राजेश सिन्हा की रिपोर्ट
खगड़िया:बहुचर्चित शिक्षक नेता मनीष सिंह के चेहरे पर चुनाव जीत कर आयी अर्चना कुमारी नगर परिषद खगड़िया का कितना कल्याण कर पा रही हैं, इस पर अगर बहस नहीं करें तो भी यह कहने में कहीं संकोच नहीं है कि खगड़िया नगर परिषद में जिस तरह भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है,उसकी जिम्मेदारी से नगर सभापति किसी भी कीमत पर मुक्त रहने का दावा नहीं कर सकती हैं।हालांकि कहा यह भी जा रहा है कि खगड़िया नगर परिषद के विभिन्न कार्यों की देख-रेख ना ही अर्चना कुमारी कर पा रही है और ना ही मनीष सिंह का मार्गदर्शन उनको मिल पा रहा है।सच तो यह है कि,पर्दे के पीछे से नगर परिषद कार्यालय को वह चला रहे हैं,जिन्हें ना ही खगड़िया के विकास से कोई लेना-देना है और ना ही ‘कचरे’से मुक्ति दिलाना उनका मकसद है।उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ ‘कमीशन’ लेने-देने से है।
यही कारण है कि लगभग दो वर्षों में उन्होंने लूट की इतनी कहानियां लिख दी है,जिसे मिटा पाना शायद उनके सहित उनके शागिर्दों के लिए बहुत मुश्किल है।एक ही खबर में ‘लूट’की पूरी कहानियों को समाहित करना मुश्किल है।इसीलिए सिलसिलेवार तरीके से खगड़िया नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करने की कोशिश जारी रहेगी।
नंगा सच सामने आने के बाद भी किसी तरह की कार्रवाई होगी या नहीं,यह तो शासन- प्रशासन ही जाने।लेकिन,आप लोगों को यह बता दूं कि नगर परिषद की साफ-सफाई का जिम्मा एनजीओ को दिए जाने के बाद भी कई ऐसी सामग्रियां कमीशन के चक्कर में खरीद ली गयी, जिसकी जरुरत शायद नगर परिषद को नहीं है।जानकारों के मुताबिक,नगर परिषद खगड़िया की सभापति ने लगभग 300 हाथ वाला ठेला सिर्फ इसीलिए खरीद लिया,क्योंकि उन्हें नजराने के तौर पर मोटी रकम चाहिए थी।नगर परिषद खगड़िया के 39 वार्डों में से महज 05 वार्ड में नगर परिषद के सफाईकर्मी कार्य कर रहे हैं।शेष 34 वार्ड में दो एनजीओ मिलकर सफाई कार्य करा रही है।ऐसे में आप स्वयं समझ सकते हैं कि पांच वार्डों में कितने ठेले की जरुरत पड़ेगी !
34 वार्डों की साफ-सफाई का जिम्मा जब एनजीओ के पास है तो ऐसे में सफाई उपस्करों की खरीददारी एनजीओ को स्वयं करनी है।उसके बाद भी 06 मैजिक ट्रिपर खरीदने की क्या आवश्यकता खगड़िया नप को थी!उसमें भी तब,जब नगर परिषद खगड़िया का तीन ट्रैक्टर चालू अवस्था में कार्यरत है।दो ट्रैक्टर भाड़े पर भी रखकर नगर परिषद खगड़िया की राशि का दुरुपयोग किया जा रहा है।बात अगर सेक्शन मशीन की करें तो तीन सेक्शन मशीन की खरीददारी की गयी है।लेकिन, उसमें एक भी सही नहीं है।अगर आप सेक्शन मशीन से टंकी की सफाई के लिए कहेंगे तो बोला जायेगा कि खराब है।अगर आप प्रभावशाली लोगों में शामिल हैं तो एक टंकी को साफ करने के लिए तीनों सेक्शन मशीन लाया जायेगा।बावजूद इसके आपके शौचालय की टंकी को साफ नहीं किया जा सकेगा और एक-एक कर सभी मशीनों का कुछ न कुछ खराब हो जायेगा।
जब आप मामले की तह तक जाने की कोशिश करेंगे तो सवाल यह भी सामने आएगा कि पांच वार्ड की सफाई के लिए तीन ट्रैक्टर रहने के बावजूद दो ट्रैक्टर भाड़े पर आखिर क्यों लिया गया है!भाड़ा पर ट्रैक्टर लेने के लिए क्या निविदा निकाली गई थी !
34वार्डों में साफ-सफाई जब एनजीओ करा रही है तो 600 पीस डस्टबिन की क्या जरुरत थी!माना कि बड़ा वाला 600 पीस डस्टबीन पांच वार्डो में लगाकर इलाके को चमन बना दिया जायेगा तो फिर सवाल यह है कि छह-छह फॉगिंग मशीन की खरीददारी अगर की गयी तो उसका उपयोग किस स्तर पर हो रहा है!जो पांच वार्ड नगर परिषद के जिम्मे है,उन पांचों वार्ड की जनता से पूछा जाय कि महीने में कितनी बार फॉगिंग होती है तो जवाब मिलेगा कि एक बार भी नहीं।
विभागीय लोगों का कहना है कि जरुरत से ज्यादा उपस्कर खरीदने का एक ही मकसद नगर सभापति एवं सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों का था कि अधिक से अधिक कमीशन या नजराना किस तरह वसूलना है।
विभागीय जानकारों द्वारा स्पष्ट कहा जा रहा है कि नगर सभापति एवं सशक्त स्थायी समिति के सदस्यों द्वारा लिए गए निर्णय के आधार पर ही इन सभी सफाई उपस्करों की खरीददारी की गयी है और चेहरे से नकाब हट ना जाए,इसके लिए कुछ सामग्रियां नगर परिषद कार्यालय के पास वाले परिसर में बिखरी पड़ी है तो कई सामानों को नगर भवन परिसर में छिपाकर रखा गया है।जाहिर तौर पर ऐसे सामानों की जरुरत नगर परिषद को नहीं है,क्योंकि साफ-सफाई की व्यवस्था एनजीओ संभाल रही है।किस एनजीओ को साफ-सफाई का जिम्मा देने के एवज में कितना कमीशन लिया गया और फिर उस कमीशन में कितने हिस्सेदार हैं,इसका लेखा-जोखा अगले वीडियो या खबर में सबके सामने रखने की कोशिश करुंगा।लेकिन,नगर परिषद में व्याप्त भ्रष्टाचार को समझने के लिए आज जब मैं अचानक नगर परिषद कार्यालय पहुंचा तो मुझे जानने-पहचानने वाले कर्मी और कुछ वार्ड पार्षद भौंचक्का रह गए।शायद इसलिए भी क्योंकि मैं लगभग 17वर्षों में पहली बार नप कार्यालय पहुंचा था |
खैर!नगर सभापति के चैंबर में ताला लटका था तो उप सभापति के चैंबर में एक महिला छोड़कर अन्य कोई नजर नहीं आए।एक सहायक से हमने जब साफ सफाई के विषय में पूछा तो उन्होंने कहा कि पुराने वार्ड में साफ-सफाई के नाम पर प्रति माह लगभग दस लाख रुपये खर्च हो रहे हैं।नए वार्डों में कितना खर्च हो रहा है,यह कार्यपालक पदाधिकारी ही बता सकते हैं।कुछ देर रुककर उन्होंने कहा कि,नगर परिषद से जो कमावें,वही जानें।हम उन सब चीजों से बहुत दूर रहते हैं। लेकिन,खगड़िया नप में भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है,यह जरुर कहूंगा।बस,मेरा नाम और चेहरा कहीं नजर नहीं आना चाहिए।
कार्यालय परिसर में कुछ वार्ड पार्षदों से मुलाकात हुई तो उन्होंने भी यह स्वीकारा कि साफ-सफाई सहित अन्य योजनाओं के नाम पर लूट हो रही है।लेकिन,वह लोग कैमरे के सामने आकर इसलिए कुछ नहीं बोल सकते,क्योंकि उन लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ जाएगा।
वार्ड पार्षदों का कहना था कि यह कौन नहीं जानता है कि शिक्षक नेता मनीष सिंह के चेहरे पर जीत कर आयी अर्चना कुमारी नगर सभापति हैं और वह मनीष सिंह के ही निर्देशन में कार्य कर रही हैं।खगड़िया नगर परिषद को लेकर राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ी हुई है।बावजूद इसके वह चुप क्यों हैं,यह तो वही जानें।जब मंगलवार को सम्पन्न हुई बोर्ड की बैठक के संदर्भ में पूछा गया तो उन लोगों ने कहा कि,वह लोग इस बात से दुखित रहते हैं कि बोर्ड की बैठक के समय पारित हुए प्रस्ताव को उसी समय अंकित करने के बजाय बाद में कुछ खास लोगों के मनोनुकूल लिखा जाता है,जो इस सदन के निर्णय का अपहरण ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र की हत्या भी है।वैसे,इस संदर्भ में एक दर्जन से अधिक वार्ड पार्षदों द्वारा नगर सभापति और कार्यपालक पदाधिकारी को पत्र दिया गया है।
बात जब कनीय अभियंता रौशन कुमार के संदर्भ में उठी तो वार्ड पार्षदों ने एक दूसरे का मुंह देखना शुरु कर दिया और फिर कहा कि,यह कौन नहीं जानता है कि कमीशन को लेकर खींचतान हो रही है।रौशन कुमार जब तक मनमाना कमीशन देते रहे,तब तक वह बेहद ही पाक साफ जूनियर इंजीनियर थे।लेकिन, जब कमीशन को लेकर विवाद बढ़ा तो वह नगर सभापति के निशाने पर आ गए और स्थिति यहां तक पहुंच गयी कि उन्हें बर्खास्त करने का ऐलान कर दिया गया।बर्खास्तगी का निर्णय लेने वालों को कौन समझाए कि नियम कानून के सामने किसी की हुकूमत नहीं चलती है।इसलिए एक दर्जन से अधिक वार्ड पार्षदों ने बीते 22 अक्टूबर 2024को हुई सशक्त स्थायी समिति की बैठक में प्रस्ताव संख्या-01 में कनीय अभियंता रौशन कुमार के विरुद्ध लिए गए निर्णय का विरोध कर दिया।कहा कि रौशन कुमार के विरुद्ध लिए गए प्रस्ताव को यह सदन बहुमत से इसलिए खारिज करती है,क्योंकि उनके विरुद्ध लाया गया प्रस्ताव किसी खास व्यक्ति के राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है और नगर पालिका अधिनियम के विरुद्ध है।कनीय अभियंता रौशन कुमार पूर्व की तरह ही अपने दायित्वों का निर्वहन करते रहेंगे।इधर,पूरे मामले पर नगर सभापति सहित उनके प्रतिनिधि ने कहा कि,उन लोगों को राजनीतिक प्रतिद्वंदिता के कारण आरोपित किया जा रहा है।सभी कार्य नियम कानून को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।शिक्षक नेता मनीष सिंह ने तो कॉल रिसीव करना भी मुनासिब नहीं समझा।
बहरहाल,सच्चाई क्या है और अपनी राजनीतिक गोटी लाल करने तथा पॉकेट भरने के लिए खगड़िया नगर परिषद को कब तक जरिया बनाकर रखा जाएगा,यह तो जांच का विषय है।लेकिन,इतना जरुर कहा जा रहा है कि,खगड़िया नगर परिषद को संवारने और सजाने के नाम पर”महानुभाव”अगर स्वयं सजते और संवरते रहे तो फिर………………………..?
*क्रमशः*