खगड़िया:जिले के कई मंदिरों में झूलनोत्सव को लेकर जगह-जगह भक्ति की सरिता बह रही है।नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड नंबर-30के एमजी मार्ग,बलुआही स्थित ठाकुरबाड़ी में पांच दिवसीय झूलनोत्सव का आज चौथा दिन है।
बलुआही ठाकुरबाड़ी के सदस्य सह राजद जिलाध्यक्ष मनोहर कुमार यादव ने बताया कि बलुआही ठाकुरबाड़ी में पचास वर्षों से भी अधिक समय से सावन के पवित्र माह के अंतिम पांच दिन ठाकुर जी को झूला झूलाया जाता है।ठाकुर जी की शाम में विशेष पूजा आरती एवं भोग लगाकर झूला पर ठाकुर जी को बैठाकर झूला झूलाया जाता है।इस वर्ष 15 अगस्त से झूलनोत्सव शुरु हुआ है और रक्षाबंधन अर्थात पूर्णिमा के दिन तक चलेगा।झूलनोत्सव के अवसर पर 17 अगस्त से 19 अगस्त तक रामधुनी महायज्ञ कराया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक साल इस अवसर पर पांच दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रम किया जाता रहा है।इस बार तीन दिन रामधुनी महायज्ञ किया जा रहा है।रामधुनी महायज्ञ में रामधुन गाने वाले अच्छे-अच्छे मंडली को लाया गया है।
श्री यादव ने कहा कि झूलों की परंपरा द्वापर युग से जुड़ी है।पुराणों के अनुसार द्वापर युग में श्रावण मास में भगवान श्री कृष्ण राधा रानी के साथ झूला में विराजमान होते थे।भगवान श्री कृष्ण जब बाल लीलाएं करते तो उस समय राधा रानी की सखियां भगवान श्री कृष्ण और राधा रानी को झूला झुलाती थीं।द्वापर युग से चल रही यह परंपरा आज भी ब्रज के मंदिरों में और देश के बहुत सारे राधा कृष्ण मंदिरों में अनवरत रूप से चल रही है।ऐसा भी माना जाता है कि सबसे पहले भगवान कृष्ण ने राधा रानी को सावन में ही झूला झुलाया था।तभी से सावन में झूला झूलने की परंपरा चलती आ रही है।झूला झूलना पवित्रता का भी प्रतीक माना जाता है।झूला झूलना मानसून ऋतु के आगमन का उत्सव भी माना जाता है।
रिपोर्ट:आनंद राज