप,सुलेशन सहित अन्य नशीली पदार्थो का सेवन करते हैं।नशे की गिरफ्त में बुरी तरह फंस चुके ऐसे बच्चे और नौजवान न केवल भीख मांगकर नशीली पदार्थो के लिए रुपये इकट्ठा करते हैं,बल्कि चोरी सहित अन्य तरह के अपराध भी करते हैं।यहां तक कि अपने घर में भी चोरी जैसी घटना को अंजाम देते हैं।जरुरत है समाज में एक अभियान चलाने और अपनी मासूमियत गंवा रहे नौजवान खासकर बच्चों की जिंदगी संवारने की।अब देखना दिलचस्प होगा कि समाज के ठेकेदार कहे जाने वाले लोग समाज में सुधार लाने के लिए कोई कारगर कदम उठाते हैं अथवा नौनिहालों का भविष्य यूं ही गर्त में जाते हुए देखते रह जाते हैं!!!