राजेश सिन्हा
खगड़िया:सड़कों पर नंगा नृत्य कर रही भ्रष्टाचार की कई ‘कहानी’प्रबुद्धजनों को यह कहने के लिए मजबूर कर रही है कि, कम से कम खगड़िया में तो भ्रष्टाचार की गंगा जरुर बह रही है।मामले को अविलंब खंगालते हुए अविलंब कार्रवाई नहीं किए जाने का ही नतीजा है कि, भ्रष्टाचार का एक हाई प्रोफाइल मामला ठंडा भी नहीं होता है कि, दूसरा ज्वालामुखी की तरह फटकर सामने आ जाता है।लोग अपनी व्यथा-कथा डीएम साहब को सुनाना चाहते हैं।
लेकिन,डीएम अमित पाण्डेय साहब से मुलाकात की बात छोड़िए,जब उनसे बात भी नहीं होती है,तो लोग कहने लगते हैं कि,डॉ आलोक रंजन सबकी सुनते थे।खैर!
अन्य मामले को कुछ देर के लिए दरकिनार कर अगर अवध बिहारी संस्कृत महाविद्यालय रहीमपुर खगड़िया की जमीन और गोशाला मेला खगड़िया की बंदोबस्ती से जुड़े एक बड़े मामले की चर्चा करें तो भ्रष्टाचार की शिकायत पर संज्ञान लेते हुए सामान्य प्रशासन विभाग बिहार के आदेश पर जिला पदाधिकारी, खगड़िया ने 27.09.2024 को दो सदस्यीय टीम गठित कर मामले की जांच का जिम्मा सौंप दिया।
उप विकास आयुक्त खगड़िया को जांच टीम का अध्यक्ष और एडीएम आरती को सदस्य के तौर पर जांच टीम में शामिल किया गया।यहां गौर करने का विषय यह है कि,जिला पदाधिकारी खगड़िया ने जांच टीम को एक सप्ताह में मंतव्य सहित जांच प्रतिवेदन सौंपने के लिए इसीलिए निर्देशित किया था कि सामान्य प्रशासन विभाग बिहार को जांच प्रतिवेदन भेज सकें।
उक्त मामले में उप विकास आयुक्त द्वारा परिवादी और आरोपी को नोटिस कर सुनवाई भी की गयी।परिवादी की ओर से सभी साक्ष्य भी लिखित और मौखिक रुप से उपलब्ध कराए जा चुके हैं।बाबजूद इसके लगभग चार माह बीतने के बाद भी जांच प्रतिवेदन नहीं सौंपा गया है।अब परिवादी का कहना है कि,सामान्य प्रशासन विभाग बिहार द्वारा जिला पदाधिकारी खगड़िया से बीते साल यानि मार्च 2024 में हीं जांच प्रतिवेदन की मांग की गयी थी।लेकिन, जिलाधिकारी द्वारा मामले को दबाकर रखा गया था।पुनः सामान्य प्रशासन विभाग से शिकायत किये जाने पर संस्कृत महाविद्यालय और गोशाला प्रकरण की जांच हेतु टीम गठित की गयी।तमाम साक्ष्यों को सामने रखते हुए गुड्डू ने बताया कि शुरु से ही जांच के दौरान आरोपी कहे जा रहे एसडीओ को संरक्षण दिया जा रहा है।
जब शुरु में हीं सभी प्रकार के साक्ष्य उपलब्ध करा दिए गए थे तो फ़िर जांच कमिटी द्वारा डीएम को जांच प्रतिवेदन क्यों नहीं सौपा जा रहा है।
मामले की तह तक जाने की कोशिश करने पर यह बात भी सामने आयी कि,जांच अवधि में ही जांच कमिटी के अध्यक्ष सह उप विकास आयुक्त खगड़िया ने आरोपी एसडीओ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बन कर शिरकत की थी।शायद यह एक बहुत बड़ा कारण है कि,उसी समय से जांच कमेटी पर लोगों को संदेह पैदा होने लगा।उन्होंने कहा कि,नवंबर माह में अंतिम सुनवाई हुई थी।
उक्त सुनवाई में जांच कमेटी ने संस्कृत महाविद्यालय और गोशाला कमेटी से लिखित जबाव मांगा था।उसके बाद मामला ठंडा बस्ता में चला गया था।जब उन्हें जांच रिपोर्ट नहीं दिया गया और कुछ स्पष्ट नहीं बताया जाने लगा तो उन्होंने पुनः इसकी शिकायत की।तब जाकर,उप विकास आयुक्त खगड़िया के द्वारा फिर से 4 फरवरी को सुनवाई के लिए नोटिस दिया गया।
उक्त तिथि में भी सुनवाई नहीं होने पर आवेदक ने उप विकास आयुक्त को ई-मेल से पत्र भेजकर कहा कि 3 अक्टूबर से ही जांच तथा साक्ष्य प्राप्त किया जा रहा है।लंबी प्रक्रिया के बाद भी जांच प्रतिवेदन तैयार नहीं होना खेदजनक है।पत्र में उन्होंने कहा कि पूर्व में भी सुनवाई की तिथियाों में लिखित साक्ष्य उप विकास आयुक्त को उपलब्ध कराया जा चुका है तथा मौखिक साक्ष्य भी दिया जा चुका है।
उसके बाद भी फिर साक्ष्य की मांग करना कहीं ना कहीं संदेह पैदा करता है कि मेरे द्वारा समर्पित सभी साक्ष्यों को कहीं कचरे के डिब्बे में तो नहीं फेंक दिया गया।आवेदक ने यह भी कहा कि,अवध बिहारी संस्कृत महाविद्यालय रामपुर खगड़िया के प्राचार्य द्वारा लिखित तौर पर उपविक विकास आयुक्त को बार-बार बताया जा रहा है कि जमीन बंदोबस्ती के रजिस्टर परवाना आदि आरोपित अध्यक्ष अनुमंडल पदाधिकारी खगड़िया ने अपने पास नाजायज तरीके से रखा हुआ है।
फिर भी उप विकास आयुक्त के द्वारा अनुमंडल पदाधिकारी खगड़िया से उक्त रेकर्ड की मांग नहीं करना इस आशंका को बल प्रदान करता है कि जांच समिति आरोपित पदाधिकारी के प्रति पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रही है।इससे निष्पक्ष जांच की संभावना पर प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है।
आवेदक गुड्डू ने इस बात से सामान्य प्रशासन विभाग बिहार के प्रधान सचिव और जिला पदाधिकारी खगड़िया को भी ई-मेल के जरिए अवगत कराया है।बहरहाल,अवध बिहारी संस्कृत कॉलेज का मामला ऐसे मोड़ पर आकर ठहर गया है,जहां पहुंचकर अगर आप दस्तावेज खंगालेंगे तो आपको भी शक होने लगेगा।
कह सकते हैं कि,अगर ताकना (देहाती भाषा)शुरु करेंगे तो आपके मुंह से बरबस निकल जाएगा कि,खगड़िया में भ्रष्टाचार की गंगा बहती है।ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि,आगे-आगे होता है क्या?