रेशु रंजन के साथ राजेश सिन्हा की रिपोर्ट
पटना:गोपालपुर के जदयू विधायक गोपाल मंडल द्वारा पद और पार्टी से इस्तीफे की धमकी दिए जाने के बाद से बिहार का राजनीतिक तापमान एक बार फिर चढ़ा हुआ नजर आ रहा है।हालांकि यह कहकर मामले को ठंढ़े बस्ते में डाला जा सकता है कि,कभी चड्डी-बनियान में पटना से दिल्ली तक ट्रेन में सफर करने वाले गोपाल मंडल बड़बोले किस्म के नेता हैं और अक्सर विवादित बयान देते रहते हैं।लेकिन यह भी नहीं भूलना चाहिए कि दरोगा की बात तो दूर डीजीपी और नवगछिया के एसपी जैसे आइपीएस के विरुद्ध उनके द्वारा घिनौना आरोप लगाकर कहीं न कहीं सरकार की छवि को धूमिल किया जा रहा है।यह भी भूला नहीं जा सकता है कि बार-बार पलटने की आदत पाल चुके सीएम नीतीश कुमार के द्वारा एक बार फिर पलटकर एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनाने के बाद से राजद या यूं कहें कि महागठबंधन एनडीए सरकार पर हमलावर है और विरोध का एक भी अवसर गंवाने को तैयार नहीं है।
नीतीश सरकार द्वारा 12 फरवरी को बहुमत साबित करने के पहले क्या कुछ हुआ था,यह भूलाना भी शायद श्रेयस्कर नहीं होगा।प्रमाणित तौर पर यह तो नहीं कहा जा सकता है कि एनडीए के किस- किस विधायक ने अपना जमीर बेचा और किस-किस ने अपने इमान का सौदा किया, लेकिन इस बात से इंकार भी नहीं किया जा सकता है कि एनडीए और महागठबंधन के विधायकों को एक-दूसरे द्वारा मंत्री पद, लोकसभा चुनाव का टिकट या अन्य तरह का प्रलोभन देकर खरीदने की कोशिश तो जरुर हुई।
बात अलग है कि खेला करने वाले तेजस्वी यादव के ही साथ ही खेला हो गया और बाहुबली पूर्व विधायक अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी,राजपूत बिरादरी के बड़े नेता बाहुबली आनंद मोहन के पुत्र चेतन आनंद के साथ-साथ लालू प्रसाद यादव के खासमखास कहे जाने वाले राजद विधायक प्रहलाद यादव एनडीए खेमा में जाकर बैठ गए और राजद के इन तीन विधायकों की मदद से अवध बिहारी चौधरी के पास से स्पीकर की कुर्सी छिन गयी।
एनडीए खेमा में आने वाले राजद के इन तीन बागी विधायकों को एनडीए की ओर से किस तरह का ऑफर दिया गया,यह कहना तो शायद जल्दबाजी होगी,लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि,अपने तीन विधायकों को एनडीए द्वारा तोड़ लेने से आहत राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के पुत्र तेजस्वी यादव अब भी नीतीश सरकार को डैमेज या यूं कहें कि,खेला करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं।
एनडीए के 23विधायकों से बात तय होने के बाद भी वह अपनी रणनीति में सफल तो नहीं हो सके।लेकिन अब भी मनोज यादव,बीमा भारती,मिश्रीलाल यादव,सुदर्शन कुमार,डॉ संजीव कुमार,दीलीप राय,शालिनी मिश्रा आदि के पास राजद द्वारा लोकसभा का टिकट दिए जाने का ऑफर पड़ा हुआ है।
सियासी जानकारों का कहना है कि,विश्वास मत साबित करने से पहले ‘हम’संरक्षक जीतन राम मांझी अगर डोल जाते तो नीतीश के हाथ से बिहार की सत्ता छिटक जाती और वर्तमान समय में बिहार की बदली हुई राजनीतिक तस्वीर के बीच एनडीए के कई विधायक लोकसभा चुनाव के लिए कसरत करते नजर आते।
राजद खेमा में जाने को बेकरार एनडीए के कोई भी विधायक भले ही इस बात को कबूल नहीं करें कि,उन्हें नीतीश सरकार को गिराने के एवज में किस तरह का ऑफर दिया गया था,लेकिन सियासी जानकारों का कहना है कि एनडीए के कई विधायक मंत्री पद का इंतजार कर रहे हैं।उन्हें यह लग रहा है कि बजट सत्र खत्म होने के बाद मंत्रिमंडल का विस्तार होगा और उन्हें मंत्री पद सुशोभित करने का मौका मिल जाएगा।मंत्री पद पाने की लालसा में बैठे एनडीए के कई विधायकों को सीएम नीतीश कुमार और बीजेपी के शीर्ष नेता किस तरह मनाकर रखने में सफल होते हैं, यह तो आने वाले दिनों में देखने वाली बात होगी।लेकिन कहा जा रहा है कि,सीएम नीतीश कुमार द्वारा बहुमत साबित कर लेने के बाद भी बागी बनने को आतुर एनडीए के कई विधायक अब भी राजद के सम्पर्क में हैं और किसी भी तरह अपनी गोटी लाल होते देखना चाहते हैं।
यह बात जरुर है कि बिकने को आतुर कई विधायक और उनके खरीददार आर्थिक अपराध इकाई के रडार पर हैं और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी सहित उनके दो करीबी मंत्रियो के विरुद्ध जांच की आंच तेज हो चुकी है।
तेजस्वी को यह बखूबी पता है कि कोई बड़ा उलटफेर हुए बगैर छह माह से पहले नीतीश कुमार को एक बार फिर बहुमत साबित करने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है।उसमें भी तब, जबकि विधानसभा स्पीकर और राज्यपाल कहीं न कहीं सत्ता पक्ष का ही साथ देंगे।लेकिन बड़ी संख्या में एनडीए के विधायक अगर पाला बदलने को आतुर हो गए तो सरकार के समक्ष मुसीबत जरुर खड़ी हो जाएगी और नीतीश कुमार विधानसभा भंग करने को मजबूर हो सकते हैं।हालांकि तमाम तरह की स्थिति को भांपकर ही तेजस्वी यादव जन विश्वास यात्रा पर निकले हुए हैं और नीतीश कुमार को थका हुआ मुख्यमंत्री बताते हुए भाजपा पर जमकर हमला कर रहे हैं।
गोपालपुर के विधायक गोपाल मंडल ने भले ही नवगछिया एसपी पूरण झा के विरुद्ध गंभीर आरोप लगाकर इस्तीफा की धमकी दी हो,लेकिन इससे तो यह स्पष्ट हो गया है कि,जदयू या यूं कहें कि एनडीए विधायकों को अपनी ही सरकार पर भरोसा नहीं रह गया है।
गोपाल मंडल की बातों को कुछ देर के लिए अगर दरकिनार भी कर दें तो भी रुपौली की जदयू विधायक बीमा भारती,अलीनगर के बीजेपी विधायक मिश्रीलाल यादव और परबत्ता के जदयू विधायक डॉ संजीव कुमार का बयान सरकार को असहज करने के लिए काफी है।इनके बयानों पर अगर गौर फरमाएं तो यह कहना शायद न्यायसंगत होगा कि सीएम नीतीश कुमार को अपने बयानवीर विधायकों पर नकेल कसना होगा।
बिहार की कानून व्यवस्था खराब है या नहीं,यह तो आम जनता भी देख रही है,लेकिन जातीय रंग में रंगे आईपीएस दारुबाज और लड़कीबाज हैं,यह किसी के मुंह से नहीं निकल रहा है।
नीतीश के बेहद करीबी कहे जाने वाले विधायक ही अगर यह कह रहे हों कि फारवर्ड एसपी नहीं, मुझे बैकवर्ड एसपी चाहिए और नवगछिया एसपी पूरण झा दारु पीते हैं और लड़कीबाज हैं तो इससे सरकार की छवि तो धूमिल हो ही रही हैं,आईएस-आईपीएस को भी कहीं न कहीं चोट भी पहुंचा रहा होगा।
सीएम नीतीश के लिए बेहतर तो यही होगा कि एसपी अगर दोषी हैं तो उनके विरुद्ध जांचोपरांत कार्रवाई करें या फिर विधायक गोपाल मंडल की बोलती बंद करें।कोई विधायक अगर अपनी राजनीति को चमकाने के लिए एसपी के विरुद्ध घिनौना लांक्षण लगाए और सूबे के मुखिया मुंह पर ताला लगाए बैठे रहें,तो आम जनता को नागवार लगेगा ही, अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए अजीज कहे जाने वाले गोपाल मंडल जैसे बड़बोले विधायक के विरुद्ध किसी तरह की कार्रवाई नहीं करना राजनीतिक अक्षमता ही कही जाएगी।
यह वही गोपाल मंडल हैं जो कभी चड्डी और बनियान में ट्रेन का सफर करने लगते हैं तो कभी पिस्टल लेकर अस्पताल पहुंच जाते हैं और जब पत्रकार निष्पक्षता के साथ खबर परोसते हैं तो उनके साथ गाली गलौज करने लगते हैं।अब तो गोपाल मंडल ने हद ही कर दी है।उन्होंने कहा है कि हम अतिपिछड़ा के लीडर हैं।अतिपिछड़ा समाज से आने वाली एक स्वजातीय महिला के साथ बलात्कार किया गया।आरोपी की गिरफ्तारी अभी तक नहीं हो पाई है।आवे तो बढ़िया एसपी आवे।ऐसा नहीं कि घर ढ़ुकवा आवे। नवगछिया एसपी पुरण झा लड़कीबाज है,लड़की भी खोजता है और दारू भी पीता है।सब कर्मे करता है।पुरण झा गलत आदमी है।ये बढ़िया से जांच ही नहीं करेगा।अपने ब्राह्मण समाज को बचाएगा।
सरासरी दोष डीजीपी का है, जिनसे बिहार में लॉ एन्ड ऑर्डर संभल नहीं रहा है।बिहार में प्रशासन फेल है।नवगछिया एसपी को यहां से भगाइये, नहीं तो हम रिजाइन दे देंगे।गोपाल मंडल ने खुद के बारे में कहा कि हम लड़ाकू आदमी हैं… फाइटर हैं।गोपाल मंडल ने एसपी को लेकर ऐसी-ऐसी बातें कही और गालियां दी,जिसे सभ्य समाज का कोई भी शख्स हजम नहीं कर सकता है।बात अगर अलीनगर विधायक मिश्रीलाल यादव की करें तो उन्होंने सीएम नीतीश कुमार के शपथ ग्रहण पश्चात अपने बेटे को लेकर शासन-प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया था।जबकि अपने बेटे और पति की गिरफ्तारी के बाद रुपौली विधायक बीमा भारती ने नीतीश के सुशासन की सरकार को जंगलराज बताया था।
वैसे,परबत्ता विधायक डॉ संजीव कुमार ने बिहार के मुखिया नीतीश कुमार पर कोई तोहमत तो नहीं लगाया है,लेकिन इतना जरुर कहा कि नीतीश कुमार के आगे-पीछे रहने वाले चिंटू-पिंटू ने मेरे उपर झूठा केस कराया है।सरकार अपहरण के केस की सीबीआई जांच क्यों नहीं कराती।मैं जाति का भूमिहार हूं,इसलिए मुझे परेशान करने की कोशिश की जा रही है,लेकिन मैं ऐसे लोगों को औकात दिखा दूंगा।डॉ संजीव ने कहा कि जिन विधायकों के अपहरण का केस कराया गया, वह विधानसभा आ रहे हैं।वे अपना अपहरण होने की बात से इंकार कर रहे हैं।फिर भी मुझ पर केस कराया गया।सरकार ने इस केस को आर्थिक अपराध इकाई को क्यों सौंपा।इसकी जांच सीबीआई को सौंपनी चाहिये।सीबीआई पता लगायेगी कि किसका अपहरण हुआ और किसने पैसे लिये।
जेडीयू विधायक डॉ संजीव ने कहा कि मैं उन लोगों पर तगड़ा केस ठोंकने जा रहा हूं,जिन्होंने मेरे उपर अपहरण का आरोप लगाया।सुधांशु शेखऱ ने मुझे बता दिया है कि किसके कहने पर मेरे खिलाफ केस किया है।मैं उस आदमी को भी नहीं छोड़ूंगा।मेरे दल में एक-दो लोग हैं।उनका इलाज भी मैं ही करूंगा।वे मेरे पीछे इसलिए पड़े हैं कि मैं भगवान परशुराम का वशंज हूं।लेकिन वे भूल गये कि मैं ऐसे समाज से आता हूं,जो सर कटा सकता है,लेकिन सर झुका नहीं सकता।
बहरहाल, एनडीए विधायकों द्वारा सरकार या सरकारी तंत्र के विरुद्ध तरह-तरह का आरोप लगाए जाने का वास्तविक कारण क्या है,यह तो शासन-प्रशासन ही जाने।लेकिन इन विधायकों द्वारा लगाए जा रहे तरह-तरह के आरोप से नीतीश सरकार की साख पर बट्टा जरुर लग रहा है।मार्च के दूसरे सप्ताह में लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बजने से पूर्व एनडीए के असंतुष्ट विधायकों को अगर संतुष्ट नहीं किया गया और बयानवीर एनडीए विधायकों का बयान फिजां में जुगाली करता रहा तो आने वाले लोकसभा चुनाव में एनडीए को भारी नुकसान होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।अब देखना दिलचस्प होगा कि बिहार के मुखिया नीतीश कुमार और एनडीए के रणनीतिकार इस तरह की स्थिति पर नियंत्रण पाने में सफल होते हैं या एनडीए के विधायक ही विपक्षियों को सरकार पर हमला करने का हथियार मुहैया कराते रहते हैं?