अभय कुमार की रिपोर्ट
सहरसा।स्वार्थ के इस युग में अपनी मन्नत को ले आम लोगों को मंदिर-मस्जिद या हाकिम के द्वार का चौखट चूमते आपने देखा होगा।मन्नतें पूर्ण होने के बाद आपने बहुत भक्तों को मंदिर की सीढ़ियों पर नंगे बदन दंडवत करते भी देखा होगा।यहां तक कि, अपनी कुर्सी सलामत रखने के लिए नेताओं को भी अजब-गजब अंदाज में प्रणाम करते देखा होगा।लेकिन आज जो बताने हम जा रहे हैं,वह जानकर आप हैरत में जरुर पड़ जाएंगे।जी हां!हम बात कर रहे हैं सहरसा जिले के एक ऐसे समाजसेवी की,जो इस कड़ाके की ठंढ़ में अंबेडकर चौक से सड़कों पर दंडवत होते हुए समाहरणालय तक जा पहुंचे हैं।इस अंदाज में जिलाधिकारी के दरबार में हाजिरी बजाना डीएम या अन्य प्रशासनिक पदाधिकारियों को रास आता है,अथवा नहीं!यह तो देखने वाली बात होगी,लेकिन सफेद पैंट-शर्ट और गले में गमछे लपेटे दंड प्रणाम देते हुए डीएम के कार्यालय जा रहे इस समाजसेवी की ओर सबकी नजरें बरबस खिंची चली जा रही है।हाड़ कंपा देने वाली इस ठंढ़ में नंगे पांव डीएम कार्यालय तक जाने वाले यह समाजसेवी अपनी किसी मुराद की पूरी होने की आस में नहीं जा रहे हैं,यह तो बस इसलिए जा रहे हैं,क्योंकि नगर निगम या जिला प्रशासन के द्वारा रुह कंपा देने वाली इस ठंढ़ में आम लोगों के राहत को लेकर किसी तरह का ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
यूं तो शीतलहर की चपेट में पूरा बिहार है।लेकिन कोसी प्रमंडल के सहरसा वासियों को ठंढ़ के इस मौसम में प्रशासनिक तौर पर किसी तरह की राहत नहीं दी गई है।जबकि कड़ाके की ठंड से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।आम लोग अपने-अपने घरों में दुबके पड़े हैं या यूं कहें कि, लोगों के लिए घरों से बाहर निकलना लगभग मुश्किल सा हो गया है।स्थिति यह है कि, पेट भरने के लिए मजदूर काम की तलाश में हैं,लेकिन मजदूरों को काम देने के लिए कोई तै़यार नहीं है।कुछ कमाने की आस में दुकानदार अपनी-अपनी दुकानें खोलकर बैठे हैं,लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी ग्राहक उनकी दुकान पर नहीं पहुंच रहे हैं।ऐसी परिस्थिति में दुकानदारों का हाल बेहाल तो है ही,सड़क पर चलने वाले राहगीरों के कदम भी लड़खड़ा रहे हैं।
बावजूद इसके जिला प्रशासन या नगर निगम प्रशासन द्वारा लोगों को ठंड से राहत देने के लिए न ही शहर में अलाव तक की व्यवस्था की गई है और न ही जरुरतमंद लोगों के बीच कंबल वितरण किया गया है।तमाम तरह की स्थिति परिस्थिति के बीच संवेदनहीन जिला प्रशासन और नगर निगम प्रशासन को आइना दिखाने के लिए यह समाजसेवी नंगे पांव दंडवत अंदाज में अंबेडकर चौक से चले और दंड प्रणाम करते हुए समाहरणालय द्वार पर जाकर बैठ गए।कहा जा रहा है कि, लगभग एक किलोमीटर तक दंड प्रणाम करते समाहरणालय द्वार तक पहुंचे इस समाजसेवी की मांग पूरी नहीं होगी,तो यह थाना परिसर में भी धरना देंगे।
अब देखना दिलचस्प होगा कि,दंड प्रणाम करते हुए समाहरणालय द्वार पर बैठने वाले इस समाजसेवी द्वारा प्रशासन को आईना दिखाने का असर होता है अथवा जरुरतमंद लोगों को भगवान भरोसे ही जिंदगी काटने के लिए यूं ही छोड़ दिया जाता है!!