एसडीएफ न्यूज ब्यूरो
खगड़िया:जेल से निकलते ही हैवान बनकर होम्योपैथिक डॉक्टर इंसानों की जिंदगी का सौदा करने लगा है।ऐसे डॉक्टर द्वारा पहले की तरह एलेक्स हॉस्पिटल में डिलवरी यानि प्रसव से लेकर अल्ट्रासाउंड तक का गोरखधंधा शुरु कर दिया गया है।
हालांकि ऐसा नहीं है कि इस तरह का खेल सिर्फ एलेक्स हॉस्पिटल में ही हो रहा है!सच तो यह है कि विभागीय संरक्षण में बिहार के लगभग सभी जिलों में इलाज और ऑपरेशन के नाम पर झोला छाप डॉक्टर इंसानों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।लेकिन,खगड़िया बिहार का ऐसा इकलौता जिला है,जहां कुकुरमुत्ते की तरह जगह-जगह फर्जी नर्सिंग होम का संचालन हो रहा है और बेहतर चिकित्सीय सुविधा मिलने की उम्मीद में आने वाले मरीज अपनी जिंदगी दांव पर लगा बैठते हैं।
जच्चा बच्चा या यूं कहें कि अन्य बीमार व्यक्तियों की मौत के बाद हंगामा मचता है।पुलिस प्राथमिकी भी दर्ज करती है, लेकिन बाद में जांच के नाम पर ऐसा कुछ हो जाता है,जिसकी उम्मीद कोई कर ही नहीं सकता है।
खगड़िया जिले के परबत्ता प्रखंड क्षेत्र स्थित एलेक्स सेवा सदन उर्फ एलेक्स हॉस्पिटल की अगर बात करें तो उसके संचालक कहे जाने वाले होमियोपैथिक डॉक्टर ने जेल से निकलने के बाद फिर से डिलवरी यानि प्रसव से लेकर अल्ट्रासाउंड तक का गोरखधंधा शुरू कर दिया है।इसके पहले एलेक्स हॉस्पिटल में इलाज के दौरान मरीज की मौत के बाद खूब हंगामा हुआ था और बीते 28 जनवरी 2024 को एलेक्स हॉस्पिटल को सील कर दिया गया था।साथ ही क्लिनिक के संचालक डॉक्टर संजय के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज होने के बाद उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था।
कोर्ट से जमानत मिलने के बाद जेल से बाहर निकलते ही होमियोपैथिक डिग्रीधारी डॉक्टर ने सिविल सर्जन कार्यालय से सांठगांठ कर एलेक्स सेवा सदन में फिर से होमियोपैथी विधि से नैदानिक यानि ओपीडी कार्य का लाइसेंस ले लिया।स्थिति यह है कि होमियोपैथी विधा में ओपीडी के लाइसेंस की आड़ में एलेक्स सेवा सदन में फिर से मरीजों का प्रसव से लेकर अल्ट्रासाउंड सहित बड़े बड़ा ऑपरेशन किया जाने लगा है।बीते 27 जुलाई को परबत्ता प्रखंड के गोरियासी- नयागांव निवासी रेणू देवी को भर्ती कर सिजेरियन ऑपरेशन के बाद प्रसव कराया गया।
सात दिनों तक भर्ती रहने के बाद रेणू देवी को एक अगस्त 2024 के दिन इस नर्सिंग होम से डिस्जार्च किया गया।प्रसूता के इलाज का पुर्जा यानि भर्ती से लेकर डिस्चार्ज तक का पुर्जा इस नर्सिंग होम में होमियोपैथी इलाज की जगह चल रहे गैरकानूनी काम की गवाही चीख-चीखकर दे रहा है।बताया जा रहा है कि 22 जुलाई को प्रसव पीड़ा होने के बाद रेणू देवी को पहले परबत्ता पीएचसी ले जाया गया, जहां पर भर्ती करने से इंकार करने के बाद आशा कार्यकर्ता नीलम देवी ने प्रसूता को कबीरमठ के समीप संचालित एलेक्स हॉस्पिटल में भर्ती करा दिया।जहां पर डॉक्टर संजय की देखरेख में सिजेरियरन ऑपरेशन कर प्रसव कराया गया।
प्रसूता रेणू देवी ने एक लड़की को जन्म दिया।प्रसव के एवज में प्रसूता के परिजनों से 60 हजार रुपये लिये गये।यहां यह बताना जरुरी है कि परबत्ता के एलेक्स सेवा सदन उर्फ एलेक्स हॉस्पिटल में बीते 20 जनवरी को 2024 को प्रसव के दौरान प्रसूता की मौत के बाद प्रखंड प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में इस क्लिनिक को सील कर संचालक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करते हुए उसकी गिरफ्तारी की गयी थी।वैसे शहर से लेकर गांव तक में कुकुरमुत्ते की तरह खुल आए एलेक्स सेवा सदन जैसे निजी नर्सिंग होम में ओपीडी के लाइसेंस पर मरीजों को भर्ती कर उनकी जिंदगी के साथ खिलवाड़ का गोरखधंधा खुलेआम चल रहा है।
विभागीय मिलीभगत से चल रहे ऐसे गोरखधंधे की जानकारी जिला प्रशासन को भी है,लेकिन कार्रवाई के नाम पर सबको सांप सूंघ जाता है।एलेक्स हॉस्पिटल के अंदर हो रहे खेल को उजागर करते हुए प्रसूता रेणू देवी बताती हैं कि प्रसव पीड़ा होने के बाद पहले परबत्ता पीएचसी गये,जहां भर्ती नहीं लिया गया।लेकिन उसके बाद आशा कार्यकर्ता ने डॉक्चर संजय द्वारा संचालित परबत्ता के एलेक्स हॉस्पिटल नामक निजी नर्सिंग होम में भर्ती करा दिया।जहां पर ऑपरेशन करके बेटी का जन्म हुआ।प्रसव करवाने में कर्जा लेकर 60 हजार रुपये देने पड़े।आशा कार्यकर्ता नीलम देवी भी स्वीकार करती हैं कि बीते 22 जुलाई 2024 को परबत्ता के नयागांव-गोरियासी निवासी रेणू देवी को प्रसव के लिए कबीरमठ के समीप संचालित एलेक्स हॉस्पिटल कहें या एलेक्स सेवा सदन में भर्ती कराया गया।जहां पर सिजेरियन करके डिलवरी करायी गयी।सात दिनों तक एलेक्स हॉस्पिटल में भर्ती रहने के बाद प्रसूता रेणू देवी को अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया।
इधर,परबत्ता की प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कशिश का कहना है कि 20 जनवरी 2024 को इस एलेक्स सेवा सदन में मरीज की मौत के बाद 28 जनवरी को इस क्लिनिक को सील कर दिया गया था और उसके बाद संचालक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।19 जून को सीएस कार्यालय से दिये गये आदेशानुसार इस नर्सिंग होम का सील खोल दिया गया।
बेचलर ऑफ इलेक्ट्रो मेडिकल डिग्रीधारी को नैदानिक कार्य (ओपीडी) करने का लाइसेंस दिया गया है।दूसरी तरफ सिविल सर्जन डॉ अमिताभ कुमार का कहना है कि बिहार क्लिनिकल एक्ट के तहत 50 हजार रुपये जुर्माने की राशि जमा करने के बाद परबत्ता के एलेक्स सेवा सदन में होमियोपैथी चिकित्सक डॉक्टर संजय को(बीइएमएस) डिग्री के आधार पर नैदानिक कार्य(ओपीडी) चलाने का लाइसेंस दिया गया है।जिसकी अवधि 4 अगस्त 2024 को समाप्त हो चुकी है।
हालांकि वह सेवानिवृत हो चुके हैं।लेकिन संबंधित पदाधिकारी द्वारा पूरे मामले की जांच कर विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी।
बहरहाल,इंसानों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने वाले ऐसे डॉक्टरों के विरुद्ध कार्रवाई होगी या नहीं,यह तो शासक-प्रशासक ही जानें।लेकिन यह सवाल फिजां में तैर रहा है कि जेल से निकलने के बाद एक बार फिर प्रसव से लेकर अल्ट्रासाउंड तक करने वाले होमियोपैथी डॉक्टर की कुंडली खंगालेगा कौन!
सवाल यह भी उठ रहा है कि इलाज के दौरान मरीज की मौत के बाद 28 जनवरी 2024 को एलेक्स हॉस्पिटल को सील करते हुए जब संचालक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कर उसकी गिरफ्तारी की गयी थी तो फिर उन्हें सिजेरियन करने की छूट किसने दे दी!सुलगता सवाल तो यह भी है कि जेल में रहने के दौरान होमियोपैथी(बीइएमएस) चिकित्सक क्या इतने पारंगत हो गए कि उन्हें एलेक्स सेवा सदन के नाम से ओपीडी चलाने का लाइसेंस फिर से दे दिया गया।
होमियोपैथी ओपीडी की आड़ में एलेक्स सेवा सदन में डिलवरी से लेकर अल्ट्रासाउंड का गोरखधंधा जब फिर से शुरु हो गया है और स्वास्थ्य विभाग सोया हुआ है तो अगर कोई हादसा हुआ तो जिम्मेदारी लेगा आखिर कौन!
जब 4 अगस्त 2024 को इस नर्सिंग होम के ओपीडी लाइसेंस की अवधि भी खत्म हो गयी तो फिर क्लिनिक में प्रसव व अल्ट्रासाउंड का गोरखधंधा आखिर कैसे चल रहा है।ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि आगे-आगे होता है क्या?